फ्रांस में महिलाओं को गर्भपात का संवैधानिक अधिकार दिया गया है. फ्रांस ऐसा करने वाला दुनिया का पहले देश बन गया है. इस कानून के आने से महिलाओं को गर्भपात की आजादी मिल जाएगी. इसके लिए राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने संसद के दोनों सदनों का विशेष सत्र बुलाया था. संयुक्त सदन में इस बिल के पक्ष में 780 वोट पड़े, जबकि विरोध में 72 सांसदों ने वोट डाला. फ्रांस में साल 1974 से महिलाओं को गर्भपात का कानूनी अधिकार मिला है. लेकिन अब इसमें बदलाव किया गया है और इसे संवैधानिक अधिकार बना दिया गया है. चलिए आपको बताते हैं कि गर्भपात को लेकर भारत में क्या कानून हैं.
भारत में गर्भपात को लेकर क्या है कानून-
भारत में गर्भपात को लेकर साल 1971 का मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट लागू है. कुछ खास हालात में 20 हफ्ते तक के गर्भ को गिराने की इजाजत है. इस कानून के मुताबिक एक रजिस्टर्ड डॉक्टर गर्भपात कर सकता है. लेकिन इसके लिए कुछ परिस्थितियां तय की गई हैं. अगर गर्भवती महिला की सेहत को खतरा हो या भ्रूण के गंभीर मानसिक तौर से पीड़ित होने की आशंका हो या प्रसव होने पर शारीरिक असामान्यताएं हो सकती हों, तब जाकर गर्भपात की इजात मिलती है. साल 2021 में इस कानून में संशोधन किया गया और इस अवधि को 24 हफ्ते तक बढ़ा दिया गया है. हालांकि इसके लिए बलात्कार, एक ही परिवार के सदस्यों के बीच अवैध संबंध, नाबालिग, मानसिक या शारीरिक तौर पर बीमार महिलाओं को ही इजाजत है. इस अधिकार के साथ यह भी तय किया गया है कि इसके लिए दो रजिस्टर्ड डॉक्टरों की मंजूरी जरूरी होगी.
इसके अलावा भ्रूण में किसी तरह की विकलांगता या दूसरे समस्या होने पर गर्भपात की इजाजत मिल सकती है. इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं है. लेकिन इसके लिए राज्य सरकार के बनाए गए डॉक्टरों के विशेष मेडिकल बोर्ड से इजाजत लेनी होगी.
गर्भनिरोधक के बावजूद गर्भवती होने पर क्या है कानून-
अगर कोई महिला गर्भनिरोधक के बावजूद गर्भवती हो जाती है तो इसके लिए कानून में प्रावधान किया गया है. कानून में बताया गया है कि अगर गर्भावस्था गर्भनिरोधक विफलता का नतीजा है तो यह अपने आप मानसिक सदमा माना जाएगा और गर्भपात की इजाजत होगी. गर्भपात कहां हो सकता है? इसको लेकर भी कानून में जिक्र है. गर्भपात सरकारी अस्पताल या सरकार से मान्यता प्राप्त जगहों पर ही हो सकता है.
साल 1971 से पहले भारत में क्या थे नियम-
साल 1971 से पहले भारत में गर्भपात को अपराधा माना जाता था. आईपीसी की धारा 312 के अनुसार इसे आपराधिक कृत्य माना गया था. हालांकि इसके साथ ही महिलाओं की जान बचाने के लिए गर्भपात की इजाजत थी. गर्भपात कराने में मदद करने वालों को तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान था. जबकि महिला को 7 साल की सजा और जुर्माना भरना पड़ता था. जब भारत में गैरकानूनी गर्भपात की घटनाएं बढ़ने लगी तो सरकार ने इसको लेकर सरकार ने एक कमेटी बनाई. शांतिलाल शाह की इस कमेटी ने गर्भपात को लेकर कानून का ड्राफ्ट तैयार किया. साल 1970 में इसे संसद में पेश किया गया, जो अगले साल पास हुआ.
इन देशों में पूरी तरह से बैन है गर्भपात-
दुनिया में कई देशों में गर्भपात पूरी तरह से बैन है. ऐसे कुल 24 देश हैं, जहां गर्भपात नहीं कराया जा सकता है. इसमें सेनेगल, मौरितानिया, मिस्त्र जैसे अफ्रीकी देश शामिल हैं. इसके अलावा एशिया के फिलीपींस, सल्वाडोर, होंडूरास और लाओस जैसे देशों में भी गर्भपात बैन है. यूरोपीय देश पोलैंड और माल्टा में भी गर्भपात बैन है.
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