सनी देओल इस समय काफी चर्चा में हैं. उनकी फिल्म गदर-2 लगातार बॉक्स ऑफिस पर कामयाबी की नई इबारत लिख रही है. इस बीच अभिनेता और भाजपा सासंद सनी देओल के फैन्स के लिए दिल तोड़ने वाली खबर सामने आई है. दरअसल, सनी का जुहू वाला बंगला नीलाम होने जा रहा है. बैंक ऑफ बड़ौदा ने इसके लिए एक नोटिफिकेशन जारी किया है. सनी ने इस बंगले के लिए बैंक से लोन लिया हुआ था, जिसे वह चुका नहीं पाए हैं. इसके बाद बैंक सनी के बंगले की नीलामी के लिए ई-ऑक्शन नोटिफिकेशन जारी किया है.
नीलामी के 51.43 करोड़ रुपए मिनिमम अमाउंट
सनी देओल के इस बंगले का नाम सनी विला है. सनी के इस बंगले की नीलामी 25 सितंबर 2023 को ई-ऑक्शन के जरिए होगी. बैंक ऑफ बड़ौदा ने अखबार में ई-ऑक्शन का विज्ञापन जारी किया है. नोटिस के मुताबिक अजय सिंह देओल उर्फ सनी देओल ने बैंक ऑफ बड़ौदा से 55 करोड़ 99 लाख 80 हजार 766 रुपए का लोन लिया था. इसमें सनी के गांरटर के तौर पर पिता धर्मेंद्र का भी नाम है. इस नीलामी के लिए प्रॉपर्टी का रिजर्व प्राइस (मिनिमम अमाउंट) 51.43 करोड़ रुपए रखा गया है. सनी देओल का ऑफिशियल नाम अजय सिंह देओल है. वह 2019 से पंजाब की गुरदासपुर सीट से भाजपा सांसद हैं.
400 करोड़ कमाने की तरफ बढ़ रही गदर-2
सनी की फिल्म गदर-2 जबरदस्त कमाई कर रही है. शनिवार को फिल्म ने 31.07 करोड़ रुपए का कलेक्शन किया. 9 दिनों में फिल्म की कुल कमाई 336.20 करोड़ रुपए हो गई है. तकरीबन 70 से 80 करोड़ में बनी यह फिल्म अब 400 करोड़ क्लब में शामिल होने के लिए तैयार है.
बैंक कब और क्यों करता है संपत्ति जब्त
जब व्यक्ति बैंक से कोई लोन लेता है, तो बैंक गारंटी मांगता है. इस गारंटी के रूप में कर्ज लेने वाला अपनी प्रॉपर्टी गिरवी रख देता है. घर या किसी अन्य संपत्ति के लिए बैंक से लिया जाने वाला लोन तय समय पर चुकाना होता है. लोन की किस्त नहीं भरने पर बैंक आपकी प्रॉपर्टी को जब्त करके अपनी रकम की भरपाई करता है. हालांकि, ऐसा नहीं है कि लोन की किस्त नहीं जमा करने पर बैंक तुरंत आपके घर पर कब्जा करके उसे नीलाम कर देगा. कर्ज नहीं चुकाने की स्थिति में बैंक लोन लेने वाले व्यक्ति को कई मौके देता है. नीलामी आखिरी विकल्प होता है. लेकिन फिर भी यदि किसी कारण से प्रॉपर्टी नीलाम होने की नौबत आ जाती है, तो भी लोन लेने वाले व्यक्ति के पास कई तरह के विकल्प होते हैं.
लोन की ईएमआई नहीं भरने पर पहले बैंक भेजाता है रिमाइंडर
यदि कोई व्यक्ति लगातार 2 महीने तक लोन की ईएमआई नहीं देता तो बैंक उसे रिमाइंडर भेजता है यानी इस बारे में याद दिलाता है. इसके बाद भी जब तीसरी किस्त जमा नहीं होती है तो ग्राहक को कानूनी नोटिस भेजा जाता है. फिर भी यदि ईएमआई का भुगतान नहीं किया जाता है तो बैंक संपत्ति को एनपीए घोषित कर देता है और लोन लेने वाले व्यक्ति को डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाता है.
प्रॉपर्टी की नीलामी से जुड़े नियम
हालांकि, ऐसा नहीं कि एनपीए घोषित होने के बाद आपकी प्रॉपर्टी को नीलाम कर दिया जाएगा. क्योंकि इसमें भी 3 कैटेगरी सबस्टैंडर्ड असेट्स, डाउटफुल असेट्स और लॉस असेट्स होती है. ईएमआई नहीं चुकाने की स्थिति में सबसे पहले लोन अकाउंट 1 साल तक सबस्टैंडर्ड असेट्स खाते की कैटेगरी में रहता है. इसके बाद डाउटफुल असेट्स बनता है और जब लोन रिकवरी की उम्मीद नहीं रहती तब उसे ‘लॉस असेट्स’ मान लिया जाता है. याद रखें लॉस असेट बनने के बाद ही प्रॉपर्टी को नीलाम किया जाता है. नीलामी के लिए बैंक पब्लिक नोटिस जारी करती है.
नीलामी को कब दी जा सकती है चुनौती
किसी भी तरह की संपत्ति की बिक्री से पहले बैंक या उस वित्तीय संस्थान जहां से आपने लोन लिया है, उसे असेट का सही प्राइस बताते हुए नोटिस जारी करना पड़ता है. इसमें रिजर्व प्राइस और नीलामी की तारीख-समय व शर्तों का उल्लेख करना पड़ता है. जिस व्यक्ति की प्रॉपर्टी नीलाम हो रही है और उसे ऐसा लगता है कि मेरी असेट का दाम कम रखा गया है तो वह इस नीलामी की प्रक्रिया को चुनौती दे सकता है. यदि लोन नहीं चुकाने के हालात में बैंक आपकी संपत्ति नीलाम करता है तो इस पूरी प्रक्रिया पर नजर रखें क्योंकि नीलामी के जरिए लोन वसूलने के बाद बची हुई अतिरिक्त रकम को कर्जदार को पाने का अधिकार होता है. बैंक को वह पैसा लौटाना होता है