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Forest Fire: देश भर में फैल रही है जंगल की आग, जानिए कहां कितना हुआ नुकसान और कैसे पा सकते हैं इस पर काबू

देश के जंगल मार्च के इस महीने में जल रहे हैं. सबसे ताजा मामला गोवा है. जहां के जंगल में एक हफ्ते से आग लगी हुई है और ये आग लगातार फैलती जा रही है. हालात को देखते हुए वायु सेना को आग बुझाने के काम में लगाया गया है. जिसके Mi-17 हेलिकॉप्टर लगातार पानी का छिड़काव कर आग बुझाने में जुटे हैं.

देश भर में फैल रही है जंगल की आग देश भर में फैल रही है जंगल की आग
हाइलाइट्स
  • जंगल में ऐसे रोक सकते हैं आग

  • देश भर में फैल रही है जंगल की आग

FSI यानी फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के मुताबिक 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों वाले देश के 23 राज्यों के जंगलों में इस समय आग लगी है. 15 फरवरी से जून तक फायर सीजन होता है. मार्च के सिर्फ 14 दिन ही बीते हैं. ठीक से गर्मी पड़नी अभी शुरू भी नहीं हुई है. फिर भी 12 दिनों में देश के जंगलों में 42,799 बार आग लग चुकी है. 

फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के मुताबिक पिछले साल की तुलना में इस बार जंगलों में 19,929 बार ज्यादा आग लगी है. फरवरी में महज 7.2 मिलीमीटर बारिश यानी ना मात्र की वर्षा होने से. 1 मार्च से 12 मार्च तक जंगलों की आग में 115 फीसदी का इजाफा हुआ है. मौसम विभाग के अनुसार साल 1901 के बाद इस साल फरवरी. छठा सबसे कम बारिश वाला महीना साबित हुआ. मार्च के शुरुआती 13 दिनों में भी पूरे देश में बारिश में 77 फीसदी कमी दर्ज की गई है. जो फरवरी की तुलना में ज्यादा है.जिसकी वजह से सिर्फ 13 मार्च को ही पूरे देश में जंगल की 772 बड़ी आग लगी है. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के मुताबिक पतझड़ के मौसम में इस बार हर बार की तुलना में ज्यादा तापमान है. सूखी हुई जमीन और गर्मी की वजह से ही जंगल में ज्यादा आग लगने का खतरा बढ़ गया है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि कहां कितनी आग लगी है. 

कहां कितनी आग लगी?
FSI के मुताबिक सबसे ज्यादा आग ओडिशा में 202 जगहों पर आग लगी है. 
मिजोरम में 110 जगहों पर आग लगी है.
छत्तीसगढ़ में 61 जगहों पर आग जल रही है.
मेघालय में 59 जगहों पर आग सुलगी है.
मणिपुर में 52 जगहों पर आग लगने की रिपोर्ट आ चुकी है.
आंध्र प्रदेश में 48 जगहों पर आग जल रही है.
असम के जंगलों में 43 जगहों पर आग बुझाने की कोशिश चल रही है.
तेलंगाना में 33 जगहों पर आग जल रही है.
मध्यप्रदेश की बात करें तो वहां 27 जगहों पर आग लगने की पुष्टि हो चुकी है.
मध्यप्रदेश की तरह महाराष्ट्र में भी जगहों पर आग बुझाने के लिए वन विभाग और दमकल विभाग जुटा हुआ है.
नगालैंड में हाल बुरे हो चुके हैं. वहां 23 जगहों पर आग लगने की रिपोर्ट आ चुकी है.
झारखंड में भी 23 जगहों पर आग लगी है.
कर्नाटक में 20 जगह...अरुणाचल प्रदेश में 13 लोकेशन पर आग लगी है.
प.बंगाल और तमिलनाडु में भी 8-8 जगहों पर आग की खबर कंफर्म हो चुकी है.
केरल में 6 जगह, बिहार में 4 जगह में आग बुझाने के लिए मशक्कत की जा रही है.
त्रिपुरा-उत्तराखंड-उत्तर प्रदेश-गुजरात-सिक्किम में एक-एक जगह पर आग सुलग चुकी है.

