Lalu Yadav Chara Ghotala Case: चारा घोटाला के सबसे बड़े मामले डोरंडा ट्रेजरी केस में रांची की सीबीआई की विशेष अदालत ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को दोषी ठहराया है. चारा घोटाला के चारों मामले में ये सबसे बड़ा घोटाला है. 1990 से 1995 के बीच जब लालू प्रसाद यादव संयुक्त बिहार के मुख्यमंत्री थे तब डोरंडा ट्रेजरी से 139.35 करोड़ रुपए की अवैध निकासी हुई थी. 1996 में अवैध निकासी को लेकर केस दर्ज किया गया. जब केस दर्ज किया गया था तब 170 लोग आरोपी बनाए गए थे. वर्तमान में 99 आरोपी ट्रायल फेस कर रहे थे.
डोरंडा ट्रेजरी केस में लालू यादव को सजा अभी नहीं सुनाई गई है. सजा का ऐलान होना है. अगर इस मामले में लालू को तीन साल से कम की सजा सुनाई जाती है तो उन्हें बेल मिल जाएगी. अगर तीन साल से अधिक की सजा सुनाई जाती है तो बेल नहीं मिलेगी. इसके बाद लालू को गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
क्या है पूरा मामला?
लालू यादव के मु्ख्यमंत्री रहते संयुक्त बिहार में चारा घोटाला हुआ था. इसमें चाईबासा से जुड़ा दो, देवघर, दुमका और डोरंडा के एक मामले हैं. डोरंडा कोषागार मामले को छोड़कर बाकी तीनों मामलों पर पहले भी फैसला आ चुका है और लालू अभी जमानत पर बाहर हैं. लेकिन, डोरंडा कोषागार का मामला लंबे समय से कोर्ट में चल रहा था और इस पर फैसला आना बाकी था. लालू यादव समेत बिहार के मंत्री, नेता और अफसरों ने मिलकर फर्जीवाड़े की नई कहानी रच दी थी. कुल 139 करोड़ 35 लाख रुपए डोरंडा कोषागार से अवैध रूप से निकाले गए थे. इसमें जानवरों को ढोने के लिए फर्जी कागजात दिखा दिए गए. फर्जी कागजात पर पूरा खेल चला और जब इसकी जांच हुई तब सामने आया कि जानवरों को ढोने की बजाय सिर्फ कागजात बनाकर अवैध रूप से पैसे निकाले गए.
वो पल...जब तेजस्वी ने पिता से शेयर की थी दिल की बात, बोले थे लालू-ओकरा घर में ना घुसे देब!
सीबीआई डोरंडा कोषागार मामले की जांच कर रही थी. जांच में यह सामने आया कि 400 सांड के हरियाणा और दिल्ली से रांची लाया गया. गाड़ियों के जो नंबर दिए गए उसकी जांच की गई. जांच में यह सामने आया कि जिन गाड़ियों के नंबर कागजात पर लिखे थे वह स्कूटर और बाइक के नंबर थे. साथ ही कई टन चारा स्कूटर और बाइक पर ही ढोए गए. जांच में यह सामने आया कि सारे कागजात गलत तरीके से तैयार किए गए थे और मंत्री, नेता, अफसर और कर्मचारी सभी की इसमें मिलीभगत थी.
चारा घोटाला के इन मामलों में मिल चुकी लालू को सजा
चाईबासा के पहले मामले में 37.7 करोड़ रुपए और दूसरे मामले में 33.67 करोड़ रुपये की अवैध निकासी का आरोप था. पहले केस में लालू को पांच साल की सजा और दूसरे केस में भी 5 साल की सजा सुनाई गई. देवघर ट्रेजरी से 84.53 लाख रुपए निकाले गए और इसमें लालू को 5 साल की सजा मिली. दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ रुपये की अवैध निकासी मामले में दो अलग-अलग धाराओं में 7-7 साल की सजा सुनाई गई और 60 लाख रुपए जुर्माना लगाया गया.