प्रकृति जब कुछ लेती है तो सूद समेत लौटाती भी है. दरअसल जब इंदिरा सागर बांध के निर्माण से जो विशाल जलाशय बना तब चारों तरफ डूब का भयावह मंजर था. कहीं सैकड़ों गांव डूब रहे थे तो हरसूद जैसे बड़े शहर भी. हजारों हेक्टर का बेशकीमती वन क्षेत्र डूब रहा था तो उर्वर कृषि भूमि भी. सबसे त्रासद तो यह था डूब प्रभावितों की उम्मीदें भी डूब रही थी....जेब में मुआवजे का पैसा तो था लेकिन रोजगार के लिए कोई ठोस जमीन पैरों तलें नहीं... शायद वह विकास की प्रसव पीड़ा थी जिसे इस निमाड़ अंचल ने भोगा.
इन्दिरा सागर बांध से डूब में आए गांवों के विस्थापन के एक दशक बाद यहां दृश्य बदल गया. नर्मदा के तट पर विकास की नई इबारत लिखी जानी थी. रोजगार के नए अवसर तलाशे जाने थे. जहां कभी दूर-दूर तक बंजर भूमि नजर आती थी वहां अब सागर सी लहरें उठती दिखाई देती हैं. जो किसान कभी अपने खेतों की प्यास बुझाने के लिए परेशान होते थे वे अब मीठे पानी की एशिया की सबसे बड़ी झील में मत्स्यपालन से रोजगार के नए अवसर तलाशने में जुट गए. यहां इन्दिरा सागर जलाशय की विशालता ने प्राकृतिक सौन्दर्य भी कई गुना बढ़ा दिया, अथाह जलराशि के बीच कई टापू उभरकर आए जिससे पर्यटन की अपार संभावनाएं भी अंकुरित हुई. नर्मदा के किनारे समृद्ध वन सम्पदा तो थी ही जिसमें वन्यजीवन भी संरक्षित किया जा सकता है. इस तरह प्रकृति प्रेमियों के लिए यह आदर्श स्थान बनकर उभरा.
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने सबसे पहले यहां पर्यटन की संभावनाओं को महसूस किया और इसे विकसित करने का संकल्प लिया. इसके पीछे भी एक दिलचस्प वाकिया है कि जब वे सिंगापुर के सेंटोसा द्वीप में भ्रमण के लिए गए तो वहां उन्हें महसूस हुआ कि ठीक इसी तरह का पर्यटन केन्द्र तो मध्यप्रदेश में ही नर्मदा में उभरे टापुओं में भी किया जा सकता है. वहां से लौटते ही उन्होंने मध्यप्रदेश पर्यटन निगम के अधिकारियों को अपनी इस इच्छा से अवगत कराया तो उन्होंने भी इस विचार का स्वागत किया और इसे साकार करने में जुट गए. पर्यटन निगम ने खण्डवा जिले में नर्मदा के बैकवॉटर के समीप हनुवंतिया को इसके लिए उपयुक्त माना और इसके विकास के लिए प्रयास शुरू कर दिए.
हनुवंतिया में पर्यटकों के लिए सर्वसुविधायुक्त टूरिस्ट कॉटेज का निर्माण नर्मदा किनारे किया गया. वॉटर स्पोर्ट्स के लिए आवश्यक सुविधाएं जुटाई गई. नर्मदा की लहरों पर एक मिनी क्रूज भी उतारा गया और कई तरह की मोटर बोट्स भी. वर्ष 2016 में यहाँ पहली बार दस दिवसीय जलमहोत्सव का आयोजन किया गया जिसका शुभारम्भ स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ही किया. 12 से 21 फरवरी 2016 के दौरान पहले जलमहोत्सव को मिली कल्पनातीत सफलता ने शिवराजसिंह जी के सपने को जैसे साकार कर दिया. उस दौरान यहां 150 से ज़्यादा टेन्ट लगाकर पर्यटन नगर विकसित किया गया. जल महोत्सव के दौरान आईलैंड केम्पिंग, विन्ड सर्फिंग, पेरासेलिंग, वॉटर स्कीईंग, जेट स्कीईंग, बनाना बोट राईड और वॉटर जोविंग जैसे जल में खेले जाने वाले साहसिक खेल आयोजित किए गए तो हॉट एयर बेलूनिंग, पेरासेलिंग एवं पेरा मोटर्स जैसे वायु में खेले जाने वाले साहसिक खेल भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने. यह उस तरह के रोमांचकारी अनुभव थे जिसके लिए अब तक देश में चुनिन्दा ही स्थान थे जहां पर्यटक ये सुविधाएं पा सकते थे. मध्यप्रदेश के निवासियों के लिए तो यह एक सपने के साकार होने जैसा ही था. जहां एक ओर इस तरह की रोमांचकारी खेल थे तो वहीं पारंपरिक देशी खेलो का भी आकर्षण अनूठा था जिसमें बैलगाड़ी दौड़, साइकिलिंग, पतंगबाजी जैसी गतिविधियां भी शामिल थी. इसके साथ ही देशी व्यंजनों का स्वाद था तो निमाड़ी संस्कृति की सौंधी महक भी. पर्यटकों के मनोरंजन के लिए यहां दस दिन तक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित हुए. इस तरह यहां वहां वह हर आकर्षण था जिसकी पर्यटकों को चाह होती है.
