पिछले कुछ समय से भारतीय रेलवे ने कई ऐसे प्रोजेक्ट्स किए हैं जो यात्रियों के लिए यात्रा को सुगम और सुविधापूर्ण बना रहे हैं. रेलवे का हाल-फिलहाल में सबसे खास प्रोजेक्ट रहा है- वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन.
वंदे भारत एक्सप्रेस भारत में पहली स्वदेश निर्मित सेमी-हाई-स्पीड ट्रेन है. यह ऑटोमेटिक दरवाजे, GPS-बेस्ड यात्री सूचना प्रणाली और ऑनबोर्ड वाई-फाई जैसी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है. ट्रेन की अधिकतम स्पीड 160 किमी/घंटा है, जो इसे भारत की सबसे तेज ट्रेनों में से एक बनाती है.
आपको बता दें कि वंदे भारत को अस्तित्व में लाने का श्रेय जाता है सुधांशु मणि को. मणि भारतीय रेलवे में मैकेनिकल ऑफिसर रहे हैं. वह इंटीग्रेटेड कोच फैक्ट्री, चेन्नई के जनरल मैनेजर पोस्ट से रिटायर हुए थे. लेकिन अपनी रिटायरमेंट से पहले उन्होंने वह कारनामा करके दिखाया जिसने भारत को दुनियाभर में एक अलग पहचान दिलाई.
हालांकि, कुछ समय पहले ही अपने एक इंटरव्यू में सुधांशु मणि ने खुलासा किया कि वंदे भारत प्रोजेक्ट के अप्रुवल के लिए उन्हें बहुत पापड़ बेलने पड़े थे. यहां तक कि उन्होंने इसके लिए रेलवे बोर्ड चेयरमैन के पैर भी पकड़ लिए थे.
रेलवे के साथ रहा 38 साल का करियर
सुधांशु मणि का करियर रेलवे के साथ 38 साल का रहा और रेलवे के कई सफल प्रोजेक्ट्स के पीछे के मास्टरमाइंड भी मणि थे. एक रेलवे कर्मचारी के रूप में उनकी यात्रा 1976 में शुरू हुई जब वह जमालपुर में भारतीय रेलवे (आईआर) में एक ट्रेनी के रूप में शामिल हुए. उन्होंने मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग संस्थान में चार वर्षीय इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम पूरा किया.
उन्होंने अपना करियर देश के पूर्वी हिस्से में, रेलवे डिवीजनों में और वर्कशॉप्स में एक अधिकारी के रूप में शुरू किया. बाद में, उन्होंने भारत और विदेशों में कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स किए. हालांकि, उन्हें सबसे ज्यादा इस बात के लिए याद किया जाता है कि उन्होंने 'ट्रेन 18' यानी कि वंदे भारत प्रोजेक्ट को बहुत कम समय में बनाया.
18 महीनों में बनाई वंदे भारत
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2016 में रलवे विदेश से हाई-स्पीड ट्रेन आयात करने का योजना बना रहा था. उसी समय मणि, रेलवे कोच फैक्ट्री के जीएम बने थे. और मणि को विश्वास था कि भारतीय रेलवे खुद यह ट्रेन बना सकता है. उन्होंने मंत्रालय के सामने प्रपोजल रखा कि वह विदेशों से एक-तिहाई कम कीमत पर और मात्र 18 महीने में इस ट्रेन को बना सकते हैं.
लेकिन उन्हें मंत्रालय से मंजूरी नहीं मिली. पर मणि यह हर हाल में करना चाहते थे. इसलिए एक बार उन्होंने रेलवे बॉर्ड के चेयरमैन के पैर ही पकड़ लिए और तब तक नहीं छोड़े जब तक अप्रुवल नहीं मिल गया. उस समय इस प्रोजेक्ट को ट्रेन 18 नाम दिया गया और बाद में इसे बदलकर, 'वंदे भारत एक्सप्रेस' कर दिया गया.
ऑपरेशनल हैं 10 वंदे भारत ट्रेनें
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह सेमी-हाई स्पीड ट्रेन सुधांशु का एक सपना था. जब वह चेन्नई की इंटीग्रेटेड कोच फैक्ट्री में जीएम थे. उन्होंने एक स्व-चालित ट्रेन की कल्पना की जो 180 किमी की गति से चल सकती है. मणि का यह सपना 50 रेलवे इंजीनियरों और 500 फैक्ट्री कर्मचारियों ने पूरा किया. आज भारत में 10 वंदे भारत ट्रेन ऑपरेशनल हैं. देखें लिस्ट: