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Gujarat: हाईकोर्ट ने रेप पीड़िता के गर्भ में पल रहे 27 हफ्ते के बच्चे के गर्भपात को दी मंजूरी, नवजात जिंदा रहा तो सरकार निभाएगी पालन-पोषण की जिम्मेदारी 

सामान्य तौर पर 24 हफ्ते तक के गर्भपात की मंजूरी एमटीपी एक्ट के तहत दी जाती है. हाईकोर्ट ने इस केस में दुष्कर्म पीड़िता की अर्जी को ध्यान में रखते हुए 27 हफ्ते से ज्यादा वक्त के गर्भ में पल रहे बच्चे के गर्भपात की मंजूरी दी है. 

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो
हाइलाइट्स
  • रेप पीड़िता की उम्र 16 साल और 6 महीने

  • गर्भ में पल रहे बच्चे का वजन हैं 1.1 किलोग्राम

गुजरात हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है. 16 साल और 6 महीने की रेप पीड़ित किशोरी को गर्भपात की मंजूरी दी है. अनाथ पीड़िता के 27 हफ्ते से ज्यादा समय के गर्भ में पल रहे बच्चे का वजन तकरीबन 1.1 किलोग्राम जितना है. पीड़िता ने हाईकोर्ट के समक्ष गर्भपात की इच्छा व्यक्त की थी. 

गर्भपात की मांगी थी मंजूरी 
हाईकोर्ट से 27 सप्ताह से अधिक समय से गर्भ में पल रहे बच्चे की गर्भपात की मंजूरी मांगी गई थी. अनाथ पीड़िता अहमदाबाद स्थित अनाथ आश्रम में साल 2015 से 2022 तक रहती थी. तीसरी से आठवीं तक का अभ्यास उसने अनाथ आश्रम में किया था. इसके बाद अधिक शिक्षा के लिए जून 2022 में युवती को भावनगर भेजा गया. जहां पर एक स्थानिय व्यक्ति ने उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित किए थे. 

गुजरात हाईकोर्ट ने की पुष्टि 
दिवाली वेकेशन के वक्त युवती अहमदाबाद स्थित अनाथ आश्रम में आई, जहां महिला कर्मचारियों ने युवती के शारीरिक स्थिति को देखते हुए पूछताछ करने पर युवती ने सारी जानकारी बताई. युवती की स्थिति को देखकर अंत में अनाथ आश्रम की महिला कर्मचारी की ओर से हाईकोर्ट से 27 सप्ताह से अधिक समय से गर्भ में पल रहे बच्चे की गर्भपात की मंजूरी मांगी गई. गुजरात हाईकोर्ट ने पीड़िता के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात कर इसकी पुष्टि की. 

कोर्ट ने दिए जरूरी आदेश
इस केस में आरोपी के खिलाफ पालीताणा ग्राम्य पुलिस स्टेशन में दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के तहत शिकायत दर्ज हुई है. गुजरात हाईकोर्ट में युवती के गर्भपात के लिए अर्जी करने के बाद हाईकोर्ट ने भावनगर सिविल अस्पताल को पीड़िता के मेडिकल रिपोर्ट के आदेश दिए थे. फिलहाल पीड़िता अस्पताल में एडमिट है, जिसका मेडिकल रिपोर्ट सील बंद कवर में कोर्ट के सामने रखा गया. गुजरात हाईकोर्ट ने पीड़िता के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बात करके गर्भपात की इच्छा के बारे में पुष्टि की और पीड़िता के निर्णय में कोई हस्तक्षेप न करें इसलिए कोर्ट ने जरूरी आदेश भी दिए.

गर्भ का डीएनए रखना होगा सुरक्षित 
सामान्य तौर पर 24 हफ्ते तक के गर्भपात की मंजूरी एमटीपी एक्ट के तहत दी जाती है, लेकिन इस केस में दुष्कर्म पीड़िता की अर्जी को ध्यान में रखते हुए 27 हफ्ते से ज्यादा वक्त के गर्भ में पल रहे बच्चे के गर्भपात की मंजूरी दी गई है. गुजरात हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक, गर्भ के डीएनए रिपोर्ट को सुरक्षित रखना रहेगा. एक साइकोलॉजिस्ट और तीन गाइनेकोलॉजिस्ट युवती का ऑपरेशन करेंगे. बच्चा जीवित जन्म लेता है तो उसे बचाने के हर प्रयास करने होंगे. इसके बाद बच्चा सरकार को सौंपा जाएगा, बच्चे की तमाम जिम्मेदारी सरकार को निभानी होगी.