जैसे जैसे यहां सुविधाएं बढ़ती गईं वैसे-वैसे पर्यटकों की संख्या बढ़ती गई. इसके व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने फिर अपनी केबिनेट की एक बैठक ही हनुवंतिया में क्रूज़ पर ले डाली. इससे जहां देशभर में मीडिया के माध्यम से इसका व्यापक प्रचार-प्रसार हुआ तो फिर विदेशों तक में इसकी चर्चा होने लगी. इस बार सातवां जल महोत्सव है जिसमें देश भर के पर्यटकों ने खासी रूचि दिखाई है. यहां एडवेंचर्स गेम्स लोगो के विशेष आकर्षण का केंद्र है.
थोड़ा है, थोड़े की जरूरत है
बहरहाल हनुवंतिया से निमाड़ में पर्यटन की एक शुरुआत हुई है लेकिन यहां अब भी अनेक स्थान है जिन्हें विकसित कर पर्यटन को यहां काफी विस्तारित किया जा सकता है. हनुवंतिया के अलावा नर्मदा जलाशय में पचास से ज्यादा टापुओं को विकसित किया जा सकता है. यहां पर प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र भी विकसित किए जा सकते हैं जो लोगों को बेहतर स्वास्थ्य के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकता है. यहां वर्षो से वन्य प्राणी अभ्यारण्य विकसित किया जाना है. इस दिशा में भी तेजी से कार्य कर वन्य प्राणियों का यहां पुनर्वास कर देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है. एक बड़ी समस्या अभी भी हनुवंतिया के पहुंच मार्ग की है जो पर्यटकों के आवागमन में बड़ी बाधा है. यहाँ से इंदौर एयरपोर्ट की दूरी करीब 125 किलोमीटर है लेकिन यहां सड़क मार्ग की दुर्दशा के चलते यह यात्रा बहुत कष्टप्रद हो गई है, इसी तरह खण्डवा जिला मुख्यालय से इसकी महज 40 किलोमीटर का मार्ग भी खराब होने से पर्यटकों को खासी दिक्कतें आती हैं. यहां पर्यटन को विकसित करने के लिए आधारभूत सुविधाओं को भी विस्तारित करना अति आवश्यक है.
निजी क्षेत्र की सहभागिता भी जरूरी
पर्यटन को विस्तारित करने के लिए इसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी बेहद जरूरी है. अभी यहां तमाम पर्यटन सुविधाएं सरकारी बैसाखियों पर ही हैं इसलिए यदि सरकार यहां रूचि लेना बंद कर दें तो तमाम गतिविधियां ठप्प होने में देर नहीं लगेगी. हाल ही में यह अनुभव भी हुआ कि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद कमलनाथ सरकार की जल महोत्सव में अपेक्षित रूचि नहीं दिखी जिससे यहां विकास को विराम लग गया था लेकिन शिवराज जी की सत्ता में वापसी के साथ ही भी यहां पर्यटन की उम्मीदें फिर अंकुरित हुई. प्रदेश के केबिनेट मंत्री विजय शाह स्वीकारते है कि हमारे सत्ता से बाहर होने से यहां विकास थम गया था, पर्यटकों में कमी आई थी लेकिन अब हम पुनः इसका विकास करेंगे. यहां पर्यटन में निजी निवेश बढ़ जाए तो यह अनिश्चितता समाप्त हो सकती है. हुनवंतिया के साथ ओम्कारेश्वर, महेश्वर, माण्डू के साथ एक टूरिस्ट सर्कल विकसित करने से भी पर्यटकों को ज्यादा लाभ मिल सकेगा.
-खण्डवा से जय नागड़ा की रिपोर्ट