8 जुलाई को अमरनाथ गुफा के पास 5:30 बजे अचानक बादल फटने के चलते बड़ा सैलाब अमरनाथ गुफा से नीचे की तरफ आने लगा. देखते-देखते कई जिंदगियां इस सैलाब में समा गईं. अभी तक इस तबाही में 16 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है जबकि 40 से ज्यादा लोग अभी भी गायब हैं. हादसे के बाद से सवाल यह उठने लगा है कि आखिर अचानक आए इस सैलाब के चलते वहां मौजूद टेंट और लंगर कैसे दबते चले गए. इस बात को लेकर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला ने भी सवाल उठाए थे.
फारुख अब्दुल्ला ने कहा था कि आज तक उस जगह(वाटर बेड) पर कैंप नहीं लगाए गए थे, ऐसा पहली बार हुआ है. पंजतरणी में कोई भी कुछ नहीं लगा सकता, ऐसा हमेशा से चलता आ रहा है. मेरे हिसाब से इसकी जांच होनी चाहिए. इंसान की भी गलती हो सकती है. फारुख अब्दुल्ला ने जो सवाल उठाए हैं उन सवालों को लेकर के आजतक की टीम ने जांच करना शुरू किया. कुछ तस्वीरें और वीडियो आज तक के पास मौजूद हैं. जिसमें यह पता चल रहा है की जहां से पहाड़ के पानी जाने का रास्ता होता है वहां पर वाटर बेड पर टेंट और तंबू लगे हुए हैं. आज तक के संवाददाता जितेंद्र बहादुर सिंह ने 28 जून 2022 को अमरनाथ यात्रा की शुरुआत होने से पहले यहां की सुरक्षा व्यवस्था और अमरनाथ श्राइन बोर्ड की इंतजाम पर एक रिपोर्ट तैयार की थी. तस्वीरों से यह साफ पता चल रहा है की वाटर बेड के ऊपर तंबू और टेंट लगाए गए हैं.
28 जून को गुफा के नज़दीक ली गई तस्वीर नंबर -1
तस्वीर नंबर 1 पवित्र अमरनाथ गुफा के ऊपर दर्शन के दौरान ली गई है. यहां से साफ दिखाई पड़ रहा है कि अमरनाथ गुफा के नीचे जो वॉटर बेड है जहां से बारिश के दौरान पानी अलग-अलग रास्तों से जाता है उस रास्ते पर भी ज्यादा संख्या में टेंट लगाए गए हैं. अमूमन यह टेंट वॉटर बेड के ऊंचे स्थानों पर लगाए जाते हैं ऐसा जानकार बताते हैं लेकिन इस बार क्या ऐसा नहीं किया गया तस्वीरें तो यही बोलती हैं.
28 जून की दूसरी तस्वीर गुफा से कुछ दूरी पर नीचे ली गई है
8 जुलाई को जब तबाही का सैलाब ऊपर से नीचे की तरफ आया तो इसी रास्ते से सैलाब नीचे की तरफ गया. यहां पर यह दिख रहा है की वॉटर बेड यानी कि जिस रास्ते से पानी आगे की तरफ जाता है वह सूखा है यहां पर टेंट लगा हुआ है. 28 जून को यह तस्वीर ली गई इसमें साफ दिखाई पड़ रहा है कि टेंट लगाने में लापरवाही बरती गई.
28 जून को ली गई तीसरी तस्वीर
28 जून को जो तीसरी तस्वीर ली गई यह वही रास्ता है जिस रास्ते से अमरनाथ गुफा के ऊपर बादल फटने के बाद पानी तेजी से आगे की तरफ बढ़ा. इस वाटर बेड पर जो तस्वीर दिखाई पड़ रही है इसी के रास्ते से लोगों का आना जाना था और यही टेंट लगे हुए हैं. यह जो एक सीनियर अधिकारी दिखाई पड़ रहे हैं यह बीएसएफ के डीआईजी रैंक के अधिकारी हैं जो कि अमरनाथ गुफा में यात्रा होने से पहले सुरक्षा के इंतजामों को देखने के लिए पहुंचे थे.
28 जून की चौथी तस्वीर
28 जून की यह चौथी तस्वीर है. इस तस्वीर में साफ दिखाई पड़ रहा है कि पानी जाने के रास्ते जहां पर छोटे-छोटे बोल्डर और पत्थर पड़े हुए हैं. इसके ऊपर एक नीले रंग और पीले का टेंट लगा हुआ है. दरअसल इस तस्वीर के एनालिसिस के बाद यह साफ पता चल रहा है कि बारिश के दौरान जब पानी ऊपर से नीचे की तरफ आता है तो इसी रास्ते से पानी आगे की तरफ बढ़ता है. अगर यहां पर टेंट लगा दिया जाएगा तो हाल क्या होगा 8 जुलाई को जो बादल फटने के बाद हादसा हुआ उसमें वहां मौजूद लोगों की आवाजों से यही पता चल रहा है कि यह पानी टेंट और लंगर जोकि वाटर बेड पर लगे थे उनके ऊपर से निकलते हुए जा रहा है.
अब 8 जुलाई जिस दिन सैलाब आया था उस दिन की तस्वीर
तस्वीर नंबर 5 जहां पर लाल निशान बना हुआ है. 8 जुलाई को जिस दिन बादल फटने के बाद सैलाब आया वहां तेजी से पानी नीचे की ओर जाने लगा. यही वह रास्ता है जो कि पहाड़ों के पानी का वॉटर बेड का रास्ता कहलाता है. इस रास्ते से ही पानी हमेशा गुजरता है जो तस्वीर नंबर 1 है उसमें साफ पता चल रहा है कि इसी रास्ते के ऊपर टेंट लगे हुए हैं लेकिन जब अचानक पानी आया तो उसने अपना चिर परिचित रास्ता पकड़ा और उसी से पानी जाने लगा जिसका खामियाजा भुगतना पड़ा और यही वजह रही कि 16 से लोगों की मौत हो गई और 40 लोग अभी भी मिसिंग है तो क्या टेंट सही जगह नही लगाना भारी पड़ा.