उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरिद्वार के ननवनिर्मित क्रिकेट भल्ला स्टेडियम का उद्घाटन किया. इस दौरान सीएम धामी ने रानीपुर विधायक आदेश चौहान की गेंदों पर चौके-छक्के लगाए. हरिद्वार में इंटरनेशनल लेवल का स्टेडियम तैयार किया गया है. इसको बनाने में 9 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं. इस स्टेडियम में डे-नाइट मैच हो सकेंगे.
चौके-छक्के लगाकर स्टेडियम का उद्घाटन-
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने फीता काटकर हरिद्वार में क्रिकेट भल्ला स्टेडियम का उद्घाटन किया. इस दौरान सीएम धामी ने चौके-छक्के लगाए. उन्होंने रानीपुर के विधायक आदेश चौहान की गेंदों पर खूब रन बनाए. हरिद्वार का यह पहला इंटरनेशनल लेवल का स्टेडियम है. इसको बनाने में 9 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं.
खिलाड़ियों को प्रतिभा दिखाने का मिलेगा मौका- सीएम
सीएम ने कहा कि हरिद्वार में एक इंटरनेशनल लेवल का क्रिकेट स्टेडियम शुरू हुआ है. इस स्टेडियम के शुरू होने जाने से हमारे खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का मौका मिलेगा. प्रतिभाओं का विकास होगा. यह विकास हरिद्वार के विकास में मील का पत्थर साबित होगा. मैं सभी हरिद्वार के लोगों को स्टेडियम के शुरू होने पर बधाई देता हूं.
सीएम ने कहा कि अभी प्रधानमंत्री जी ने हमारे लिए 9 संकल्प, 9 अपेक्षाएं राज्यवासियों से और राज्य में आने वाले लोगों से की है. हम रजत जयंती वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं. हम संकल्प लेते हैं कि हमारे प्रधानमंत्री जी ने जो उद्घोष किये हैं, जो उनके मुंह से निकला है कि 21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड का दशक होगा. यानी कि 10 वर्ष उत्तराखंड के हो, उसका संकल्प भी हम लोग लेते हैं.
कैसा है स्टेडियम-
यह स्टेडियम इंटरनेशनल लेवल का होगा. इसमें डे-नाइट मैच हो सकते हैं. हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अंशुल सिंह का कहना है कि 9 करोड़ की लागत से स्टेडियम बनाया गया है. इसमें मेन फोकस मूलभूत जरूरी सुविधाएं, घास की क्वालिटी, लाइटिंग पर रखा गया है. इसके अलावा एक से अधिक पिच रखने पर काम किया गया है. खेल के दौरान खिलाड़ियों को किसी तरह की कोई दिक्कत ना हो, इसका भी ध्यान रखा गया है. सबसे बड़ा चैलेंज था कि इसको पूरा करने में करीब सवा साल लग गए. इस स्टेडियम की कैपेसिटी अभी 5000 दर्शकों की है. हालांकि इसमें बढ़ोतरी हो सकती है. बाद में स्टैंड के ऊपर और स्टैंड बनाकर इसकी कैपेसिटी बढ़ा सकते हैं.
(मुद्रित अग्रवाल की रिपोर्ट)
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