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National Suicide Prevention Policy: आत्महत्या को लेकर सख्त हुई सरकार, जानिए क्या है नेशनल सुसाइड प्रिवेंशन पॉलिसी

देश और दुनिया में आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन ऐसे मामलों पर रोक लगाने के लिए अब केंद्र सरकार ने बड़ी पहल की है. सरकार आत्महत्या के मामलों को रोकने के लिए पहली बार राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम नीति बनाई है.

आत्महत्या आत्महत्या
हाइलाइट्स
  • आत्महत्या रोकथाम की दिशा में बेहतर कदम

  • आईपीसी की धारा 309 के तहत आत्महत्या की कोशिश अपराध

आत्महत्या आज के वक्त में बड़ी समस्या बन चुकी है. अक्सर लोग बेहद छोटी छोटी बातों पर भी आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठा लेते हैं. लेकिन अब इन मामलों पर रोक लगाने का समय आ गया है. इसलिए सरकार पहली बार 'राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम नीति' ला रही है.

नई नीति में क्या है खास?
इस नीति के तहत आत्महत्या की वजह से मृत्यु दर को 10 फीसदी तक कम करने की कोशिश की जाएगी. ये लक्ष्य 2030 तक के लिए निर्धारित किया गया है. अगले 3 साल में नीति को लागू करने के लिए प्रभावी निगरानी तंत्र बनेगा. साथ ही अगले 5 साल में सभी जिलों में मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाया जाएगा. मनोरोग के शिकार लोगों के मानसिक स्वास्थ्य कल्याण को लेकर भी कोशिशें होंगी. सबसे अहम ये कि अगले 8 सालों में ये सिलेबस में शामिल होगा और बच्चे प्राइमरी लेवल पर ही इस बारे में पढ़ सकेंगे.

आत्महत्या रोकथाम की दिशा में बेहतर कदम
सुसाइड जैसा खतरनाक कदम उठाने वाले लोगों में 98 फीसदी लोग ऐसे होते हैं, जो मेंटल डिसऑर्डर से जूझ रहे होते हैं. उनकी बीमारी को पहचानकर उनका इलाज हो सके, इसके लिए सरकार की तरफ से कई एनजीओ और प्राइवेट संस्थाएं काम करती रही है. सरकार की इस पहल का स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने स्वागत करते हुए इससे आत्महत्या रोकथाम की दिशा में बेहतर कदम बताया है.  

अपराध है आत्महत्या 
भारत में आईपीसी की धारा 309 के तहत आत्महत्या की कोशिश अपराध मानी जाती है. सरकार की तरफ से ऐसे लोगों की काउंसलिंग और मेंटल कंडीशनिंग कराई जाती है, जिससे मानसिक तनाव को कम किया जा सके.

पिछले 50 सालों में क्या है सुसाइड का आंकड़ा
सरकार का ये कदम कितना जरूरी है, उसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले 50 साल में दुनिया भर का सुसाइड रेट 60% बढ़ा है. जबकि भारत में 30 साल में ही ये 43% बढ़ा है. औसतन एक साल में लगभग डेढ़ लाख लोग आत्महत्या करते हैं. तीन साल में भारत में सुसाइड रेट 10.2 से बढ़कर 11.3 हुआ. आत्महत्या करने वालों में 15 से 25 साल की उम्र के लोगों की तादाद सबसे ज्यादा है. भारत में हर घंटे करीब 18 लोग सुसाइड करते हैं. एनसीआरबी यानी नेशनल क्राइम ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर रोज 450 लोग सुसाइड करते हैं. 2017 में भारत में 1.29 लाख लोगों ने आत्महत्या की, 2018 में ये आंकड़ा 1.35 लाख पहुंचा, 2019 में 1.39 लाख, 2020 में 1.53 लाख, 2021 में 1.64 लाख, साल 2021 में 1.64 लाख लोगों ने आत्महत्या की. जिसके बाद सरकार का ये कदम बेहद जरूरी है.