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सैकड़ों बच्चों को मुफ्त में आर्मी की कोचिंग दे रहा ये शख्स, देश को दे चुका है कई अधिकारी

हिसार में 29 साल का युवक जो खुद आर्मी में अधिकारी नहीं बन सका अब वह न सिर्फ अपने जिले के बल्कि राज्य के सैंकड़ों बच्चों को मुफ्त में आर्मी की कोचिंग से लेकर ट्रेनिंग दे रहा है. जिससे अगर कोई आर्मी में जाने का सपना संजो रहा है तो वह टूटे ना और पूरा हो सके, पिछले चार से पांच वर्षों में सैकड़ों बच्चे अब देश की सीमा में अधिकारी बन सेवा कर रहे हैं. हिसार से हमारे संवाददाता ललित शर्मा की ये खास रिपोर्ट.

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कहते हैं ना कि अगर सपना टूटे तो बहुत दर्द होता है लेकिन आज हम आपको अपनी कहानी में उस युवक को दिखाएंगे जो दूसरों के सपनों को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत करता है जिससे उनका सपना साकार हो सके. तस्वीरों में आप जिस युवक को बच्चों को ट्रेनिंग करते हुए देख रहे हैं दरअसल यही 29 साल का आलोक छाबड़ा है. जो बच्चों को आर्मी की तमाम कोचिंग से लेकर फिजिकल ट्रेनिंग तक करवाता है.

आलोक छाबड़ा ने इंडिया टुडे और आज तक से खास बातचीत में बताया कि उन्हें आर्मी में जाने का इतना जुनून और जज्बा था कि वह हमेशा अपने आपको आर्मी में ही देखते थे. आर्मी में अधिकारी बनने के लिए उन्होंने खूब मेहनत न सिर्फ फिजिकल पास करने में की बल्कि पढ़ाई में भी खूब मेहनत की. नतीजा आर्मी के लिए रिटर्न पेपर और फिजिकल तो पास हुआ लेकिन मेडिकल के चलते वह आर्मी में भर्ती नहीं हो सके.

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जब उनका यह सपना टूटा तो वह पूरी तरह से टूट गए. समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए क्योंकि उनकी हर सांस और रगों में सिर्फ और सिर्फ आर्मी के अधिकारी बनने का सपना था. उस तनाव के दौरान आलोक बताते हैं कि उनके पिताजी ने उन्हें आर्मी के एक बड़े अधिकारी से मिलाया जिसने उनकी काउंसलिंग की और उन्हें उस तनाव से बाहर निकालने का प्रयास किया. आलोक बताते हैं कि कि वह समझ गए थे कि वह आर्मी में तो नहीं जा सकते लेकिन उस समय उनके दिमाग में ख्याल आया क्यों ना मैं "अपने सपनों को दूसरों के सपनों में जियूँ" और उसके बाद उनका बच्चों के लिए मुफ्त ट्रेनिंग से लेकर पढ़ाई करवाने का सफर शुरू कर दिया.

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आलोक बताते हैं कि हर साल वह अपने बैच में पहले उन्हीं बच्चों को तर्ज़ी देते हैं जो आर्थिक तंगी के कारण अपने सपनों को पूरा नहीं कर पा रहे और फिर खाली कुछ सीट पर दूसरे बच्चे जो आर्मी में जाने का सपना संजोए हुए है. फिर बच्चों का बैच पूरा होने के बाद उनका मेडिकल करवाया जाता है, जिनका मेडिकल क्लीयर हो जाए उसके बाद ना सिर्फ क्लास रूम में बल्कि बाहर ग्राउंड में भी खून पसीना बहाया जाता है. कड़ी ट्रेनिंग और घंटों पढ़ाई करवाई जाती है. पिछले 4 से 5 सालों में आलोक छाबड़ा ने देश को कई अधिकारी दिए हैं जबकि सैकड़ों युवा आर्मी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.