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ओमिक्रॉन वाली एक कॉल आपको कर देगी कंगाल, भूल कर भी ना करें ये भूल

MHA की तरफ से भेजी एडवाइजरी के मुताबिक ठग  RT-PCR और कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन की फ्री जांच कराने के लिए सरकारी या फिर प्राइवेट अस्पतालों जैसे जाली मेल भेज रहे हैं.  मैसेज और ईमेल के साथ भेजे जा रहे लिंक पर क्लिक करते ही ठग आपको शिकार बना लेते हैं.

ओमिक्रॉन वाली एक कॉल आपको कर देगी कंगाल ओमिक्रॉन वाली एक कॉल आपको कर देगी कंगाल
हाइलाइट्स
  • पीएमओ ऑफिस के नाम पर हो रही ठगी

  • ओमिक्रॉन के वैक्सीनेशन के लिए आ रहे कॉल

दिल्ली में कोरोना की पांचवी लहर की बात कही जा रही है. हर तरफ omicron का ही शोर है, इसी का फायदा कुछ ठग उठा रहे हैं. यही वजह है की लोगो को omicron के टेस्ट के लिए फर्जी मेल कर ठगा जा रहा है. ओमिक्रॉन के बहाने ठगी के इस नए ट्रेंड के बारे में आगाह करते हुए गृह मंत्रालय ministry of Home Affairs (MHA) ने लोगों को चेताया भी है. MHA की तरफ से भेजी एडवाइजरी के मुताबिक ठग  RT-PCR और कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन की फ्री जांच कराने के लिए सरकारी या फिर प्राइवेट अस्पतालों जैसे जाली मेल भेज रहे हैं.  मैसेज और ईमेल के साथ भेजे जा रहे लिंक पर क्लिक करते ही  ठग आपको शिकार बना लेते हैं."

पीएमओ ऑफिस के नाम पर की ठगी
दिल्ली के देश बंधु गुप्ता रोड थाना इलाके में दर्ज एफआईआर के मुताबिक "करोल बाग में रहने वाले पंकज जिंदल के पास 20 दिसंबर को अनजान नंबर से फोन आया. कॉल करने वाले ने खुद को पीएमओ ऑफिस का बताया उसने कहा कि नया वेरिएंट ओमिक्रॉन तेजी से बढ़ रहा है इसलिए सरकार ने बूस्टर डोस का फैसला लिया है. रजिस्ट्रेशन के लिए व्हाट्सएप पर लिंक भेजने की बात कहते हुए क्लिक करने पर एक मोबाइल पर ओटीपी आया लेकिन ओटीपी कॉलर को शेयर करते ही परिवार से जुड़े सभी लोगों को गूगल पर पेटीएम और फोन पे के जरिए पैसे मांगे गए. इसी दौरान अनजाने में पीड़ित के भाई ने ₹50,000 डाल दिए. साइबर सेल ने मुकदमा दर्ज कर तहकीकात शुरू कर दी है."

ओमिक्रॉन के वैक्सीनेशन के लिए आ रहे कॉल
दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के Intelligence Fusion and Strategic operations (IFSO) के डीसीपी केपीएस मल्होत्रा को ज्यादातर शिकायत कर्ताओं ने बताया कि उन्हें "ओमिक्रॉन के वैक्सीनेशन या टेस्ट के लिए कॉल या मैसेज आया. उन्हें किसी लिंक पर क्लिक करवाया गया या फिर ओटीपी मांगी गई. कोरोना काल में दुखी किसी शख्स को फोन मैसेज या कॉल आने पर उसे लगता है कि कोई सरकारी आदमी फोन कर रहा है. यही वजह है कि लोग अपनी डिटेल शेयर कर देते हैं." 

इससे कैसे रहे सतर्क
केपीएस मल्होत्रा ने कहा कि बचने का एक ही तरीका है कोई भी सरकारी आदमी cowin ऐप के अलावा कभी भी आपसे ओटीपी या लिंक नहीं मांगता है. मल्होत्रा का ये भी कहना है की ट्रूकॉलर वही दिखाता है जिस नंबर से डाटा सेव हुआ था. ऐसे में तीसरा आदमी जब इसे चेक करता है तो उसे लगता है कि वैक्सीनेशन वाले का फोन आ गया. ट्रूकॉलर के नंबर की डिटेल्स पर यकीन न करें. सरकारी दफ्तर कभी किसी से ओटीपी या लिंक नहीं मांगता है. साइबर एक्सपर्ट सनी आर्या का कहना है की "साइबर ठग बदलते हुए ट्रेंड पर नजर रखते हैं लिहाजा कभी ऑक्सीजन सिलेंडर, आरटी पीसीआर टेस्ट करवाने के नाम पर कोई लिंक या ओटीपी बिलकुल क्लिक या शेयर न करें"