देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था. उनके पिता कृष्णा बिहारी स्कूल टीचर व कवि थे. अटल बिहारी वाजपेयी ने लखनऊ के लॉ कॉलेज में पढ़ने के लिए आवेदन दिया था, लेकिन फिर उनका पढ़ाई में मन नहीं लगा और वे आरएसएस द्वारा पब्लिश मैगजीन में एडिटर का काम करने लगे. वाजपेयी को एक बहुत अच्छे पत्रकार, राजनेता व कवि के रूप में जाना जाता है. वह कभी हार और राजनीति में रार नहीं मानते थे.
जनसंघ से 1951 में जुड़े
अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति में पहला कदम अगस्त 1942 में तब रखा जब उन्हें और बड़े भाई प्रेम को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 23 दिनों के लिए गिरफ्तार किया गया. डीएवी कॉलेज के दिनों में वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े और कानपुर में ही 1951 में जन संघ की स्थापना के दौरान संस्थापक सदस्य बन गए.
लखनऊ को कर्मभूमि बनाया
लखनऊ अटल की जन्मभूमि नहीं थी, लेकिन लखनऊ को उन्होंने कर्मभूमि बनाया. भाजपा से नाराज दिखने वाले मुसलमानों के दिल में भी अटल के लिए जगह रहती है. लखनऊ से अटल बिहारी वाजपेयी वर्ष 1991, 1996, 1998, 1999, 2004 में सांसद रहे.
पहली बार 1955 में लोकसभा चुनाव लड़ा
पहली बार 1955 में लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा. 1957 में जनसंघ ने उन्हें तीन लोकसभा सीटों लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर से चुनाव लड़ाया. जिसमें बलरामपुर सीट से जीत मिल सकी. 1957 से 1977 तक (जनता पार्टी की स्थापना तक) जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे. 1968 से 1973 तक वे भारतीय जनसंघ के राष्टीय अध्यक्ष पद पर आसीन रहे. 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री रहे. 1996 में पहली बार प्रधानमंत्री बने. अटल बिहारी वाजपेयी इतने चर्चित और लोकप्रिय थे कि उन्होंने एक अलग कीर्तिमान स्थापित किया. वह पहले ऐसे सांसद बने जिन्हें चार राज्यों यूपी, एमपी, गुजरात और दिल्ली से चुना गया.
सम्मान
1992 – पद्म विभूषण
1994 – लोकमान्य तिलक अवार्ड
1994 – बेस्ट सांसद अवार्ड
1994 – पंडित गोविन्द वल्लभ पन्त अवार्ड
2015 – भारत रत्न
कभी कोई धुर विरोधी नहीं रहा
अटल बिहारी जब राजनीति में आए तो उस समय जवाहरलाल नेहरू, राम मनोहर लोहिया जैसे देश में कद्दावर नेता थे. इसके बावजूद अटल ने संघर्ष कर अपनी पहचान बनाई. उनका कभी कोई विरोधी नहीं रहा. जवाहरलाल नेहरू जब प्रधानमंत्री थे, तब लोकसभा में अटल की सीट पीछे थी, लेकिन वह अपनी बात जरूर रखते थे. रक्षा से जुड़े किसी मुद्दे पर अटल ने हिंदी में सवाल पूछा, तो नेहरू ने भी स्वेच्छा से हिंदी में ही जवाब दिया. भाजपा की मजबूत नींव अटल जी ने ही रखी.अटल जी ने कभी शादी नहीं की. 27 मार्च 2015 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उनके आवास पर जाकर उन्हें देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान प्रदान किया, देश में यह प्रथम बार हुआ जब राष्ट्रपति ने स्वयं अटल बिहारी वाजपेयी के आवास पर जाकर उन्हें भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया.