बीजेपी के 'पितामह' कहे जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी के रथ को रोकने वाले बिहार के आरा लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री राजकुमार सिंह (आरके सिंह) की गिनती आज मोदी कैबिनेट के परफॉर्मर मंत्रियों में होती है.आज इनके जन्मदिन पर हम आपको बता रहे हैं कब आरके सिंह ने रोका था रथ और कैसे बढ़ते गया राजनीति में कद ?
मंदिर आंदोलन को गरमाने के लिए आडवाणी ने 25 सितंबर, 1990 को सोमनाथ से राम रथयात्रा शुरू की थी. रथयात्रा का पहला चरण 14 अक्टूबर को पूरा हुआ था. आडवाणी दिल्ली पहुंचे. प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने 18 अक्टूबर को ज्योति बसु को दिल्ली बुलाया. बसु ने आडवाणी से बातचीत की और रथयात्रा स्थगित कर देने का आग्रह किया. पर आडवाणी ने बसु की सलाह ठुकरा दी. वह 19 अक्टूबर को धनबाद के लिए रवाना हो गए जहां से उन्होंने दूसरे चरण की शुरुआत कर दी. वह अयोध्या पहुंचकर राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण का काम 30 अक्टूबर 1990 को शुरू करना चाहते थे.
राज्य सरकार के आदेश पर किया था गिरफ्तार
बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने धनबाद के तत्कालीन उपायुक्त अफजल अमानुल्लाह को निर्देश दिया कि वो आडवाणी को वहीं गिरफ्तार कर लें. प्रशासन ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तारी का वारंट तैयार करके संबंधित अधिकारी को दे दिया था लेकिन अमानुल्लाह ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. फिर रथ यात्रा पटना पहुंची. गांधी मैदान में राम भक्तों की भारी भीड़ को लाल कृष्ण आडवाणी ने संबोधित किया. इसके बाद 22 अक्टूबर 1990 की रात में आडवाणी समस्तीपुर गेस्ट हाउस में ठहरे हुए थे. 23 अक्टूबर 1990 की सुबह रथयात्रा निकालने से पहले ही समस्तीपुर के बतौर विशेष डीएम आरके सिंह ने राज्य सरकार के आदेश पर आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया.
आडवाणी ने बनाया था संयुक्त सचिव
20 दिसंबर 1952 को बिहार के सुपौल में जन्मे आरके सिंह ने प्रारंभिक शिक्षा और कॉलेज की शिक्षा के बाद महज 23 साल की उम्र में सिविल सर्विस की परीक्षा पास कर ली थी. साल 1975 में ही आईएएस अधिकारी बने. आईएएस बनने के बाद आरके सिंह पटना और पूर्वी चंपारण के जिलाधिकारी रहे. 1999 में केंद्र में अटल सरकार बनी तो आडवाणी को गृह मंत्री का पद मिला था. इस दौरान एलके आडवाणी ने आरके सिंह को उनके साहस व स्वच्छ छवि को देखते हुए गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव नियुक्त कर लिया था. आरके सिंह को केंद्र में उस वक्त जिम्मेदारी दी गई जब भारत आतंकवाद जैसे मुद्दों से जूझ रहा था. वो 2000 से 2005 तक गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर रहे तो 2011 से 2013 तक गृह मंत्रालय में सचिव पद पर तैनात रहे. 2013 में भाजपा में शामिल हुए आरके ने साल 2014 में आरा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीतकर सीधे लोकसभा पहुंचे. फिर 2019 में जीतने के बाद दिल्ली पहुंचे आरके सिंह को मोदी सरकार ने दोनों बार केंद्र सरकार में मंत्री बनाया.