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गाजीपुर बॉर्डर पर देशभक्ति के गानों पर झूमते दिखे किसान, घर वापसी से पहले मनाया जश्न

किसानों का कहना है कि पिछले एक साल से ज्यादा वक्त से वो अपने हक की लड़ाई लड़ रहे थे. आज जीत हासिल हुई है तो घर वापसी करेंगे. ये घर वापसी का जश्न है.

गाजीपुर बॉर्डर पर झूमते किसान गाजीपुर बॉर्डर पर झूमते किसान
हाइलाइट्स
  • गाजीपुर बॉर्डर पर देशभक्ति के गानों पर झूमते नजर आये किसान.

  • कल से किसान अपने घरों की ओर वापसी करेंगे.

एक साल से ज्यादा समय से चल रहे किसान आंदोलन की कल घर वापसी है. जिसको लेकर दिल्ली के अलग अलग बॉर्डर पर किसानों ने तैयारी भी  शुरू कर दी है. पर मोर्चा खत्म होने से एक रात पहले गाजीपुर बॉर्डर पर किसान देशभक्ति गानो की धुनों पर जश्न मनाते और झूमते नजर आये.  

किसान आंदोलन का आज आखिरी दिन है. कल से किसान अपने घरों की ओर वापसी करेंगे. ऐसे में किसान काफी खुश और जश्न मनाते मानते नजर आए. क्या बुजुर्ग, क्या जवान, हर कोई देशभक्ति के गीतों पर झूमता नजर आया. हाथों में तिरंगा झंडा लेकर भाईचारे और एकता की मिसाल पेश करते दिखाई दिए ये किसान. 

कोई जुलूस नहीं निकालेंगे किसान 

किसानों का कहना है कि पिछले एक साल से ज्यादा वक्त से वो अपने हक की लड़ाई लड़ रहे थे. आज जीत हासिल हुई है तो घर वापसी करेंगे. ये घर वापसी का जश्न है. हालांकि किसानों ने यह भी साफ कर दिया कि कल किसी भी तरह का कोई जुलूस वो नहीं निकालेंगे. बहुत ही साधारण तरीके से सभी किसान अपने ट्रैक्टरों पर सामान लादकर घर वापसी करेंगे. दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर सबसे आखिर में मोर्चा खाली किया जाएगा. किसान नेता राकेश टिकैत ने पहले ही यह बयान देकर साफ कर दिया था. वहीं दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर जहां सबसे पहले किसान आंदोलन करने के लिए मोर्चा लेकर पहुंचे थे, वहां भी धीरे-धीरे किसानों ने अपने सामान और टेंट-तंबू को बांधना शुरू कर दिया है.

गाजीपुर बॉर्डर पर झूमते किसान
गाजीपुर बॉर्डर पर झूमते किसान

घर वापसी का मनाया जश्न

यही हाल टिकरी बॉर्डर का भी है जहां कई किलोमीटर तक बैठे हुए किसानों ने भी धीरे-धीरे अपने सामान बांधना शुरू कर दिया है. कल से सिंधु और टिकरी बॉर्डर के किसान घर वापसी करेंगे. वहीं लंबे समय से टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर रहने वाले लोग भी किसानों की घर वापसी का इंतजार कर रहे थे. गाजीपुर पर खुशी मनाते किसान हरविंदर ने कहा कि परिवार वाले भी काफी वक्त से इंतजार कर रहे हैं. हमने बारिश हो, धूप हो, तूफान हो या फिर कड़ाके की ठंड, अपने मोर्चे को कभी वापस नहीं लिया. यह जीत किसान की है और इसका जश्न हम इसी तरीके से मनाएंगे.