एक बार फिर किसान धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के नेतृत्व में हजारों किसान दिल्ली कूच करने के दिल्ली-नोएडा बॉर्डर पर पहुंच गए हैं. संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक किसान इस बार आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं. आइए जानते हैं आखिर किसान क्यों फिर कर रहे धरना-प्रदर्शन, क्या है उनकी मांग और कौन-कौन संगठन शामिल हैं.
बातचीत पर हुए राजी
सोमवार को पूरे दिन नोएडा की सड़कों पर हंगामा बरपता रहा. हजारों किसान दिल्ली कूच करने पर अड़े रहे. इस दौरान लोगों को आवागमन में काफी परेशानी हुई. हालांकि शाम को पुलिस प्रशासन ने राहत की सांस तब ली जब किसान नेता दिल्ली कूच को छोड़ बातचीत करने पर राजी हो गए. किसानों ने सड़क खाली कर दी है और राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल पर ही रुक कर प्रदर्शन कर रहे हैं.
कैसे बनी बात
यूपी के किसानों की समस्या नोएडा और आसपास की जुड़ी तीनों अथॉरिटी से थी. नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटी के आला अधिकारी किसानों से बातचीत करने के लिए दलित प्रेरणा स्थल पहुंचे. बातचीत खास तौर पर दो मुद्दों पर थी. पहला मुद्दा की जो अधिग्रहित जमीन किसानों से ली गई है उसका 10% डेवलप्ड एरिया किसानों को दिया जाए.
दूसरा यह की जो भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में पास किया गया था उसे नोएडा और आसपास के इलाकों में भी लागू किया जाए ताकि किसानों को ज्यादा मुआवजा मिले. किसानों और अधिकारियों के बीच सहमति यह बनी है की मुख्य सचिव से बातचीत अगले एक हफ्ते के भीतर होगी. तब तक किसान आंदोलनकारी सड़क से सटे दलित प्रेरणा स्थल के अंदर बैठेंगे और वहीं धरना देंगे. किसानों ने कहा कि यदि बातचीत सफल होती है तो वह घर वापस जाएंगे नहीं तो दोबारा दिल्ली कूच किया जाएगा. फिलहाल नोएडा एक्सप्रेसवे ट्रैफिक के लिए 4 बजे शाम से से चालू कर दिया गया है.
क्या है किसानों की मुख्य मांगें
1. पुराने भूमि अधिग्रहण कानून के तहत प्रभावित किसानों को 10% प्लॉट और 64.7% बढ़ा हुआ मुआवजा दिया जाए.
2. नए भूमि अधिग्रहण कानून के मुताबिक 1 जनवरी 2014 के बाद अधिग्रहित भूमि का मुआवजा दिया जाए.
3. 1 जनवरी 2014 के बाद अधिग्रहित भूमि पर बाजार दर का चार गुना मुआवजा और 20% प्लॉट दिया जाए.
4. गौतमबुद्ध नगर में 10 वर्ष से सर्किल रेट भी नहीं बढ़ा है उसे बढ़ाया जाए.
5. जिले में नए भूमि अधिग्रहण कानून के लाभ लागू हों.
6. नए भूमि अधिग्रहण कानून के सभी लाभ, हाई पावर कमेटी द्वारा किसानों के हक में भेजी गई सिफारिशें लागू की जाएं.
7. भूमिहीन किसानों के बच्चों को रोजगार और पुनर्वास का लाभ दिया जाए.
8. आबादी क्षेत्र का उचित निस्तारण किया जाना चाहिए.
9. पुरानी बड़ी मांगों में से कर्ज माफी, पेंशन, बिजली दरों में बढ़ोतरी न करने और पिछले प्रदर्शनों में दर्ज हुए पुलिस मामलों की वापसी को लेकर लामबंद हैं.
10. लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय और 2020-21 के आंदोलन में मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा मिले, इस सवाल पर भी वे इकठ्ठे हैं.
धरना-प्रदर्शन में कौन-कौन शामिल
संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसान एकजुट हुए हैं. ये 10 अलग-अलग किसानों का संगठन है. इसमें भारतीय किसान यूनियन टिकैत, भारतीय किसान यूनियन महात्मा टिकैत, भारतीय किसान यूनियन अजगर, भारतीय किसान यूनियन कृषक शक्ति, भारतीय किसान परिषद, अखिल भारतीय किसान सभा, किसान एकता परिषद, किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा, जय जवान-जय किसान मोर्चा और सिस्टम सुधार संगठन आगरा जैसे संगठन शामिल हैं.
किसान कब से कर रहे धरना-प्रदर्शन
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 10 किसान संगठनों ने 25 नवंबर को प्रदर्शन का आगाज किया था. ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के बाद किसान यमुना प्राधिकरण दफ्तर के सामने 28 नवंबर से 1 दिसंबर तक धरने पर बैठे थे. रविवार को किसानों और अधिकारियों के बीच बेनतीजा बैठक रही. इसके बाद किसानों ने दिल्ली कूच करने का निर्णय लिया था. गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, आगरा सहित 20 जिलों के किसान दिल्ली मार्च में शामिल हैं.
पंजाब से भी किसान दिल्ली कूच की तैयारी में
किसान पंजाब से भी दिल्ली कूच करने की तैयारी कर रहे हैं. किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने बताया कि जगजीत सिंह डल्लेवाल आमरण अनशन पर हैं और लगातार उनकी तबीयत बिगड़ रही है. शंभू बॉर्डर पर देश के सभी नेताओं के साथ चर्चा के बाद दोनों मंचों ने फैसला लिया है कि हम जरूरी सामान लेकर शांतिपूर्वक पैदल ही दिल्ली की ओर बढ़ेंगे.
उन्होंने बताया कि हरियाणा के कृषि मंत्री ने एक बयान दिया था कि यदि किसान पैदल आना चाहते हैं, तो उन्हें कोई एतराज नहीं है. हम चाहते हैं कि सरकार अब अपने बयान पर कायम रहे. हम लोगों ने अपने जत्थे का नाम (मरजीवादीयां दा जत्था) रखा है. यदि सरकार हमें रोकती है तो हम देश के व्यापारियों, ट्रांसपोर्टर के साथ पंजाब-हरियाणा के लोगों को यह संदेश देना चाहेंगे कि इन लोगों ने हमें 10 महीने से रोके रखा था और आज भी रोक रहे हैं.