यूपी के बांदा में कृषि विभाग ने किसानों को लेकर एडवाइजरी जारी कर दी है. साथ ही यह भी कहा कि पराली जलाने को लेकर सेटेलाइट से लगातार निगरानी रखी जा रही है.अगर कहीं पराली जलती मिली तो सम्बंधित के खिलाफ 15000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. कृषि विभाग ने कहा कि पराली जलाने से कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी जहरीली गैस निकलती है, जिससे पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. जिससे सांस से जुड़ी गंभीर बीमारियां होती हैं.
क्षेत्र के हिसाब से लगेगा जुर्माना
सूचना विभाग के माध्यम से कृषि विभाग बांदा ने प्रेस नोट जारी करते हुए बताया कि अक्टूबर और नवंबर महीने में सेटेलाइट के माध्यम से 24 घंटे निगरानी रखी जा रही है. शासन द्वारा भी पराली जलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए गए हैं. दो एकड़ से कम क्षेत्र में घटना के लिए 2500 रुपये, 2 से 5 एकड़ में 5000 और 5 एकड़ से ज्यादा वाले क्षेत्र में 15000 रुपये तक के जुर्माने की वसूली की जाएगी.
सभी किसानों से की गई है अपील
कृषि उपनिदेशक विजय कुमार ने पराली प्रबंधन के लिए किसानों से अपील की है कि सभी पराली इकट्ठा कर गौशाला को दान करें या कम्पोस्ट के रूप में उपयोग कर लें. पराली या फसलों के अवशेष को वेस्ट डिकम्पोजर के माध्यम से खाद बनाकर उसको उपयोग कर सकते हैं. वर्तमान वित्तीय वर्ष में "पराली दो खाद लो" कार्यक्रम को बांदा जिले में शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है.
पराली जलाने के हैं अपने कई नुकसान
कृषि अधिकारी ने यह भी बताया कि पराली जलाने से खेतों की उर्वरक शक्ति कम होती है, खेतों को फायदा देने वाले जीवाणुओं की संख्या कम हो जाती है, साथ ही इसके जलने से हानिकारक गैसे जैसे कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड निकलती हैं, जो वातावरण में बढ़ने से मानव जीवन को खतरा पैदा करती हैं. जिससे सांस से जुड़ी बीमारियां होने की संभावना रहती है. इसलिए सभी किसान पराली न जलाए ऐसी अपील की गई है.
पराली से बन सकती है खाद
कृषि विज्ञान केंद्र बांदा के वैज्ञानिक डॉक्टर चंचल सिंह ने बताया कि पराली को पशुशाला में नीचे डालकर उससे कम्पोस्ट खाद बनाई जा सकती है, जिससे खेत की उर्वरक शक्ति बनी रहे. इसलिए मौजूद वैज्ञानिकों ने अवशेष को खाद बनाकर उपयोग करने की अपील की है.
जिले में पराली जलाने से किसानों को रोकने के लिए ग्राम प्रधानों से लगाकर, बीडीसी सदस्य, जिला पंचायत सदस्य सहित अन्य विभागों के अफसरों के माध्यम जागरूक करके रोकने की मुहिम चलाई जा रही है.
(सिद्धार्थ गुप्ता की रिपोर्ट)
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