करोना महामारी के बीच मकर संक्रांति का त्यौहार 15 जनवरी को गुरु गोरक्षनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने के साथ ही शुरू हो जाएगा. प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है लेकिन इस वर्ष गोरक्षनाथ यानी गोरखनाथ मंदिर में ग्रह गोचरों के बनते संयोग से 15 जनवरी को गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाया जाएगा. वैसे तो आम जनता 14 और 15 जनवरी दोनों दिन बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाएंगे लेकिन महंत योगी आदित्यनाथ इस वर्ष 15 जनवरी की सुबह बाबा गुरू गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ाएंगे.
मंदिर प्रशासन का दावा है कि करोना महामारी के बीच लाखों संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए गोरखनाथ मंदिर में सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. श्रद्धालुओं के लिए ये जरूरी होगा कि वो कोरोना नियमों के गाइडलाइंस का पालन करें. इसके लिए मंदिर प्रबंधन ने भी अपने तरफ से तैयारी कर रखी है. मंदिर प्रबंधन ने महिलाओं और पुरुषों के दर्शनों के लिये भीड़ को कंट्रोल करने के बैरिकेडिंग की व्यवस्था की है. इसके तहत उचित दूरी का पालन करते हुए श्रद्धालुओं को दर्शन करने के लिये क्रमवार छोड़ा जाएगा और गेट पर ही सैनेटाइजर की व्यवस्था की गई है.
मंदिर प्रबंधन का कहना है कि श्रद्धालुओं को RTPCR रिपोर्ट लेकर आना है या नहीं, ये स्थानीय प्रशासन तय करेगा. जबकि दूर दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के रुकने के लिए मंदिर प्रबंधन की तरफ से व्यवस्था की गई है. आम जनता का भी कहना है कि वो करोना के नियमों का पालन करते हुए बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाना चाहते हैं.
इतिहास गवाह है कि गोरखनाथ मंदिर की खिचड़ी की शुरुआत आज से नहीं कई दशक पहले से है. शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि आज के दिन ही गंगा भागीरथी के साथ कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए जाकर समुद्र में मिली थी. यह भी माना जाता है कि आज के दिन ही भास्कर यानी सूर्य सूर्य देवता अपने पुत्र शनि से स्वयं उनके घर में जाकर मिलते हैं जो शनि मकर राशि के स्वामी माने जाते हैं इसीलिए मकर संक्रांति भी कहा जाता है.
उसी समय से निरंतर आज तक खिचड़ी का महापर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. भारत के कोने कोने में इस खिचड़ी के पर्व को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है कहीं पोंगल कहीं लोहरी और कहीं खिचड़ी इन अलग-अलग नामों से जाना जाता है.
श्रद्धालुओं के बीच कोई मजहबी दीवार नहीं
गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा काफी पुरानी है. माना जा रहा है कि इस बार लाखों की संख्या में श्रद्धालु खिचड़ी चढ़ाने आएंगे, जो उत्साह से सराबोर हैं. इस बार की तैयारियों से श्रद्धालु खासा उत्साहित हैं. श्रद्धालु कोविड प्रोटोकॉल के तहत मंदिर में दर्शन और मेले का आनंद ले रहे हैं. आस्था के इस पावन त्योहार पर इनके बीच कोई मजहबी दीवार नहीं है. हिंदुओं के इस पर्व में गोरक्षनाथ मंदिर में सबसे बड़ी भूमिका परिसर स्थित मुस्लिम दुकानदारों की होती है. मंदिर परिसर में ज्यादा से ज्यादा दुकानदार मुस्लिम परिवार से आते हैं और यही इस गोरक्षनाथ मंदिर के खिचड़ी के मेले की शोभा बढ़ाते हैं. इन सभी दुकानदारों को पूरी सुरक्षा मिलती है और साथ ही सुविधा भी मिलती है. कई दुकानदार तो अलग-अलग जिलों से भी आते हैं और कई पीढ़ियों से मंदिर में अपनी दुकान सजाते हैं और उनका रोजगार भी यहीं से चलता है.
हर बार खिचड़ी का त्यौहार 14 जनवरी को मनाया जाता था लेकिन इस बार यह पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा. खिचड़ी त्योहार के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. चारों तरफ सीसीटीवी कैमरों की निगरानी के अलावा चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल और कई सुरक्षा एजेंसियां तैनात हैं जो मंदिर की सुरक्षा और मेले की सुरक्षा में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं. कोविड-19 से बचने के लिए कोविड हेल्प डेस्क बनाया गया है. श्रद्धालुओं से 'दो गज की दूरी के साथ मास्क है जरूरी' की अपील की जा रही है.
साथ ही मंदिर से जुड़े हुए वॉलिंटियर मेले में आने वालों के लिए मास्क भी वितरित करेंगे जो मास्क लगाकर नहीं आ रहा है उसे मास्क भी दिया जाएगा.
(गजेंद्र त्रिपाठी की रिपोर्ट)