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कोलकाता के इस बुक स्टोर में मिलती हैं ‘एंटीक किताबें’, कंप्यूटर के बजाय रखते हैं हाथ से लिखा है रिकॉर्ड

1984 से इस दुकान पर आ रहे कौशिक गुहा कहते हैं कि प्रोबीर के पास अनुभव है, क्योंकि उन्होंने भी उन किताबों का अध्ययन किया है. मुझे लगता है कि पुस्तक विक्रेताओं को कौशल विकसित करने और एक पुस्तक का चयन करने में सक्षम होने के लिए भी पढ़ने की जरूरत होती है.

Anahayan Book store Anahayan Book store
हाइलाइट्स
  • 1982 में की बुक स्टोर की शुरुआत

  • कंप्यूटर के बजाय हाथ से लिखा है किताबों का रिकॉर्ड

अगर आप भी बुक लवर हैं और आपको भी कुछ ऐसी किताबों का शौक है जो बहुत रेयर हों या फिर जो बहुत पुरानी हों, तो कोलकाता की एक 40 साल पुरानी दुकान आपके काम की है. कोलकाता के गरियाहाट बाजार में ‘अनाहयान’ नाम के एक बुक स्टोर में आपको एंटीक (Antique) किताबें मिल सकती हैं. यहां कुछ ऐसी किताबें मिलती हैं जो काफी साल पुरानी और अलग हैं और जो आम दुकानों पर नहीं मिल पाती हैं.

कोलकाता के इस एंटीक बुक स्टोर ‘अनहयान’ में ज्यादातर किताबें कला और साहित्य पर आधारित है. जबकि इनमें से कई किताबें ऐसी हैं जो काफी अलग हैं और बेशकीमती हैं.

Book store
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1982 में की बुक स्टोर की शुरुआत 

‘अनहयान’ के मालिक प्रोबीर चटर्जी कहते हैं, "जब मैंने 1982 में इस स्टोर की शुरुआत की, तो मैं लिटिल मैगजीन, मार्क्सवाद से संबंधित किताबें, फिक्शन जैसी अलग-अलग किताबें रखता था. तब मैंने देखा कि लोगों को लिटिल मैगजीन और अन्य किताबें पसंद हैं और मैंने सोचा कि मुझे इस कलेक्शन का विस्तार करना चाहिए. मैंने बांग्लादेश से साहित्य के विद्वानों की तलाश शुरू की और बांग्लादेश से कुछ अच्छी किताबें ले लीं. जब मैंने इसे शुरू किया, तो लोगों ने मुझे प्रोत्साहित किया और इनकी काफी बहुत मांग भी थी. छात्र जादवपुर विश्वविद्यालय से आने लगे और मुझसे ये रेयर और कहीं न मिलने किताबें मांगने लगे.” 

1984 से इस दुकान पर आ रहे कौशिक गुहा कहते हैं कि प्रोबीर के पास अनुभव है, क्योंकि उन्होंने भी उन किताबों का अध्ययन किया है. मुझे लगता है कि पुस्तक विक्रेताओं को कौशल विकसित करने और एक पुस्तक का चयन करने में सक्षम होने के लिए भी पढ़ने की जरूरत होती है. 

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कंप्यूटर के बजाय हाथ से लिखा है किताबों का रिकॉर्ड 

आपको बता दें, इस दुकान पर आज सैकड़ों पुस्तकें हैं, जिनमें से अलग-अलग किताबों की डिटेल्स को सेव करने के लिए कंप्यूटर का उपयोग करने के बजाय एक हाथ से लिखा रिकॉर्ड रखा जाता है. चटर्जी ज्यादातर किताबें इसलिए पढ़ते हैं ताकि वह जान सके कि ग्राहक कौन सी पुस्तक मांग रहा है. चूंकि सभी किताबें दुकान में फिट नहीं हो सकती हैं और कुछ दुर्लभ किताबें वे अपने घर पर रखते हैं. 

चटर्जी कहते हैं, "मेरे पास एक व्यक्तिगत कैटलॉग है, मैंने अभी तक कंप्यूटर की मदद नहीं ली है. मुझे पता है कि कौन सी किताब कहां है. मैं बता सकता हूं कि कौन सी किताब कहां मिल सकती है.”

कोविड -19 के बाद आई किताबों की बिक्री में कमी 

उन्होंने आगे बताया की कोविड -19 महामारी के दौरान चीजें ऑनलाइन होने के बाद किताबों के कारोबार में गिरावट आई है. पुस्तक व्यवसाय को खतरा हो रहा है क्योंकि छात्र ऑनलाइन किताबें पढ़ रहे हैं. वे कहते हैं, “मुझे लगता है कि अभिभावकों को ध्यान रखना चाहिए कि पेपरबैक किताबें अभी भी उनके लिए प्रासंगिक हैं.

 

(प्रेमा राजाराम की रिपोर्ट)