पिछले काफी समय से सुर्खियों में बने ज्ञानवापी मामले में आज अदालत ने सुनवाई की. यह मामला पिछले काफी समय से सुर्खियों में बना हुआ था इसलिए प्रशासन ने नगर में धारा 144 लागू कर दी है.ज्ञानवापी मामले में वाराणसी कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की अपील को खारिज करते हुए हिंदू पक्ष में फैसला सुनाया है. जिला कोर्ट के जज कृष्णा विश्वेश ने फैसला सुनाया. उन्होंने श्रंगार गौरी मंदिर में पूजा-दर्शन की अनुमति की मांग वाली याचिका को सुनवाई के लायक बताया. मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी.जबकि मुस्लिम पक्ष इसे ऊपरी अदालत में चुनौती देगा. मुस्लिम पक्ष जिला कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाइकोर्ट जा सकता है.
क्या थी मांग?
वाराणसी की अदालत का फैसला हिंदू महिलाओं के एक समूह द्वारा दायर याचिका पर आधारित होगा, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर के अंदर हिंदू देवताओं और देवताओं की पूजा करने की अनुमति मांगी गई थी, जिसका मुस्लिम समुदाय ने कड़ा विरोध किया था.
इसके अलावा, मुस्लिम समुदाय और मस्जिद प्रशासन ने कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद की संपत्ति वक्फ बोर्ड के स्वामित्व में है और मामले को अदालत के समक्ष नहीं सुना जा सकता है. उन्होंने कहा कि केवल वक्फ बोर्ड को ही इस विवाद पर फैसला करने का अधिकार है. लगभग 21 दिनों तक चली बहस के बाद इस पर अदालत अपना फैसला सुनाएगी.
ज्ञानवापी फैसले में कब क्या हुआ?
1. वाराणसी जिला अदालत आज के आदेश में अपना फैसला सुनाएगी. फैसले में यह तय किया जाएगा कि क्या हिंदू महिलाओं द्वारा मस्जिद के अंदर प्रार्थना करने के लिए दायर याचिका को अदालत के सामने रखा जा सकता है, या क्या इसे तर्कसंगत आधार पर दायर किया गया है.
2. इससे पहले, जिला न्यायाधीश अजय कृष्ण विश्वेश ने 24 अगस्त को दोनों पक्षों की दलीलें सुनी थीं और अदालत के फैसले को सुरक्षित रखने का फैसला किया था, जिसकी घोषणा आज होने की उम्मीद है.
3. ज्ञानवापी मस्जिद के वीडियो सर्वेक्षण की रिपोर्ट 19 मई, 2022 को अदालत को सौंपी गई थी, जिसमें हिंदू पक्ष के दावों को तेज करते हुए मस्जिद के परिसर के अंदर एक संरचना, कथित तौर पर एक शिवलिंग को दिखाया गया था. हिंदू पुराणों अनुसार काशी में विशालकाय मंदिर में आदिलिंग के रूप में अविमुक्तेश्वर शिवलिंग स्थापित है.
4. शिवलिंग के संबंध में हिंदू याचिकाकर्ताओं के दावों के बावजूद, मस्जिद के अधिकारियों ने कहा कि संरचना एक फव्वारा था और कुछ नहीं.
5. पिछली सुनवाई में से एक के दौरान, मस्जिद समिति का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने हिंदू पक्ष द्वारा किए गए कई बिंदुओं पर तर्क दिया, जबकि बाद वाले ने कहा कि वे जल्द ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा अदालत में एक रिपोर्ट पेश करेंगे.
क्या है हिंदू-मुस्लिम पक्ष?
मुस्लिम पक्ष ने इस मामले को उपासना स्थल अधिनियम के खिलाफ बताते हुए कहा था कि यह मामला सुनवाई के योग्य नहीं है. वहीं हिंदू पक्ष का दावा है कि मुस्लिम पक्ष बहुत पुराने दस्तावेज पेश कर रहा है जो इस मामले से संबंधित नहीं है.
क्यों हुआ था विवाद?
इससे पहले पांच महिलाओं ने वाराणसी की अदालत में याचिका दायर कर काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी स्थल की पूजा की अनुमति मांगी थी, जिससे विवाद छिड़ गया था. वहीं अदालत के फैसले से पहले काशी के मंदिरों में पूजा-अर्चना शुरू हो चुकी है. महावीर मंदिर में हवन किया गया. लोगों में इसको लेकर काफी उत्सुकता है.