इस साल जी-20 की अध्यक्षता भारत करेगा. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 9 और 10 सितंबर को जी20 शिखर सम्मेलन होने जा रहा है. ये जी20 का अब तक का सबसे बड़ा आयोजन होगा. इसमें कुल 43 देशों और संगठनों के प्रमुख और उनके प्रतिनिधिमंडल हिस्सा लेंगे. इसको लेकर तैयारियां भी जोरों पर हैं. विशेष रूप से डिजाइन की गई 28 फुट ऊंची नटराज की मूर्ति जी 20 शिखर सम्मेलन स्थल के सामने रखी जाएगी. अधिकारियों के अनुसार ये मूर्ति दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति हो सकती है. इसे तमिलनाडु से एक ट्रक में दिल्ली लाया जा रहा है. जी-20 सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में ये 22 फीट ऊंची अष्टधातु की मूर्ति राष्ट्रअध्यक्षों का स्वागत करेगी.
मूर्ति को तमिलनाडु से दिल्ली आने में दो दिन का समय लगेगा जिसमें वो कुल 2,500 किलोमीटर की दूरी तय करेगी. इसके लिए स्पेशल तौर पर एक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया है. दो ड्राइवरों के अलावा, केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्रालय के कम से कम चार अधिकारी ट्रक के काफिले के साथ आ रहे हैं, जिन्हें विशेष सुरक्षा प्रदान की गई है. मार्ग में कोई बाधा न आए और गाड़ी को बीच में कही रुकना न पड़े इसके लिए मंत्रालय ने वाहन के मार्ग पर सभी राज्य अधिकारियों और उनके संबंधित टोल प्लाजा को संदेश भेजे हैं. यह कलाकृति होसकोटे, देवनहल्ली, कुरनूल, आदिलाबाद, नागपुर, सिवनी, सागर, ललितपुर, ग्वालियर और आगरा सहित अन्य शहरों से होकर गुजरेगी.
28 फीट हो जाएगी प्रतिमा की मूर्ति
अधिकारियों के अनुसार, 19 टन वजनी यह कलाकृति तमिलनाडु के स्वामीमलाई जिले के प्रसिद्ध मूर्तिकार देवसेनापति स्टापथी के बेटों ने बनाई है. यह भारत मंडपम में एक प्रमुख स्थान लेगा, जहां शिखर सम्मेलन आयोजित होने वाला है. यहां मूर्ति को पॉलिश करने के साथ छह फीट ऊंचे चबूतरे पर स्थापित किया जाएगा. इस तरह मूर्ति की कुल ऊंचाई 28 फीट की होगी. संभवत: यह विश्व में नटराज की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी. धर्म, कला व शास्त्र के अनूठा संगम इस मूर्ति के माध्यम से विदेशी मेहमानों की देश की प्राचीन कला, संस्कृति और लोकतंत्र से परिचित कराया जाएगा.
कितनी है मूर्ति की ऊंचाई
विशेषज्ञों का कहना है कि नटराज हिंदू भगवान शिव का दिव्य चित्रण है. उनके इस नृत्य को तांडव कहा जाता है. यह मूर्ति शैव धर्म के सभी प्रमुख हिंदू मंदिरों में मौजूद है. यह लोकप्रिय रूप से भारतीय संस्कृति के प्रतीक के रूप में, हिंदू कला के बेहतरीन चित्रणों में से एक के रूप में उपयोग किया जाता है. अधिकारियों के अनुसार, बिना पॉलिश की गई नटराज प्रतिमा को अंतिम रूप दिल्ली में दिया जाएगा और इसे आयोजन स्थल पर स्थापित करने की समय सीमा 4 सितंबर है. प्रतिमा की वास्तविक ऊंचाई 22 फीट है और इसे छह फुट के आसन पर रखा गया है, जिसके बाद ये 28 फीट की हो जाएगी. इसे श्रीकांत स्टापथी ने अपने भाइयों राधाकृष्ण स्टापथी और स्वामीनाथ स्टापथी के साथ मिलकर बनाया था.
8 धातू से बनी है मूर्ति
अधिकारियों के मुताबिक मूर्ति को आठ धातुओं सोना, चांदी, लेड, तांबा, टिन, पारा, जस्ता और लोहा से बनाआ गया है. मूर्ति बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली धातुओं को नटराज के प्रति पूर्ण समर्पण के साथ काम करने वाले समर्पित श्रमिकों द्वारा एक छोटे कुटीर उद्योग में आकार देने के लिए 1,000 डिग्री से ऊपर पिघलाया गया था. अधिकारियों ने कहा कि मूर्ति का ऑर्डर इस साल 20 फरवरी को संस्कृति मंत्रालय द्वारा दिया गया था और मूर्ति को पूरा करने में छह महीने लगे.