आप सबको अक्षय कुमार की फिल्म 'ओह माई गॉड' तो याद होगी, जिसमें एक शख्स भूकंप में अपनी दुकान गिरने के लिए भगवान पर केस कर देता है. मामले की कोर्ट में सुनवाई भी होती है और शख्स केस जीत भी जाता है. ऐसा ही एक मामला मद्रास हाईकोर्ट में आया, जहां एक मूर्ति को कोर्ट में पेश किया जाना था, लेकिन हाईकोर्ट ने यह कहकर मामले को खारिज कर दिया कि भगवान को न्यायालय द्वारा समन नहीं किया जा सकता है.
मद्रास उच्च न्यायालय निचली अदालत के एक मामले की सुनवाई कर रहा था जहां अधिकारियों ने निरीक्षण के लिए एक मूर्ति को कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया था. पर हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट के आदेश को यह कहकर पलट दिया कि भगवान को कोर्ट में समन नहीं किया जा सकता है. मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि मूर्ति को अदालत में बुलाया नहीं जा सकता है क्योंकि इसमें अनुष्ठान किया गया है और इसे भगवान के रूप में माना जाता है. मामला थिरुपुर जिले में अरुलमिगु परमासिवन स्वामी थिरुक्कोइल के निरीक्षण के बारे में था. जहां मूलावर (मुख्य मूर्ति) चोरी हो गयी थी और तमिलनाडु पुलिस की आइडल विंग शाखा ने उसे खोज निकाला था.
मूर्ति को हटाया नहीं जा सकता
मुद्दा तब सामने आया जब न्यायिक अधिकारी ने निरीक्षण के लिए मूर्ति को कोर्ट में पेश करने के लिए एक सम्मन जारी किया. पर मंदिर के अधिकारियों ने आगम नियमों के अनुसार पहले ही प्रतिष्ठाई कर ली थी और मूर्ति को 'मूलवर' (मुख्य भगवान) माना जाता था और इसे हटाया नहीं जा सकता था. भक्तों और ग्रामीणों के विरोध के बाद मूर्ति को कुंभकोणम कोर्ट में न्यायिक अधिकारी के आदेश के अनुसार पेश नहीं किया जा सका. जिसे विशेष सरकारी वकील टी चंद्रशेखर ने अदालत को सूचित किया था.
मूर्ति को कोर्ट समन जारी नहीं कर सकता
पूरे मामले पर गौर फरमाने के बाद मद्रास उच्च न्यायालय के जस्टिस आर सुरेश कुमार ने कहा, "चूंकि मूर्ति को भगवान के रूप में माना जा रहा है, इसलिए कोर्ट समन जारी नहीं कर सकता है. केवल निरीक्षण या सत्यापन उद्देश्यों के लिए अदालत द्वारा भगवान को बुलाया नहीं जा सकता है. इसलिए कोर्ट का विचार है कि बड़ी संख्या में भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की जरूरत नहीं है और ना ही मूर्ति यानी मूलावर को इसके लिए हटाने की आवश्यकता है."
इस मामले में फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति आर सुरेश कुमार ने आगे कहा, "मजिस्ट्रेट एक एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर सकता है, जो कार्यकारी अधिकारी और मंदिर के अधिकारियों के साथ मंदिर का दौरा कर सकता है. एडवोकेट कमिश्नर के साथ गांव के कुछ लोग, भक्त और कुछ प्रतिनिधि भी जा सकते हैं. मंदिर का दौरा करने के बाद, एडवोकेट कमिश्नर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर संबंधित न्यायालय को प्रस्तुत करेंगे."
(प्रमोद माधव की रिपोर्ट)