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Fight Your Own Case: वकीलों को हजारों-लाखों की फीस देनी जरूरी नहीं... कोर्ट में खुद लड़ सकते हैं अपना केस... क्या हैं शर्तें? नियम? क्या कहता है कानून? 

Fight Your Own Case in Court: खुद का केस कोर्ट में लड़ने के लिए तैयारी, कानून की गहरी समझ और अपने मामले को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने की क्षमता की जरूरत होती है. अगर आपको अदालत की प्रक्रियाओं की समझ नहीं है, तो आपको वकील ही करना चाहिए.

How to Fight Your Own Case (Representative Image/Getty Images) How to Fight Your Own Case (Representative Image/Getty Images)
हाइलाइट्स
  • वकीलों को लाखों की फीस देनी जरूरी नहीं

  • कोर्ट में खुद लड़ सकते हैं अपना केस

Fight your own case: भारत का कानून अपने लचीलेपन की वजह से जाना जाता है. यही लचीलापन कोर्ट में खुद का केस लड़ने की अनुमति देता है. इसे "पार्टी-इन-पर्सन" (party-in-person) रिप्रजेंटेशन कहा जाता है. इसका मतलब है कि बिना किसी औपचारिक कानूनी योग्यता के व्यक्ति खुद जज के सामने अपना पक्ष रख सकते हैं. यानि बिना किसी LLB डिग्री के आप खुद का केस लड़ सकते हैं. हर्ष गर्ग की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. हर्ष ने अपने किडनैपर को वकील बनकर सजा दिलवाई है. 

2007 में हर्ष गर्ग केवल सात साल के थे. हर्ष को उत्तर प्रदेश के आगरा में अगवा कर लिया गया था. उनके पिता, रवि गर्ग, जो खुद वकील थे, ने 14 आरोपियों के खिलाफ केस दायर किया था. सालों तक हर्ष ने अदालत की सुनवाइयों में भाग लिया और कानूनी प्रक्रियाओं को देखा.  इन्हीं से प्रेरणा लेते हुए हर्ष ने वकील बनने का फैसला किया. 

ग्रेजुएशन के बाद, हर्ष ने 2022 में आगरा कॉलेज से अपनी LLB पूरी की और अगले साल बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन कराया. अपने मुकदमे के दौरान, उन्होंने प्रॉसिक्यूशन टीम में शामिल होकर 2024 में खुद आखिरी दलीलें दीं. कोर्ट ने इस केस में आठ आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. 

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क्या आप खुद कोर्ट में अपना केस लड़ सकते हैं?
भारत में, व्यक्तियों को खुद कोर्ट में अपना पक्ष रखने का संवैधानिक अधिकार है. संविधान का अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है, साथ ही ये निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार भी देता है. इसमें यह विकल्प भी शामिल है कि व्यक्ति बिना वकील के अपनी खुद की लड़ाई लड़ सकते हैं.

दरअसल, वकील रखना काफी महंगा हो सकता है, खासकर लंबे समय तक चलने वाले मामलों में जिनमें कई सुनवाईयां और मुकदमे होते हैं. साथ ही कुछ व्यक्तियों का अपने केस से गहरा जुड़ाव होता है, वे खुद का केस लड़ना चुनते हैं. इसका अलावा, जिन व्यक्तियों के पास कानूनी समझ होती है या उनका लॉ बैकग्राउंड होता है, वे खुद अपना केस लड़ने में आत्मविश्वास महसूस कर सकते हैं.

अपने केस को कैसे खुद लड़ सकते हैं? 
खुद का केस लड़ने से पहले, आपको कानून की धाराओं और प्रक्रियाओं की पूरी जानकारी होनी चाहिए. इसके अलावा, जब आप खुद अपना केस लड़ रहे हों, तो तैयारी सबसे जरूरी होती है. सभी संबंधित दस्तावेज, साक्ष्य और गवाह के बयानों को इकट्ठा और व्यवस्थित करें. अपनी दलीलों को तैयार करें. 

किसकी परमिशन लेनी होती है?
हालांकि कोई भी खुद का केस लड़ सकता है, लेकिन कुछ मामलों में जज से अनुमति की जरूरत होती है.  जैसे:

-हाई प्रोफाइल केस: कुछ मामलों में अदालत को यह महसूस हो सकता है कि व्यक्ति को वकील करना चाहिए, खासकर जब कानूनी मुद्दा ज्यादा पेचीदा हो. 

-किसी और का नहीं लड़ सकते केस: आप खुद का प्रतिनिधित्व तो कर सकते हैं, लेकिन आप किसी और का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते, जब तक कि आप वकील न हों. अदालत कुछ मामलों में करीबी परिवार के सदस्यों को इसकी अनुमति दे सकती है. 

खुद का केस लड़ने के लिए, आपको कोर्ट में एक आवेदन जमा करना पड़ सकता है, जिसमें यह बताया गया हो कि आप पार्टी-इन-पर्सन के रूप में काम करेंगे. कोर्ट इस आवेदन की समीक्षा करेगी. हालांकि, अगर कोर्ट को लगता है कि आप बिना किसी कानूनी मदद के खुद का केस लड़ सकते हैं, तभी आपको अनुमति दी जाएगी. 

कई लोग लड़ते हैं अपना केस 
1. सुब्रमण्यम स्वामी

डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी कोर्ट में खुद का प्रतिनिधित्व करने वाले सबसे बड़े उदाहरण हैं. भले ही उनके पास LLB की डिग्री नहीं है, लेकिन सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने कई मामलों में खुद का केस लड़ा है. उन्हें संविधान और कानूनी प्रावधानों की गहरी समझ है. साथ ही सुब्रमण्यम स्वामी तर्कों को संभालना भी जानते हैं. सुब्रमण्यम स्वामी ने भ्रष्टाचार, राष्ट्रीय सुरक्षा, और राजनीतिक मामलों से जुड़े कई मामलों में खुद का पक्ष कोर्ट में रखा है. 

2. अरविंद केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने से पहले, अरविंद केजरीवाल ने कई कानूनी लड़ाइयां एक एंटी-कर्रप्शन एक्टिविस्ट के रूप में लड़ीं. केजरीवाल ने मानहानि और नागरिक अधिकारों से जुड़े मामलों में कोर्ट में खुद का केस लड़ा है. 

3. शोएब इकबाल का मानहानि मामला

दिल्ली के एक राजनेता शोएब इकबाल ने अपने खिलाफ दायर मानहानि मामले में खुद का प्रतिनिधित्व किया था. उन्होंने तर्क दिया कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे और अपमानजनक थे. 

खुद का केस कोर्ट में लड़ने के लिए तैयारी, कानून की गहरी समझ और अपने मामले को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने की क्षमता की जरूरत होती है. अगर आपको अदालत की प्रक्रियाओं की समझ नहीं है, तो आपको वकील ही करना चाहिए.