देश-विदेश के सफल व्यवसाइयों में शुमार घनश्याम दास बिड़ला का जन्म 10 अप्रैल 1894 को राजस्थान स्थित पिलानी में हुआ था. इनके पिता का नाम बलदेव दास बिड़ला और माता का नाम योगेश्वरी देवी था. मारवाड़ी परिवार से संबंध रखने वाले घनश्याम दास ने व्यपसाय में पीछे मुड़कर नहीं देखा. आइए जानते हैं इनकी सफलता की कहानी.
दादाजी एक मारवाड़ी व्यवसायी थे
घनश्याम दास बिड़ला के दादाजी एक मारवाड़ी व्यवसायी थे. वह लोगों को पैसा उधार देते थे. घनश्याम दास बिड़ला के पिता राजा बलदेव दास बिड़ला थे. बलदेव दास बिड़ला ने 1884 ई. में व्यापार के नए अवसर तलाशने के लिए बंबई का दौरा किया. वहां पर शिव नारायण बलदेव दास कंपनी की स्थापना की. इसके बाद बलदेव दास जुगल किशोर की स्थापना 1897 में कोलकत्ता में की. कंपनियों ने शुरू में चांदी, कपास, अनाज और अन्य वस्तुओं का कारोबार किया.
खुद को साबित करने के लिए छोड़ दिया था पिलानी
घनश्याम दास बिड़ला खुद का व्यवसाय शुरू करने के लिए पिलानी को छोड़कर कोलकत्ता आ गए. वह खुद को साबित करना चाहते थे. उन्होंने कपास में सफलतापूर्वक एक डीलरशिप स्थापित की और जैसे-जैसे उनका व्यवसाय बढ़ता गया, वे फिर से पिलानी आए और परिवार के लिए एक हवेली का निर्माण करवाया. बाद में, बिड़ला ने पारिवारिक व्यवसाय को अपने हाथ में ले लिया और इसका विस्तार करने का फैसला किया. उन्होंने धन उधार व्यवसाय को विनिर्माण में बदल दिया. उन्होंने औपचारिक रूप से 1919 में बिड़ला ब्रदर्स लिमिटेड की स्थापना की. उन्होंने उसी वर्ष ग्वालियर, मध्य प्रदेश में एक कारखाना स्थापित किया.
नई अवधारणाओं की स्थापना की
बिरला ने अपने समय के दौरान भारत में कई नई अवधारणाओं की स्थापना की और उनका नेतृत्व किया. उन्होंने कोलकत्ता में एक ऐसे समय में विनिर्माण व्यवसाय शुरू किया जब भारतीय व्यापारियों को ब्रिटिश और स्कॉटिश व्यापारियों पर कोई वरीयता नहीं दी जाती थी. उन्होंने धीरे-धीरे इसका विस्तार विभिन्न उद्योगों जैसे सीमेंट, रसायन, रेयान, स्टील ट्यूब, चाय, बैंकिंग आदि में किया. बिड़ला समूह का मुख्य व्यवसाय कपड़ा, फिलामेंट यार्न, सीमेंट, रासायनिक पदार्थ, बिजली, उर्वरक, दूरसंचार, वित्तीय सेवा आदि क्षेत्र में है. इनकी अग्रणी कंपनियां ग्रासिम इंडस्ट्रीज और सेंचुरी टेक्सटाइल है.
कपड़ा उद्योग किया शुरू
घनश्याम दास बिड़ला ने 1940 में हिंदुस्तान मोटर्स की स्थापना की. स्वतंत्रता के बाद बिड़ला चाय के व्यवसाय में आ गए और उन्होंने अपना कपड़ा उद्योग शुरू किया. 1943 में उन्होंने भारतीय पूंजी और प्रबंधन के साथ एक वाणिज्यिक बैंक की स्थापना की, जिसका नाम यूनाइटेड कमर्शियल बैंक रखा गया. अब इसे यूको बैंक के रूप में जाना जाता है. उन्होंने बिड़ला इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की, जिसे अब पिलानी में बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस और भिवानी में टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्सटाइल एंड साइंसेज के रूप में जाना जाता है. घनश्याम दास बिड़ला को 1957 में देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.
दो शादियां की थी
घनश्याम दास बिड़ला दो शादियां की थी. पहली पत्नी दुर्गा देवी से उनके 3 बेटे लक्ष्मी निवास, सुदर्शन कुमार और सिद्धार्थ हुए जबकि दूसरी पत्नी माहेश्वरी देवी से दो बेटे केके बिड़ला और बसंत कुमार हुए. 11 जून 1983 को 90 वर्ष की आयु में बिड़ला का निधन हो गया.
राजनीति और समाज सेवा में भी सक्रिय थे
घनश्याम दास बिड़ला एक सफल व्यवसायी होने के साथ-साथ राजनीति और समाज सेवा में भी सक्रिय थे. 1926 में वे सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली के लिए चुने गए. वह महात्मा गांधी द्वारा स्थापित संगठन हरिजन सेवक संघ के संस्थापक अध्यक्ष थे. वह हमेशा महात्मा गांधी की गतिविधियों के लिए धन उपलब्ध कराने के लिए तैयार रहते थे. उन्होंने पूंजीपतियों से राष्ट्रीय आंदोलन का समर्थन करने और कांग्रेस के हाथ मजबूत करने की अपील की. घनश्याम दास ने सविनय अवज्ञा आंदोलन का समर्थन किया और राष्ट्रीय आंदोलन मेंआर्थिक सहायता दी.