अब उत्तर प्रदेश में किसी को भी बच्चे के पैदा होने के बाद सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. पैदा होने के तुरंत बाद अब नवजात शिशुओं को जन्म प्रमाण पत्र दे दिया जाएगा. दरअसर, बच्चों के जन्म के बाद सबसे बड़ी परेशानी होती है कि उनका जन्म प्रमाण पत्र बनवाना पड़ता है. लेकिन अब इसमें कोई भी परेशानी नहीं आएगी. उत्तर प्रदेश में एक नई सुविधा शुरू की गई है जिसमें जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं को तत्काल जन्म पंजीकरण प्रमाण पत्र दिया जाएगा. माता-पिता को अब अपने शिशुओं के लिए जन्म प्रमाण पत्र लेने के लिए नौकरशाही का चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है.
डिजिटल टेक्नोलॉजी का किया जाएगा इस्तेमाल
राज्य सरकार ने इसके लिए डिजिटल तकनीक का उपयोग किया है. सरकार ने MaNTrA (मां नवजात ट्रैकिंग) ऐप को बर्थ रजिस्ट्रेशन सिस्टम के साथ जोड़ा जाएगा. मेडिकल हेल्थ के प्रिंसिपल सेक्रेटरी पार्थ सारथी सेन शर्मा ने इसे लेकर मीडिया से कहा, "जनगणना संचालन निदेशालय, लखनऊ ने उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM-UP), यूनिसेफ और भारत के रजिस्ट्रार जनरल के ऑफिस के साथ पार्टनरशिप की है."
क्या होती है इसकी प्रक्रिया?
प्रक्रिया के बारे में बात करें तो, सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस एनएचएम-यूपी द्वारा प्रबंधित मां नवजात ट्रैकिंग ऐप से 17 क्षेत्रों के लिए डेटा लेता है. फिर डेटा को जन्म प्रमाण पत्र में कॉन्फिगर किया जाता है. इसपर फिर अस्पताल रजिस्ट्रार डिजिटल हस्ताक्षर करता है. इसको लेकर प्रिंसिपल सेक्रेटरी पार्थ ने कहा, "जन्म प्रमाणपत्र अब जन्म के कुछ घंटों के भीतर नवजात के माता-पिता को सौंपा जा सकता है. हम आने वाले महीनों में सभी सरकारी सुविधाओं में इस सुविधा को शुरू करने का प्रयास करेंगे ताकि हर मौके पर ऑटोमेटिक रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी किया जा सके."
एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) उन सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों के लिए शुरू किया गया है जो रजिस्ट्रार के रूप में काम करते हैं. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक लगभग 2,500 जन्म प्रमाण पत्र जारी किए जा चुके हैं.