कारगिल युद्ध में देश के कई सपूत शहीद हो गए थे. उन्हीं में से एक थे लांस नायक कृष्णजी समरित. प्रज्वल के जन्म से ठीक 45 दिन पहले, उनके पिता 1999 में कारगिल युद्ध में शहीद हो गए थे. पुलगांव के रहने वाले कारगिल शहीद अपने बड़े बेटे, जो तब 2.5 साल के थे, को सेना में शामिल करना चाहते थे. लेकिन अब उनके छोटे बेटे ने उनका सपना पूरा कर दिखाया है. 23 जुलाई के बाद, प्रज्वल जून के पहले सप्ताह में जेंटलमैन कैडेट के रूप में देहरादून में इंडियन मिलिट्री अकादमी (IMA) में शामिल होने वाले हैं. अपने बड़े भाई कुणाल के इंजीनियरिंग में जाने के बाद, प्रज्वल ने अपने पिता के सपने को पूरा करने का बीड़ा उठाया, जो अंततः परिवार में सभी की इच्छा बन गया.
इससे पहले भी दे चुके एग्जाम
हालांकि, प्रज्वल के लिए यह आसान नहीं था, उन्हें इसके लिए नौ सर्विस सिलेक्शन बोर्ड (एसएसबी) इंटरव्यू का सामना करना पड़ा. टीओआई की रिपोर्ट में प्रज्वल कहते हैं, "यह मेरा आखिरी प्रयास था इसलिए मुझे एक मजबूत बैकअप योजना तैयार करनी पड़ी. मैंने कॉमन एडमिशन टेस्ट (CAT) को क्रैक किया और इस महीने भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) इंदौर और कोजीकोड से ऑफर मिला."
52 वर्षीय प्रज्वल की मां सविता ने कहा कि कारगिल युद्ध में भले ही उन्होंने अपने पति को खो दिया, लेकिन उन्होंने ठान लिया था कि उनका एक बेटा उनके सपने को पूरा करेगा. वे कहती हैं, “मेरे पति मेरे बड़े बेटे को एक आर्मी ऑफिसर बनते देखना चाहते थे. कुणाल ऐसा न कर सका, लेकिन हमें उम्मीद थी कि प्रज्वल ऐसा करेगा. मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा है.
मां हैं डाटा एंट्री ऑपरेटर
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रज्वल की मां सविता पुलगांव के आर्मी अस्पताल में डाटा एंट्री ऑपरेटर के पद पर कार्यरत हैं. उनका विवाह 1991 में कृष्णजी से हुआ था. कृष्णाजी के कारगिल जाने से पहले उनका परिवार त्रिवेंद्रम, बेलगाम और कोलकाता में रहते थे. कृष्णजी के माता-पिता नहीं रहने के कारण सविता अपने माता-पिता के घर के पास पुलगांव में रहने लगी. इसी को लेकर प्रज्वल कहते हैं, "हम सही तारीख नहीं जानते हैं लेकिन हम पापा की पुण्यतिथि 30 जुलाई को मनाते हैं."
12वीं के बाद लिया था ड्रॉप
2018 में, एनडीए एंट्रेंस की तैयारी के लिए प्रज्वल ने बारहवीं कक्षा के बाद ड्रॉप लिया था और पहला एसएसबी पास किया था. उन्होंने कहा, “मेरी सिफारिश की गई थी, लेकिन मैं मेडिकल टेस्ट में चूक गया था. उसी के बाद मैं पुणे चला गया और फर्ग्यूसन कॉलेज में बीएससी में एडमिशन लिया. मैंने एसएसबी के सात और इंटरव्यू दिए हैं. हर बार मैं स्क्रीनिंग से आगे निकल गया लेकिन कॉन्फ़्रेंस आउट (निकास) हो गया. हालांकि, इसका कारण क्या था ये नहीं बताया गया था.”
इस दौरान कई लोगों ने प्रज्वल को सेना के जीवन के खतरों के बारे में चेतावनी भी दी थी. और उन्होंने 8 एसएसबी के बाद लगभग हार मान ली थी लेकिन आखिरी बार एक बार से प्रज्वल ने ट्राई किया और सफल हुए.