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अब चुनाव प्रचार खर्च में नौटंकी और लोकगीत भी होंगे शामिल, निर्वाचन आयोग ने जारी की रेट लिस्ट

चुनाव सभाओं में उम्मीदवार लोक गायकों के जरिए प्रचार करवाना चाहें तो लोकगीत, बिरहा, कव्वालियां या आल्हा गाने वाले लोकगायकों को साढ़े पांच हजार रुपए प्रति दिन के हिसाब से भुगतान करना होगा.

चुनाव प्रचार खर्च की रेट लिस्ट चुनाव प्रचार खर्च की रेट लिस्ट
हाइलाइट्स
  • प्रशासन से इजाजत लेकर की गई सभाओं के लिए दरी बारह रुपए और कुर्सी सात रुपए प्रति की दर से मंगाई जा सकती हैं.

  • कहां कितनी धनराशि खर्च की जा सकती है इसकी पूरी सूची जारी.

देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. चुनावी मैदान में उतरने वाली राजनैतिक पार्टियां कोविड प्रोटोकॉल के बीच चुनाव जीतने के लिए प्रचार कर रही हालांकि राजनीतिक दलों ने वर्चुअल प्रचार और रैली की योजना पर पहले ही काम करना शुरू कर दिया था. पिछले 5-6 सालों में मतदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए निर्वाचन आयोग ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव खर्च की सीमा बढ़ा दी है. अब विधायकी के उम्मीदवार चुनाव प्रचार में 28 लाख रुपए तक खर्च कर सकेंगे. पहले ये सीमा बीस लाख रुपए थी. शहरी इलाकों और बड़े चुनाव क्षेत्रों में 28 लाख रुपए की अधिकतम खर्च सीमा को बढ़ाकर 40 लाख रुपए कर दिया गया है. 

इसके साथ ही अब विधान सभा चुनाव खर्च में वर्चुअल प्रचार के साथ नाटक,नौटंकी, भांड मिरासी का खर्च भी शामिल होगा. लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव आम चुनाव में नाटक-नौटंकी, आल्हा-बिरहा सब होता है. लेकिन इस पर किया गया खर्च अब तक रोकड़ खाते में शामिल नहीं होता था. लेकिन अब मौजूदा विधान सभा चुनावों के लिए जारी निर्वाचन आयोग की चुनाव प्रचार में हुए खर्च की मंजूरशुदा रेट लिस्ट में ये सब शामिल है. जनवरी की शुरुआत में निर्वाचन आयोग ने राज्य विधानसभा चुनावों के लिए खर्च की सीमा 28 लाख रुपये से बढ़ाकर 40 लाख रुपये कर दी थी. अब उन खर्चों का ब्योरा यानि कहां कितनी धनराशि खर्च की जा सकती है या खर्च के ब्यौरे में दिखाई जा सकती है इसकी पूरी सूची जारी कर दी है. 

कहां कर सकते हैं कितना खर्च 

ये खर्च महंगाई बढ़ने के साथ साथ वर्चुअल मोड में प्रचार के साथ ही डिजिटल और सोशल मीडिया पर होने वाले प्रचार अभियान के अतिरिक्त खर्च को ध्यान में रखते हुए बढ़ाया गया है. अब आयोग और प्रचार में लगे उम्मीदवारों के लिए चुनौती है कि वो इन मदों में खर्च  कैसे दिखाएंगे और आयोग के उड़नदस्ते उन पर कैसे अपनी पैनी निगाह रखेंगे. चुनाव सभाओं में उम्मीदवार लोक गायकों के जरिए प्रचार करवाना चाहें तो लोकगीत, बिरहा, कव्वालियां या आल्हा गाने वाले लोकगायकों को साढ़े पांच हजार रुपए प्रति दिन के हिसाब से भुगतान करना होगा. कठपुतली, जादू और खेल तमाशों के जरिए एक्चुअल या वर्चुअल मोड से चुनाव प्रचार करने के लिए इन कलाकारों को ढाई हजार यानी 2500 रुपए प्रतिदिन के दर से देना होगा.  

बैंड पार्टी को 3500 रुपए तक रोजाना का भुगतान

राजनीतिक लघु नाटिका, नृत्य यानी रंगमंच के जरिए उम्मीदवार के समर्थन में चुनाव प्रचार कर माहौल बनाने वाले कलाकार दलों को 6000 रुपए, बड़े सांस्कृतिक दलों को 8000 रुपए की दर से भुगतान करना होगा. चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक नाटक-नौटंकी,भांड, मिरासी दल को 3500 रुपए रोजाना, ढोल खंजरी दल को हजार रुपए और बैंड बाजा पार्टी को 3500 रुपए तक रोजाना का भुगतान किया जा सकता है, इससे ज्यादा नहीं.  लेकिन ऐसे आयोजन करने के लिए चुनाव अधिकारी से पहले लिखित मंजूरी लेनी होगी. यानि प्रशासन तय करेगा कि कोरोना संक्रमण के इन हालातों में कहां तक इजाजत दी जा सकती है. 

होटल के कमरे का किराया 1100 से 1800 रुपये तक

रेट लिस्ट में टेंट, कुर्सी, टेबल, पानी पीने के लिए सिंगल यूज के ग्लास, प्लेट चम्मच सबके भाव तय किए गए हैं. यानि तय दर के मुताबिक प्रशासन से इजाजत लेकर की गई सभाओं के लिए दरी बारह रुपए और कुर्सी सात रुपए प्रति की दर से मंगाई जा सकती हैं. दर्जन भर टोपियों पर खर्च 70 रुपए से अधिक नहीं किया जा सकेगा. प्रचार के लिए अनगिनत कार्यकर्ता नहीं जा पाएंगे. चुनाव प्रचार में इस्तेमाल होने वाले लाउडस्पीकर का किराया 1900 रुपये प्रति दिन के हिसाब से प्रत्याशी के खर्च में जोड़ा जाएगा. होटल में रुकने के लिए कमरे का किराया 1100 से 1800 रुपये तक होगा. जेनरेटर का खर्च 506 रुपये प्रतिदिन, बाल्टी 4 रुपये प्रति नग, ट्यूबलाइट 60 रुपये, खाना 120 रुपये प्रति व्यक्ति, कोल्डड्रिंक 90 रुपये प्रति दो लीटर व बैज बिल्ला 600 रुपये सैकड़ा के हिसाब से खर्च में जोड़ा जाएगा.