क्या होते हैं आग लगने के बड़े कारण?
आग लगने के कई कारण होते हैं, कई बार ज्यादा गर्मी से, कभी बिजली गिरने से. कभी बारिश की कमी से आग लग जाती है. कभी-कभी लोगों की लापरवाहियां भी आग लगने की वजह बनती हैं. सैर सपाटा पर गए लोगों की छोटी सी चूक पूरे जंगल पर भारी पड़ जाती है. जिसका नुकसान पेड़-पौधों के साथ जंगली जानवरों को भी होता है. लाखों-करोड़ों की वन संपदा जलती ही है, जंगल में रहने वाले जीव-जन्तुओं की कई प्रजातियां भी आग में जलकर खाक हो जाती है. इंसानी लापरवाहियों से लगने वाली आग को हम रोक सकते हैं, अगर कुछ खास बातों का ध्यान रखें.

जंगल में ऐसे रोक सकते हैं आग
जंगल के आसपास कुछ भी जलाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. कई बार पर्यटक जंगलों में सिगरेट जला लेते हैं और बिना ठीक से बुझाए उसे फेंक देते हैं. इससे सूखे पत्तों में आग लगती है और वो फैल कर बड़ी बन जाती है. कई बार जंगलों में बने रिसोर्ट में लोग कैम्प फायर करते हैं. इसमें जरा सी भी लापरवाही हुई तो वो जंगल को जला सकती है. इसलिए जंगल के बीच बॉन फायर न करें, अगर कर रहे हैं तो उसे लावारिस न छोड़ें, उसे बुझाते समय, ढेर सारा पानी डालें. फिर ये देख लें कि कहीं भी अंगारे ना बचे हों. कई बार पर्यटक कचरों को भी जलाने की कोशिश करते हैं. इसके पीछे सोच अच्छी होती है पर तरीका गलत. वो चाहते हैं कि जंगल में गंदगी न फैले, पर जलता हुआ कचरा पूरे जंगल को खाक कर सकता है. इसलिए कचरा को इकट्ठा कर उसे जंगल के बाहर डिस्पोज करना चाहिए. जंगल के आसपास कभी भी माचिस या लाइटर जैसी चीजों से नहीं खेलना चाहिए.

भारत में सजा का प्रावधान
जाने-अनजाने लोग लापरवाहियां बरतते हैं जिसकी कीमत पेड़-पौधे, जीव जंतु चुकाते हैं. इन लापरवाहियों पर कानून काफी सख्त है, सजा का भी प्रावधान है. भारतीय वन अधिनियम, 1927 के तहत राज्य सरकारों की तरफ से तय रिजर्व फॉरेस्ट में आग लगाना या किसी जलती हुई चीज को छोड़ना एक दंडनीय अपराध है. इस तरह की किसी हरकत के लिए आरोपी पर एक हजार रुपए का जुर्माना लग सकता है. आग लगने से जंगल को हुए नुकसान की भरपाई भी आरोपी से किए जाने का प्रावधान है. आरोपी के चारागाह या वन उपज से जुड़े अधिकार भी खत्म कर दिए जा सकते हैं. दोषी पाए जाने पर व्यक्ति को छह महीने की सजा भी हो सकती है.

क्या कहते हैं आंकड़े?
हालांकि सजा के प्रावधान के बावजूद लोगों की लापरवाहियों की वजह से हर साल भारत के कई जंगलों में आग लग जाती है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जंगलों की निगरानी करने वाली संस्था- ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच के अनुसार साल 2021 में जनवरी से अप्रैल के ही बीच भारत के जंगलों में ही आग के 15 हजार से ज्यादा मामले सामने आए थे. 2020 की तुलना में 2021 में आग लगने की घटनाओं में काफी इजाफा हुआ. जिसकी वजह से हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, असम और बिहार के जंगल आग से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए. इन राज्यों में खेतों, फसलों, पौधों, इकोलॉजिकल सिस्टम के लिए भी खतरा पैदा हो गया है. दिन और रात में होने वाले तापमान में भारी बदलाव की वजह से मिट्टी की उर्वरता यानी उत्पादकता कम होने की भी आशंका खड़ी है.