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टू-टीयर और थ्री-टीयर शहरों में बस सुविधा बढ़ाएगी सरकार, 18 हजार करोड़ रुपए होंगे खर्च; PPP मॉडल के तहत शुरू होगी योजना

देश के छोटे शहरों में इंफ्रास्ट्रक्चर ठीक करने उद्देश्य से सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है. टू-टीयर और थ्री-टीयर शहरों में बस सुविधा बढ़ाई जाएगी. सरकार की इस योजना पर 18 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे और यह योजना पीपीपी मॉडल के तहत शुरू की जाएगी.

छोटे शहर में बढ़ेगी बस की सुविधा छोटे शहर में बढ़ेगी बस की सुविधा
हाइलाइट्स
  • प्रति किलोमीटर के हिसाब से कंपनी को होगा भुगतान

  • सीएनजी या डीजल बसें होंगी ऑपरेट

  • छोटे शहरों में इंफ्रास्ट्रक्चर ठीक करने की कवायद

केंद्रीय आवास और शहरी मंत्रालय ने छोटे शहरों में परिवहन सुविधा बढ़ाने के लिए एक योजना तैयार की है. इस योजना पर कुल 18 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे. पिछले साल के बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसका ऐलान किया था. देश के टू-टीयर और थ्री-टीयर शहरों में बस की सुविधा बढ़ाने की घोषणा की गई थी.

पीपीपी मॉडल के तहत शुरू होगी योजना
इस योजना से जुड़े दो अधिकारियों ने यह जानकारी दी कि दो मंत्रालय की शेयर किया गया है. इसे पीपीपी यानि पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप(public-private-partnership) मॉडल के तहत लागू किया जाएगा. राज्य सरकार इसके लिए प्राइवेट सेक्टर की मदद लेगी. इसमें पार्टनरशिप करने वाली कंपनी की यह जिम्मेदारी बस उपलब्ध कराने से लेकर उसके रखरखाव और संचालन की होगी.

प्रति किलोमीटर के हिसाब से होगा भुगतान
इसमें पार्टनरशिप करने वाली कंपनी के साथ सरकार का कॉन्ट्रैक्ट होगा जिसमें एक निश्चित समय के लिए सरकार पैसा देगी. किलोमीटर के हिसाब से कंपनी को यह पैसा दिया जाएगा. दो मंत्रालय को यह योजना शेयर की गई है. इस योजना से जुड़े एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि यह योजना अभी शुरुआती चरण में है. चर्चा के बाद जो इनपुट मिलेगा, उसके आधार पर इसे आगे बढ़ाया जाएगा और अंतिम रूप दिया जाएगा.

छोटे शहरों में इंफ्रास्ट्रक्चर ठीक करने की कवायद
इस योजना जुड़े दूसरे अधिकारी ने बताया कि छोटे शहरों में इंफ्रास्ट्रक्चर ठीक करने के लिए सरकार यह कदम उठाने जा रही है. इसमें खासकर वैसे शहर शामिल हैं जहां बस सुविधा नहीं है या फिर अच्छी नहीं है. जिस कंपनी को इसका कॉन्ट्रैक्टर दिया जाएगा उसे सीएनजी(CNG) या डीजल बस ऑपरेट करने की जिम्मेवारी होगी. उन्होंने बताया कि जो बसें शुरू की जाएंगी उसमें कोई इलेक्ट्रिक बस नहीं होगी. चूंकि, चार्जिंग प्वाइंट का नहीं होना बड़ी समस्या है, ऐसे में अभी इलेक्ट्रिक बस पर विचार नहीं जा रहा है. इस योजना का लक्ष्य छोटे शहर में रह रहे लोगों को अच्छी परिवहन सुविधा मुहैया करना है. इसी साल जनवरी में कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड ने 5,580 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए 5,500 करोड़ रुपए का टेंडर जारी किया था. टेंडर ने पहले चरण में दिल्ली, बेंगलुरु, सूरत, हैदराबाद और कोलकाता के लिए 5,450 सिंगल-डेकर और 130 डबल-डेकर ई-बसों की मांग की गई थी.