धान कटाई के बाद पराली का प्रबंधन करना किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती है. मजबूरन किसानों को पराली में आग लगानी पड़ती है, जिसके चलते हरियाणा सहित कई राज्यों में बड़े स्तर पर वातावरण प्रदूषित हो जाता है. लेकिन इस बार हरियाणा में किसानों के लिए खुशी के बात यह है कि किसानों को अब पराली जलाने से नहीं बल्की उसकी गाठ बनावाने के भी पैसे मिलेगें.
पराली को प्राइवेट कंपनियां खरीदेगी
वहीं इस बार पराली की प्राइवेट खरीद के बाद किसानों को राहत मिली है. किसानों के चेहरे भी खिले हैं. क्योंकि अगर बात करें तो इस बार सूखे चारे की काफी किल्लत किसानों और व्यापारियों को हुई थी. इसी कारण अब पराली को प्राइवेट कंपनियां खरीदेगी और बासमती पारली का उपयोग भैसों के सूखे चारे में उपयोग होगा. बता दें कि इस बार बासमती की पराली का रेट 6 हजार रुपये एकड़ रहेगा. जबकि 4 से 5 हजार रुपये परमल पराली का रहेगा. जिसे किसान परमल धान के अवशेषों की गांठ बनवा कर रख सकता है और उससे मोटा मुनाफा कमा सकता है.
किसान कर्म सिंह कल्याण ने बताया कि जो पराली की प्राइवेट खरीद होगी. यह किसानों के लिए एक सुनहरा मौका है, नहीं तो पहले यह पराली जलानी पड़ती थी. लेकिन अब यह खेत से 5 से 6 हजारा रुपये की बिक रही है. इससे किसानों को बहुत फायदा होगा. एक तो किसान का खेत बिल्कुल साफ हो जाता है. इससे खेत में बुआई के समय में किसानों को आसानी होती है. क्योंकि बुआई के ज्यादा पैसे किसानों को नहीं देने पड़ेंगे और सरकार द्वारा जो पराली जलाने पर जुर्माना लगाया जाता है, वह भी नहीं होगा. साथ ही वातावरण भी साफ-सुथरा रहेगा. पहले किसान जरूरत के अनुसार किसान खेत से पराली का बाहर निकाल लेते थे, बाकी को खेत में जला देते थे.
'अब किसानों पर नहीं लगेंगे आरोप'
किसान सुरेन्द्र त्यागी ने बताया कि इसका किसानों बहुत ज्यादा फायदा है. क्योंकि पहले सारा दोष किसानों पर आता था कि किसान पराली में आग लगा कर वातारण को प्रदूषित कर रहा है. लेकिन अब किसान को अगर पराली के पैसे मिलेगें तो उसका फायदा होगा. उन्होंने कहा सरकार को हर गांव में चार से पांच गांठ बनाने वाली मशीनें सब्सीडी देकर पहुंचानी देनी चाहिए. ताकि इसका किसानों को फायदा मिल सके.
वहीं हरजिन्द्र सिंह ने कहा कि आने वाले समय में अगर बासमती धान का पराली का अच्छा रेट मिलता है, तो वह यही धान ज्यादा लगाएगें. पहले यही किसानों को ज्यादा समस्या थी कि न तो किसान को बासमती धान का रेट मिलता था और न ही उसकी पराली बिकती थी.
सरकार की अपील मान रहे किसान
फिरोजपुर में किसान सरकार द्वारा की गई अपील को मान रहे हैं और पराली को आग ना लगा कर उसका उपयोग अन्य कामों में किया जा रहा है. फिरोजपुर के गांव नूरपुर सेठा के एक किसान ने बताया कि इस बार अलग-अलग कंपनी की ओर से पराली को खुद उठा कर ले गए हैं. उनकी तरफ से सिर्फ उनको पेट्रोल का खर्चा दिया गया है. जिससे उनकी काफी बचत हुई है.
उन्होंने बताया कि पिछले साल उन्होंने प्रति एक एकड़ के लिए 1000 काटने के लिए दिए थे, लेकिन इस बार सिर्फ डीजल का खर्चा ही दिया. जिससे उनकी पैसे की बचत हुई और और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचा.
फिरोजपुर डिप्टी कमिश्नर ने की अपील
डिप्टी कमिश्नर फिरोजपुर ने किसानों से पराली न जलाने की अपील करते हुए कहा कि पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने और धरती की उर्वरता बनाए रखने के लिए पराली या अन्य अवशिष्ट कचरे को न जलाएं और पराली का प्रबंधन या निपटान ही करें. सुपर सीडर, हेप्सी सीडर, सुपर एसएमएस, स्ट्रॉ चॉपर, मल्चर, क्रॉप रीपर और बेलर आदि जैसे उपकरणों/मशीनों का उपयोग करके इसका निपटान करें. उन्होंने किसानों से पराली के उचित प्रबंधन, पर्यावरण के संरक्षण और मानवता के कल्याण के लिए पराली नहीं जलाने का संकल्प लेने की अपील की.