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डीजल नहीं Solar Pumps का इस्तेमाल कर रहे हैं इस गांव के सभी किसान, मिलकर बचा रहे हैं 1.10 करोड़ रुपए सालाना

कुछ समय पहले तक देश का पहला सोलर गांव मोढेरा खूब चर्चा में था और अब सूरत के एक गांव पर चर्चा बनी हुई है. क्योंकि इस गांव में कोई भी खेती में पंप के लिए डीजल का इस्तेमाल नहीं करता है.

Solar pump in Bhandut village Solar pump in Bhandut village
हाइलाइट्स
  • सालाना 1 करोड़ से ज्यादा रुपयों की हो रही है बचत

  • पर्यावरण के लिए भी है फायदेमंद  

सूरत जिले के ओलपाड़ में भांडूत गांव अब शत-प्रतिशत सोलर पंप संचालित हो गया है. गांव की 688 बीघा कृषि भूमि पर 5-एचपी के पंद्रह पंपों का प्रबंधन किया है. सार्वजनिक-निजी-भागीदारी ( पीपीपी) मॉडल की विशेषता वाली यह पहल पूरी तरह से कार्यरत हो गई है. 

ग्राम पंचायत और एक एनजीओ ने सरकार के सिंचाई विभाग के मार्गदर्शन के साथ दो साल के भीतर डीजल से सौर ऊर्जा संचालित पंपों में रूपांतरण को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. जिला पंचायत और एनजीओ ने राज्य सरकार की सिंचाई संबंधी योजनाओं को सुनिश्चित करने के लिए खेतों में सिंचाई पाइपलाइनों लगवाई और अब हर खेत में सौर पंप चल रहा है. 

सालाना 1 करोड़ से ज्यादा रुपयों की हो रही है बचत
सोलर पंप लग जाने से किसानों के जीवन को काफी फायदा हुआ है. इस पहल के माध्यम से भांडुत गांव के 401 किसान अब डीजल नहीं खरीदते हैं और इससे धन के साथ श्रम लागत और समय भी बचा रहे हैं. डीजल पर सामूहिक रूप से औसत वार्षिक बचत की बात करें तो किसानों का कहना है कि उन्हें 9.13 लाख रुपए प्रति माह और 1.10 करोड रुपये सालाना की बचत हो रही है. 

एक फायदा किसानों को यह भी हुआ है कि उनकी उपजाऊ जमीन में वृद्धि हुआ है. क्योंकि सौर ऊर्जा के कारण उन्हें सब खेतों में पानी मिल रहा है. ऐसे में, पहले जिन खेतों को सिंचाई साधन न होने के कारण खाली छोड़ दिया जाता था. अब उनमें भी फसल हो रही है. 

पर्यावरण के लिए भी है फायदेमंद  
डीजल से सोलर तक के इस सफर में किसानों ने न सिर्फ धन की बचत की है बल्कि पर्यावरण को भी फायदा हो रहा है. एक गणना के अनुसार डीजल पंपों के न होने से गांव से 2,69,916 किग्रा/सालाना कार्बन उत्सर्जन समाप्त हो गया है. इस तरह अब यह गांव देश के नेट-जीरो लक्ष्य में भी अपना योगदान दे रहा है.