कहते है कि शौक का कोई मूल्य नहीं होता. लोग अपने शौक के मुताबिक ऐसे ऐसे काम कर जाते हैं कि देखने वाले दांतों तले उंगलियां दबा लेने को मजबूर हो जाते हैं. इसी तरह का शौक पाल रखा है बटाला के रहने वाले नौजवान संजीव कुमार ने. संजीव कुमार को शौक है पतंगबाजी का. अब आप सोच रहे होंगे कि यह कौन सा कोई अलग शौक है. यह तो लगभग हर किसी को होता है,लेकिन यहां ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. हम आपको बताते हैं कि संजीव कुमार का शौक बाकियों की अपेक्षा कैसे अलग है. संजीव कुमार पतंगबाजी करते हैं वो भी अपने हाथों से बनाईं गई पतंग के साथ. यह भी कोई छोटी मोटी पतंग नहीं है बल्कि 6 फुट से ले कर 14 फुट की पतंग है.
पेशे से टाइल्स बनाने का काम करते हैं संजीव
संजीव पतंग बनाने के करीगर नहीं हैं और न ही वह पतंगों बेचने का काम करते हैं. संजीव पेशे से फ्लोर यानी कि टाईल्स लगाने का काम करते हैं. संजीव की पृष्टभूमि बिहार से जुड़ी है लेकिन उसका जन्म पंजाब के बटाला में हुआ है. पतंगबाजी का शौक उन्हें बचपन से ही था. हर लोहड़ी के त्योहार पर वो पतंगबाज़ी करते थे. लेकिन हर बार छोटी-छोटी पतंगों को उड़ा कर उनका मन भर गया. इसी दौरान उनके मन में ख्याल आया कि क्यों न दूसरों की अपेक्षा कुछ अलग किया जाये इसलिए उन्होंने खुद बड़ी-बड़ी पतंग बनानीं शुरू कर दिया.
अलग-अलग रंग और डिजाइन की पतंग बनाना है शौक
संजीव का कहना था कि आज हर लोहड़ी के त्योहार पर वो अपने हाथों से 6 फुट से लेकर 14 फुट तक की अलग-अलग रंग और डिजाइन की पतंगे बनाते हैं. उनका कहना था कि जब उन को लोग बड़ी पतंगों उड़ाते देखते हैं तो वो हैरान हो जाते हैं. संजीव का कहना था कि उनके इस शौक का कोई मूल्य नहीं है इसलिए वह अपनी बनाईं पतंगों को बेचते नहीं हैं. उन्होंने बताया कि वह इन पतंगों को बनाने के लिए खास कागज का इस्तेमाल करते हैं, जो बरसात और तेज हवा में भी खराब नहीं होती हैं. इन पतंगों को उड़ाने के लिए खास धागे की बनी डोर का प्रयोग करते हैं.
घरवाले करते हैं मना
उनका कहना था कि अपने काम से आकर वो रोज 2 से 3 घंटे पतंग बनाते हैं. इस काम में घरवाले उनको रोकते टोकते हैं लेकिन परन्तु यह उनका शौक है. वह हर लोहड़ी के त्योहार पर अपना शौक पूरा करते हैं. उनका कहना है कि अगर कोई पतंगबाज उनसे बड़ी पतंग उड़ाने के लिए मांगता है तो वह एक आधी पतंग मुफ्त में बना कर देते हैं.
(गुरदासपुर से बिशाम्बर बिट्टू की रिपोर्ट)
ये भी पढ़ें: