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Covid वैक्सीन से लेकर इकोनॉमिक ट्रेड और पर्यटन तक... जानें Maldives के लिए किस तरह हमेशा साथ खड़ा रहा भारत

भारत मालदीव से 70 समुद्री मील की दूरी पर बसा है. ऐसे में निकटतम पड़ोसी होने के नाते, भारत ने हमेशा उसकी सहायता की है. फिर चाहे वो रक्षा के क्षेत्र में हो, शिक्षा हो, स्वास्थ्य सेवा हो या बुनियादी ढांचे जैसा क्षेत्र हो. 1965 में मालदीव की आजादी के बाद भारत उसके साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले पहले देशों में से एक था.

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हाइलाइट्स
  • डिफेन्स और सिक्योरिटी में मदद 

  • भारत ने हमेशा की है मालदीव की मदद 

साल 2021 में, जब दुनिया कोविड-19 से लड़ रही थी तब मालदीव उन पहले देशों में से था जिसे महामारी से लड़ने के लिए भारत ने वैक्सीन दी थी. वैक्सीन लॉन्च करने के कुछ ही दिनों के भीतर, उस साल भारत ने तीन महीनों में मालदीव को तीन लाख वैक्सीन डोज भेजी थीं. लेकिन अब मालदीव के मंत्रियों ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत पर कटाक्ष किया है. हालांकि, पिछले कुछ सालों में भारत ने हमेशा मालदीव की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है. कोविड में वैक्सीन से लेकर इकोनॉमिक ट्रेड और पर्यटन तक में भारत हमेशा मालदीव के लिए खड़ा रहा है. 

नवंबर 2023 में मालदीव के राष्ट्रपति का पदभार संभालने वाले मोहम्मद मुइज्जू ने मोदी सरकार से भारतीय सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने का अनुरोध किया है. 

भारत ने हमेशा की है मालदीव की मदद 

चाहे वह मालदीव की 1988 में मदद करना हो या प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सहायता, भारत मदद करने वालों की पंक्ति में हमेशा पहले नंबर पर खड़ा रहा है. भारत 2004 की सुनामी के दौरान मालदीव की सहायता करने वाला पहला देश था, जिसमें लगभग 100 लोग मारे गए थे, साथ ही दिसंबर 2014 में माले में जल संकट भी मदद की थी. इतना ही नहीं ऐसे अनगिनत मौके आए हैं जब मालदीव ने भारत ने मदद मांगी है. 

70 समुद्री मील की दूरी पर मालदीव का निकटतम पड़ोसी होने के नाते, भारत की सहायता में रक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी ढांचे जैसे कई क्षेत्र शामिल हैं. बता दें, 1965 में मालदीव की आजादी के बाद भारत उसके साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले पहले देशों में से एक था.

डिफेन्स और सिक्योरिटी में मदद 

रक्षा और सुरक्षा 1988 से भारत और मालदीव के बीच सहयोग का आधार रही है. विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार, भारत मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (MNDF) की लगभग 70 प्रतिशत डिफेंस ट्रेनिंग की जरूरतों को पूरा करता है. पिछले दशक में, भारत ने हवाई निगरानी के अलावा 1500 से अधिक एमएनडीएफ कर्मियों को ट्रेनिंग दी है. Ekuverin, Ekatha और आपदा प्रबंधन जैसी जॉइंट एक्सरसाइज से क्षमता निर्माण भी मदद की है. 

इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स

भारत मालदीव में कई इन्फ्रास्ट्रक्चर और विकास परियोजनाओं में लगा हुआ है, जिसमें हनीमाधू और गण द्वीप के हवाई अड्डे, ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना शामिल हैं. भारत वर्तमान में मालदीव में जो सबसे बड़ी परियोजना चला रहा है वह ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट है. इसमें 6.74 किलोमीटर लंबा पुल मालदीव की राजधानी माले को तीन निकटवर्ती द्वीपों विलिंग्ली, गुलहिफाल्हू और थिलाफुशी से जोड़ेगा, जिससे यात्रा का समय कम हो जाएगा. इसके अलावा, भारत सड़कों, स्ट्रीट लाइटिंग, ड्रेनेज आदि का निर्माण कर रहा है. 

हेल्थकेयर और शिक्षा 

हेल्थकेयर सेक्टर में, भारत ने अत्याधुनिक कैंसर सुविधा स्थापित करने में मदद करने के अलावा इंदिरा गांधी मेमोरियल अस्पताल के विकास के लिए 52 करोड़ रुपये दिए हैं. 

वहीं शिक्षा के क्षेत्र में, भारत ने 1996 में तकनीकी शिक्षा संस्थान स्थापित करने में मदद की. भारत ने मालदीव के शिक्षकों और युवाओं को ट्रेनिंग देने के लिए 5.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर की परियोजना भी शुरू की है.

इकोनॉमी और ट्रेड 

2014 में पीएम मोदी के सत्ता संभालने के बाद से भारत और मालदीव के बीच व्यापार चार गुना बढ़ गया है. 2022 में, 2014 में 173.50 मिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में कुल व्यापार मात्रा 501.82 मिलियन अमेरिकी डॉलर थी. द्विपक्षीय व्यापार पहली बार 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर के आंकड़े को पार कर गया था.

व्यापारिक उद्देश्यों के लिए मालदीव पहुंचने वाले भारतीयों के लिए 2022 में वीजा फ्री एंट्री के अलावा सितंबर 2020 में दोनों देशों के बीच मालवाहक जहाज सेवा शुरू होने के बाद व्यापार बढ़ा है. 

इतना ही नहीं बल्कि अपने निकटतम पड़ोसी होने के नाते, मालदीव चावल, गेहूं का आटा, चीनी, आलू और प्याज, अंडे, सब्जियां और यहां तक ​​कि निर्माण सामग्री जैसी कई आवश्यक वस्तुओं के लिए भारत पर निर्भर है. 

पर्यटकों के सबसे बड़े स्रोतों में से एक 

भारत मालदीव में पर्यटकों के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है. अपनी अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए मालदीव पर्यटन पर निर्भर है. वर्ल्ड बैंक के अनुसार, पर्यटन से आने वाला रेवेन्यू उसकी अर्थव्यवस्था का लगभग एक-तिहाई हिस्सा है.

2023 में, मालदीव में सबसे अधिक संख्या में पर्यटक (2,09,198) भेजने के मामले में भारत लगभग 11.8 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ टॉप पर रहा. यहां तक ​​कि 2020 में भी, जब कोविड-19 के कारण सबकुछ बंद था तब भी लगभग 63,000 भारतीयों ने मालदीव का दौरा किया था.