हाल ही में ऑपरेशनल हुए पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर लखनऊ की तरफ से सफर करना अब और सुहाना होगा. पूर्वांचल एक्सप्रेस वे की दीवार पर काकोरी कांड के शहीदों की तस्वीरें लोगों को प्रेरणा देंगी. आजादी के इतिहास में मील का पत्थर माने जाने वाले काकोरी ट्रेन कांड के अमर क्रांतिवीरों को श्रद्धांजलि देने के लिए उनकी पेंटिंग पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर लगायी जाएगी. इसके लिए जगह भी चिह्नित कर ली गयी है.
एक्सप्रेस वे की वॉल पर बनाई जाएगी 12 किलोमीटर लंबी पेंटिंग
12 किलोमीटर लंबी ये पेंटिंग एक्सप्रेस वे की वॉल पर बनाई जाएगी. इसकी खास बात ये है कि ये पेंटिंग काकोरी से भी दिखेगी. जिला प्रशासन और लखनऊ के जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने तैयारी शुरू कर दी है. चार हजार कलाकारों को खास तौर पर इसके लिए लगाया जाएगा जो वेन्यू पर ही पेंटिंग बनाएंगे. इन क्रांतिकारियों के योगदान का लोगों को पता चलेगा जब लोग इस एक्सप्रेस वे पर सफर करेंगे. साथ ही एक्सप्रेसवे की खूबसूरती भी बढ़ जाएगी.
काकोरी में क्रांतिकारियों ने लूटा था अंग्रेजों का खजाना
देश की आजादी के इतिहास में 19 दिसंबर का खास महत्व है. 1927 में इसी दिन राम प्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर जेल, अशफ़ाकउल्ला खां को फैजाबाद जेल और ठाकुर रोशन सिंह को मलाका जेल में फांसी हुई थी. देश की आजादी के लिए ये क्रांतिकारी शहीद हो गए थे. काकोरी में अंग्रेजों का खजाना लूट कर इन क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश साम्राज्य को चुनौती दी थी. इसी तारीख पर ये पेंटिंग बनाए जाने की योजना है. जानकारी के अनुसार काकोरी शहीद दिवस से चार दिन पहले से ये पेंटिंग बननी शुरू हो जाएगी.
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भेजी जाएगी एंट्री
ये भी कहा जा रहा है कि इस पेंटिंग को वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए भेजा जाएगा. जानकारी के अनुसार इसके लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के अधिकारियों से सम्पर्क किया गया है. इससे पहले भी योगी सरकार ने आजादी के अमृत महोत्सव के तरह काकोरी में शहीदों के नाम पर कार्यक्रम आयोजित किया था, जिसमें राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे.
19 दिसंबर को मनाया जाता है काकोरी शहीद दिवस
काकोरी केस को अंजाम देने वाले शहीदों को याद करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. 9 अगस्त को काकोरी ट्रेन कांड हुआ था. 17 दिसंबर को काकोरी के शहीद राजेंद्र नाथ लाहिड़ी को गोंडा में फांसी दी गयी थी. इस दिन काकोरी में राष्ट्रवादी कवि सम्मेलन और मुशायरे का आयोजन किया जाता है. 19 दिसंबर को राम प्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाकउल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह के शहादत को याद करते हुए कार्यक्रम का आयोजन होता है. इस दिन काकोरी शहीद दिवस के नाम से जाना जाता है. इस दिन काकोरी शहीद स्मारक विकास एवं संरक्षण समिति और प्रशासन कार्यक्रम आयोजित करता है.
कब हुआ था काकोरी कांड
9 अगस्त 1925 को लखनऊ के पास काकोरी से गुजरते हुए क्रांतिकारियों ने 8 डाउन पैसेंजर ट्रेन से सरकारी खजाना लूटकर ब्रिटिश हुकूमत को चुनौती दी थी. इसके लिए दो केस चलाए गए. पहला केस 19 क्रांतिकारियों पर चलाया गया. इसके लिए लखनऊ के रोशन उद्दौला कचहरी में मुकदमा चला. बाद में इस घटना के बाद लापता क्रांतिवीरों पर काकोरी सप्लीमेंट्री केस चला जिसमें शचींद्र नाथ बख्शी भी थे. जब ये क्रांतिकारी अपने केस के लिए उस समय लखनऊ में अंग्रेजो के मनोरंजन के लिए बने रिंग थिएटर (वर्तमान GPO) में आते थे तो सड़क के दोनों किनारे खड़ी जनता उनका अभिवादन करती थी. मेरा ‘रंग दे बसंती चोला’ और ‘सरफ़रोशी की तमन्ना’ जैसे गीत गाते हुए चलते थे.