scorecardresearch

G20 Summit: कैसे 'कोड वर्ड' के जरिए दिल्ली पुलिस ने सुनिश्चित की जी20 मेहमानों की सुरक्षा?

जैसे ही जी20 शिखर सम्मेलन समाप्त हुआ, दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने खुलासा किया कि विश्व नेताओं की मेजबानी वाले इस मेगा कार्यक्रम के सफल आयोजन और सुरक्षा के मद्देनजर होटलों, भारत मंडपम और राजघाट के लिए कोड वर्ड रखे थे.

G20 Summit G20 Summit

दिल्ली में 8 से 10 सितंबर के बीच हुए G20 शिखर सम्मेलन का सफलतापूर्वक रविवार को समापन हुआ. भारत की मेजबानी के लिए दुनिया के शीर्ष नेताओं ने भारत की तारीफ की. सम्मेलन में शामिल हुए दुनिया के सबसे प्रभावशाली नेता दिल्ली ने 3 दिन तक रुके थे जिसमें उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना सबसे अहम मुद्दा था. मेहमानों के ठहरने की व्यवस्था दिल्ली के अलग-अलग होटलों में की गई थी. इसके लिए दिल्ली पुलिस ने अलग-अलग 'कोड वर्ड' रखा था. इसके पीछे की वजह VVIP गतिविधियों से जुड़े सुरक्षा कारण थे.

कैसे तय हुए कोड वर्ड?
पुलिस सूत्रों ने बताया कि प्रत्येक कोड वर्ड का इस्तेमाल विदेशी राष्ट्र प्रमुखों की सुरक्षा टीमों, विशेष सुरक्षा समूह (SPG) और दिल्ली पुलिस के उच्चतम अधिकारियों के बीच बैठक में तय किया गया.जूनियर स्तर के पुलिसकर्मियों और सुरक्षाकर्मियों को इन कोड वर्ड के बारे में नहीं बताया गया था. भारत दौरे के लिए लिए आए सभी मेहमानों के सुरक्षा इंतजामात केंद्रीय गृह मंत्रालय की सीधी निगरानी में थे.

किन होटलों का क्या नाम?
विशेष प्रोटोकॉल के तहत अगर कोई विदेशी राष्ट्राध्यक्ष भारत यात्रा पर होता है तो उनकी सुरक्षा में तैनात विभिन्न टीमों के बीच रेडियो बातचीत के दौरान असली गतंव्य का नाम नहीं लिया जाता है. G-20 सम्मेलन के दौरान भी VVIP गतिविधियों की गोपनीयता को बनाए रखने के लिए गहन सुरक्षा तैयारियों के हिस्से के रूप में, दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि प्रभावी संगठन और कड़ी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रसिद्ध होटलों, भारत मंडपम और राजघाट सहित कुछ प्रमुख स्थानों को कोड नाम दिए गए थे. जिन होटलों में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन से लेकर ब्रिटिश प्रधान मंत्री ऋषि सुनक तक वैश्विक नेता अपनी यात्राओं के दौरान ठहरे थे, उन सभी को कोड नाम दिए गए थे. मौर्य शेरेटन, जहां बिडेन ने अपना प्रवास किया था को 'पेंडोरा' कहा जाता था. इसी तरह, जिस होटल में ब्रिटिश प्रधान मंत्री ऋषि सुनक ने रूके थे उसका कोड-नाम 'समारा' था, जो एक प्राचीन संस्कृत शब्द है जो आमतौर पर परिवर्तन या संक्रमण की अवधारणा से जुड़ा है. इसी तरह ताज मान सिंह होटल के लिए 'पैरामाउंट' नाम इस्तेमाल किया गया. इस होटल में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नहयान ठहरे थे. ली मेरिडियन होटल का कोड नाम 'महाबोधि' था .

जिस जगह जाना था उसके लिए भी कोड
इसी तरह G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान द ललित, द ग्रैंड, द क्लेरिजेस और अन्य अस्थायी होटलों के भी कोड नाम रखे गए थे. इसके अलावा कोड वर्ड का इस्तेमाल विदेशी राष्ट्राध्यक्षों के गंतव्यों के लिए भी किया गया. रविवार सुबह बारिश के बीच G-20 समूह के नेता राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे. इस गतंव्य के लिए 'रुदपुर' कोड इस्तेमाल किया गया.
इसी तरह सम्मेलन के आयोजन स्थल प्रगति मैदान को 'निकेतन' नाम दिया गया था. प्रगति मैदान का कोड नाम 'निकेतन' रखा गया. गृह मंत्रालय और संचार इकाइयों के पास कोड शब्द निर्दिष्ट करने के लिए एक विस्तृत प्रक्रिया थी. इस प्रक्रिया में कई कारक शामिल थे, जैसे कि घटना का प्रकार, इसमें शामिल लोगों की संख्या और आवश्यक सुरक्षा का स्तर.

समय-समय पर बदले भी जाते हैं कोड
कोड वर्ड्स को छेड़छाड़ से बचाने के लिए आमतौर पर उन्हें नियमित रूप से बदला जाता है. यदि घटना या सुरक्षा स्थिति बदलती है तो उन्हें बदला भी जा सकता है.कोड शब्दों का प्रबंधन दिल्ली पुलिस की सुरक्षा इकाई, विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) और गृह मंत्रालय के तहत संचार इकाई द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता था. इससे यह सुनिश्चित हो गया कि कोड शब्द सुरक्षित हैं और उनका प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाता है. इन कोड वर्ड को गुप्त रखा जाता है ताकि आवाजाही के दौरान विदेशी मेहमानों की स्थिति और पहचान को छिपाया जा सके. इन कोड वाक्यांशों का उपयोग वायरलेस संचार में सुरक्षा उल्लंघनों से बचने के लिए भी किया जाता है.