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Garlic Spice or Vegetable: लहसुन मसाला है या सब्जी? Madhya Pradesh High Court ने सुनाया फैसला, जानें क्या है पूरा मामला

Madhya Pradesh High Court: लहसुन सब्जी है या मसाला? इस सवाल का जवाब मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में मिल गया है. हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने फैसला सुनाया है कि लहसुन सब्जी है. कोर्ट ने कहा कि लहसुन जल्दी खराब होने वाला है. इसलिए यह एक सब्जी है. लेकिन इसके साथ ही हाईकोर्ट की डबल बेंच ये भी कहा कि लहसुन को सब्जी और मसाला दोनों बाजारों में बेचा जा सकता है.

Garlic Garlic

लहसुन के बिना किचन अधूरा लगता है. कोई भी मसालेदार सब्जी बिना लहसुन के नहीं बनाई जाती. लेकिन क्या आपके दिमाग में ये सवाल कभी आया कि लहसुन मसाला है या सब्जी? इस सवाल का जवाब कोर्ट में मिला. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को ये बताना पड़ा कि लहसुन सब्जी है या मसाला? हाईकोर्ट ने फैसला दिया कि लहसुन सब्जी है. लेकिन क्यों? चलिए आपको बताते हैं कि कोर्ट ने ये फैसला क्यों दिया.

लहसुन सब्जी या मसाला?
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने फैसला सुनाया है कि लहसुन सब्जी है. जस्टिस एसए धर्माधिकारी और डी वेंकटरमन की बेंच ने कहा कि लहसुन जल्दी खराब होने वाला है. इसलिए यह एक सब्जी है. इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि लहसुन को सब्जी और मसाला दोनों मार्केट में बेचा जा सकता है. कोर्ट ने साल 2017 के आदेश को बरकरार रखा है.

क्या था पूरा मामला-
साल 2015 में किसानों की मांग पर मध्य प्रदेश मंडी बोर्ड ने एक प्रस्ताव पारित कर लहसुन को सब्जी की कैटेगरी में शामिल किया था. लेकिन कृषि विभाग ने कृषि उपज मंडी समिति एक्ट 1972 का हवाला देकर लहसुन को मसाले का दर्जा दिया और मंडी बोर्ड के आदेश को रद्द कर दिया. 

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इसके बाद ये मामला कोर्ट में पहुंचा. यह मामला कई सालों से हाईकोर्ट में चल रहा था. आलू, प्याज, लहसुन कमीशन एजेंट एसोसिएशन ने साल 2016 में हाईकोर्ट की इंदौर बेंच का रुख किया था. उस समय सिंगल बेंच ने फरवरी 2017 में उनके पक्ष में फैसला सुनाया था. लेकिन जुलाई 2017 में याचिकाकर्ता मुकेश सोमानी ने इस फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दायर किया. हाईकोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया और इसे डबल बेंच के पास भेज दिया.

डबल बेंच ने जनवरी 2024 में फैसला सुनाया और लहसुन को फिर से मसाला की कैटेगरी में शामिल कर दिया. इसके बाद लहसुन कारोबारियों और कमीशन एजेंटों ने मार्च 2024 में इस आदेश की समीक्षा की मांग की. इसके बाद ये मामला जस्टिस धर्माधिकारी और वेंकटरमन की बेंच के सामने आया.
इंदौर की डबल बेंच ने 23 जुलाई को आदेश दिया और फरवरी 2017 के आदेश को बरकरार रखा. इस फैसले में मडी बोर्ड को मंडी नियमों में बदलाव की इजाजत दी गई.

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