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Free Flow Tolling System: लाइन में खड़े होने से लेकर ट्रैफिक में फंसे रहने का झंझट ही खत्म! भारत में शुरू होने वाला है फ्री टोलिंग सिस्टम, द्वारका एक्सप्रेसवे पर शुरू होगी सुविधा

वर्तमान में, भारत के कुछ हिस्सों में गैन्ट्री-आधारित टोलिंग सिस्टम लगाए गए हैं, जैसे दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर, जहां टोल गैन्ट्री के माध्यम से लिया जाता है. लेकिन द्वारका एक्सप्रेसवे पर फ्री टोलिंग सिस्टम शुरू होने वाला है.

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नई दिल्ली के द्वारका एक्सप्रेसवे पर 'फ्री फ्लो टोलिंग' सिस्टम लागू होने वाला है. इससे आपको अब किसी टोल की लाइन में नहीं लगना पड़ेगा. इस सिस्टम में एडवांस फास्टैग रीडर्स और ऊंचे गैन्ट्री पर लगाए गए हाई-पावर कैमरों का उपयोग किया जाएगा, जिससे तेज स्पीड से चल रहे वाहनों का भी ऑटोमेटिक रूप से टोल काट लिया जाएगा. द्वारका एक्सप्रेसवे देश का पहला हाइवे होगा जहां टोल बूथ नहीं होंगे. 

फ्री फ्लो टोलिंग की शुरुआत
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 'फ्री फ्लो टोलिंग' सिस्टम अगले कुछ महीनों में लागू होने वाला है. इसका उद्देश्य नॉर्मल टोल प्लाजा को खत्म करना है और एडवांस टेक्नोलॉजी जैसे फास्टैग रीडर्स और हाई-रिजॉल्यूशन कैमरों का उपयोग करना है. इस टेक्नोलॉजी से ऑटोमेटिक तरीके से टोल काटा जा सकेगा. 

वर्तमान में, भारत के कुछ हिस्सों में गैन्ट्री-आधारित टोलिंग सिस्टम लगाए गए हैं, जैसे दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर, जहां टोल गैन्ट्री के माध्यम से लिया जाता है. लेकिन मेरठ में एक फिजिकल टोल प्लाजा है जिससे लोगों को काफी परेशानी होती है. द्वारका एक्सप्रेसवे पर इस तरह के सिस्टम से ट्रैफिक भीड़ कम हो सकेगा और लोग अच्छे से ट्रेवल कर सकेंगे. 

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गैन्ट्री टोलिंग बनाम फ्री फ्लो टोलिंग: क्या फर्क है?
भारत के मौजूदा टोल सिस्टम में दो मॉडल शामिल हैं: गैन्ट्री टोलिंग और पारंपरिक टोल प्लाजा. द्वारका एक्सप्रेसवे पर आने वाला फ्री फ्लो टोलिंग सिस्टम गैन्ट्री-आधारित टोलिंग सिस्टम का एक एडवांस वर्जन है.

गैन्ट्री टोलिंग सिस्टम में गैन्ट्री पर कैमरे और फास्टैग रीडर्स लगे होते हैं. ये गैन्ट्री उन वाहनों के फास्टैग को स्कैन करती हैं जो उनके नीचे से गुजरते हैं और जितना टोल होता है उतने पैसे जुड़े हुए अकाउंट से काट लिए जाते हैं. गैन्ट्री टोलिंग ने पारंपरिक टोल प्लाजा की तुलना में टोल कलेक्शन को सुव्यवस्थित किया है. लेकिन कुछ जगहों पर टोल खुद ही भौतिक रूप से लिया जाता है. 

उदाहरण के लिए, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर गैन्ट्री-बेस्ड सिस्टम लागू है, लेकिन मेरठ में एक फिजिकल टोल प्लाजा है ताकि पेमेंट की पुष्टि की जा सके. जो वाहन इलेक्ट्रॉनिक रूप से भुगतान करने में असफल होते हैं, उन्हें इन टोल बूथ पर अपना बकाया भुगतान करना पड़ता है. इस हाइब्रिड मॉडल से बेवजह देरी होती है और भीड़ हो जाती है. 

फ्री फ्लो टोलिंग सिस्टम
द्वारका एक्सप्रेसवे पर लागू होने वाला फ्री फ्लो टोलिंग सिस्टम टोल कलेक्शन की प्रक्रिया में गेम चेंजर साबित हो सकता है. इसमें फिजिकल टोल की जरूरत नहीं पड़ेगी. केवल गैन्ट्री पर लगे हाई-पावर कैमरे और एडवांस फास्टैग रीडर्स से ही टोल कट जाएगा.

1. आसानी से टोल कटेगा: वाहनों को टोल कलेक्शन के लिए रुकने या धीमा करने की जरूरत नहीं होगी. जैसे ही वाहन गैन्ट्री के नीचे से गुजरता है, फास्टैग स्कैन किया जाता है और तुरंत टोल अकाउंट काट लिया जाता है. कार अगर 100 किलोमीटर प्रति घंटे तक की स्पीड से भी चल रही तब भी आसानी से टोल अपने आप कट जाएगा. यह सुविधा मौजूदा सिस्टम से बिल्कुल अलग है जिसमें अक्सर वाहनों को धीमा करने या कतार में खड़े होने की जरूरत होती है, जिससे ट्रैफिक जाम और देरी होती है.

2. ट्रैफिक भीड़ में कमी: चूंकि फ्री फ्लो टोलिंग सिस्टम फिजिकल टोल प्लाजा को खत्म कर देता है, ट्रैफिक भीड़ की संभावना काफी कम हो जाती है. पारंपरिक टोल प्लाजा में अक्सर भीड़ लग जाती है, खासकर पीक घंटों के दौरान, जहां वाहनों को धीमा करना और रुकना पड़ता है. 

3. एडवांस टेक्नोलॉजी: फ्री फ्लो टोलिंग हाई-पावर कैमरों का उपयोग करता है जो लाइसेंस प्लेट की तस्वीर को कैप्चर करते हैं, जिन्हें फिर वाहन के फास्टैग से मिलान किया जाता है. जिन मामलों में फास्टैग पेमेंट असफल हो जाती है या अनुपलब्ध होती है. सिस्टम कैप्चर की गई लाइसेंस प्लेट डेटा का उपयोग करके बाद में टोल फीस और जुर्माना लागू कर सकता है. 

द्वारका एक्सप्रेसवे पर फ्री फ्लो टोलिंग सिस्टम भारत के टोलिंग सिस्टम को पूरी तरह बदलकर रख सकता है. तकनीकी चुनौतियों के बावजूद, फ्री फ्लो टोलिंग सिस्टम से ट्रैफिक को कम किया जा सकेगा, फ्यूल की बर्बादी को रोका जा सकेगा और पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचेगा.