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अब बारिश से भी नहीं होगी फसलों की बर्बादी, यूपी में योगी आदित्यानाथ ने किसानों के लिए शुरू की ये पहल

मुख्यमंत्री योगी ने कहा था कि बारिश को मापने वाला ये यंत्र बहुत फायदेमंद है. हमारी किसान हितैषी नीतियां इसके आंकलन पर निर्भर करती हैं. वर्तमान में तहसील स्तरों पर रेन गेज़ यानी वर्षा मापक यंत्र लगाए गए हैं

Farmers of Uttar Pradesh will get accurate information about rain Farmers of Uttar Pradesh will get accurate information about rain

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों को एक तोहफा दिया है. योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के अन्नदाताओं  को अल्प वर्षा  से होने वाली परेशानियों से निजात दिलाने के लिए रेन गेज की संख्या को बढ़ाने की बात कही है. योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों संग बैठक में कहा कि अल्प वर्षा की वजह से किसानों को नुकासन पहुंचता है और इसके लिए विकास खंड स्तर  रेन गेज की संख्या को बढ़ाना चाहिए. 

बता दें कि रेन गेज वर्षा मापने का यंत्र है, जिससे कम या ज्यादा दोनों तरह की वर्षा का सटीक आंकलन किया जाता है. इस आंकलन के आधार पर तैयार डाटा की जानकारी किसानों के काफी काम आ सकती है. वह फसल की बुआई को लेकर चौकन्ना रह सकता है और बारिश से होने वाले नुकसान को भी कम कर सकता है. अभी तक तहसील स्तर पर रेन गेज सिस्टम लगाए थे लेकिन अब विकास खंड स्तर पर इन्हें बढ़ाए जाने से ब्लॉक और ग्राम पंचायतों तक ज्यादा से ज्यादा अन्नदाता किसानों को वर्षा की सटीक जानकारी मिल सकेगी. 

300 रेन गेज हो रहे संचालित 

उत्तर प्रदेश मौसम विभाग के निदेशक जेपी गुप्ता के मुताबिक प्रदेश में स्वचालित और मैनुअल दोनों तरह के रेन गेज संचालित किए जा रहे हैं. जेपी गुप्ता ने बताया कि रेन गेज एक निश्चित जगह पर हुई बारिश की जानकारी देता है. प्रतिवर्ष किसी खास महीने में कितनी बारिश हुई है, इसका डाटा किसानों के काम आ सकता है. इसको ध्यान में रखते हुए किसान बुआई कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि प्रदेश में  अंदाजन 300 से 400 के बीच रेन गेज यंत्र संचालित हो रहे हैं. 

मौसम विभाग जारी करता है अलर्ट 

उत्तर प्रदेश मौसम विभाग अलग-अलग नोडल अफसरों के जरिए जिले स्तर पर प्रतिदिन, साप्ताहिक और सत्र स्तर पर मौसम का बुलेटिन जारी करता है. वहीं, ब्लॉक स्तर पर भी विभाग की तरफ से मौसम का पूर्वानुमान जारी किया जाता है. हालांकि, ब्लॉक स्तर पर रेन गेज बढ़ाए जाने पर एक निश्चित स्थान पर वर्षा का सटीक आंकलन किया जा सकेगा. इससे स्थानीय किसानों को फायदा होगा और वो मौसम के मुताबिक  ही फसल की बुआई करेंगे . 

मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश 

शनिवार को उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री  योगी ने कहा था कि बारिश को मापने वाला ये यंत्र बहुत फायदेमंद है. हमारी किसान हितैषी नीतियां इसके आंकलन पर निर्भर करती हैं. वर्तमान में तहसील स्तरों पर रेन गेज़ यानी वर्षा मापक यंत्र लगाए गए हैं, इन्हें विकास खंड स्तर पर बढ़ाये जाने की कार्यवाही की जाए. अधिकाधिक वर्षा मापक यंत्रों से वर्षा की और सटीक जानकारी मिल सकेगी.  

क्या होता है रेन गेज? 

जब वर्षा आती है तो सुनने को मिलता है कि इस इलाके में इतने मिलीमीटर बारिश हुई और दूसरे इलाके में इतनी.  दरअसल, दिनभर में होने वाली बारिश को एक यंत्र के जरिए मापा जाता है जिसे 'रेन गेज' या वर्षामापी यंत्र कहते हैं.  रेन गेज यह बताता है कि एक तय जगह  पर तय समय में कितने मिमी बारिश हुई है. 

क्या है रेन गेज का फायदा?

वर्षामापी यंत्र से वर्षा मापने के कई फायदे हैं. सबसे बड़ा फायदा अन्नदाता किसान के लिए है. इसकी मदद से किसी तय जगह  की भौगोलिक परिस्थितियां मालूम हो जाती हैं. मसलन, अगर साल में किसी जगह पर 8 इंच से कम बारिश होती है तो वह स्थान 'रेगिस्तान' कहलाता है.  इससे वहां होने वाली कृषि पैदावार के बारे में अनुमान लगाया जाता है. ऑटोमेटिक रेन गेज से रियल टाइम डाटा जैसे तापमान, वर्षापात व आर्द्रता के आंकड़ों की भी जानकारी मिलती है.