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पांच बार सीएम रहे ओमप्रकाश चौटाला को दोबारा हो सकती है जेल, पहले काट चुके हैं 10 साल की सजा, जानें पूरा मामला

सात बार विधायक और पांच बार सीएम रह चुके ओमप्रकाश चौटाला इस बार दूसरी बार जेल जा सकते हैं. इससे पहले चौटाला 10 साल की जेल काटकर पिछले साल जुलाई में तिहाड़ जेल से रिहा हो चुके हैं.

ओम प्रकाश चौटाला ओम प्रकाश चौटाला
हाइलाइट्स
  • मुख्यमंत्री रहने के दौरान बनाई संपत्ति

  • जीबीटी घोटाले में भी शामिल थे चौटाला

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला को आय से अधिक संपत्ति के मामले में आज दिल्ली  की राउज एवेन्यू अदालत सजा सुना सकती है. बता दें सीबीआई ने चौटाला पर इस मामले में 26 मार्च, 2010 को चार्जशीट दाखिल की थी. दरअसल चौटाला पर आय से 189 गुना ज्यादा संपत्ति रखने का आरोप है. सीबीआई ने इसी आधार पर ओमप्रकाश चौटाला को आरोपी बनाया था.

क्या है चौटाला पर दर्ज किया गया DA केस?
ओम प्रकाश चौटाला पर आरोप है कि उन्होंने अपने मुख्यमंत्री रहते हुए अपने परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों के साथ मिलकर अवैध तरीके से अचल संपत्ति जमा की थी. चौटाला पर ये आरोप 3 अप्रैल, 2006 को लगा था. वहीं मामले की जांच के बाद चौटाला के खिलाफ 26 मार्च, 2010 को इस मामले में चार्जशीट दाखिल की गई थी. इस मामले में चौटाला के साथ उनके बेटे अभय सिंह चौटाला और अजय सिंह चौटाला भी आरोपी हैं.

मुख्यमंत्री रहने के दौरान बनाई संपत्ति
इंडियन नेशनल लोकदल के प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला पर पर साल 1993 से 2006 के बीच अज्ञात स्रोतों से करीब 6.09 करोड़ की अधिक संपत्ति जुटाने का आरोप है. इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 19 मई को चौटाला को दोषी करार दिया था. उसके बाद स्पेशल जज विकास ढुल 26 मई को  ने सजा तय करने के लिए ऐलान किया था.

इस घोटाले में भी शामिल थे चौटाला
आय से ज्यादा संपत्ति रखने के अलावा चौटाला पर 22 जनवरी 2013 को शिक्षक भर्ती घोटाले में भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश के आरोपों पर दोषी करार दिया गया था. इस मामले में चौटाला को भ्रष्टाचार के आरोप में सात साल की और आपराधिक साजिश के आरोप में 10 साल की सजा हुई थी. इस मामले में ओपी चौटाला के अलावा उनके बेटे अजय चौटाला और 53 अन्य को जेबीटी केस में दोषी करार दिया गया था. 

तिहाड़ जेल में काट चुके हैं सजा
साल 2000 में तीन हजार से ज्यादा जूनियर बेसिक शिक्षकों की गैर कानूनी तरीके से भर्ती करने के मामले ओम प्रकाश चौटाला, उनके बेटे अजय चौटाला और 53 अन्य लोगों को 10 साल की जेल हुई थी. साल 2021 में जुलाई में ही चौटाला दिल्ली के तिहाड़ जेल से सजा पूरी कर बाहर आए थे. 

कौन हैं ओमप्रकाश चौटाला?
ओमप्रकाश चौटाला का जन्म 1 जनवरी 1935 को सिरसा के गांव चौटाला में हुआ था. चौटाला अब तक पांच बार सीएम बन चुके हैं. दो दिसंबर 1989 को चौटाला पहली बार मुख्यमंत्री बने थे. 22 मई 1990 तक चौटाला इस पद पर रहे. फिर तत्कालीन मुख्यमंत्री बनारसी दास गुप्ता को दो महीने के लिए सीएम बनाया गया था. बनारसी दास के हटने के बाद 12 जुलाई 1990 को चौटाला ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद को शपथ ली थी. हालांकि चौटाला को पांच दिन बाद ही पद से इस्तीफा देना पड़ा था. 22 अप्रैल 1991 को चौटाला तीसरी बार सीएम बने. लेकिन उस बार भी दो हफ्ते बाद  ही केंद्र सरकार ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था.

उसके बाद 1993 में चौटाला ने नरवाना उपचुनाव जीता. फिर 1996 के चुनाव के बाद चौटाला ने हरियाणा लोक दल (राष्ट्रीय) के नाम से नई पार्टी बनाई. फिर 1998 में लोकसभा के मध्यावधि चुनाव में बसपा से गठबंधन कर हरियाणा में पांच लोकसभा सीटें जीती. जिसके बाद उनके दल को मान्यता मिली. इसके बाद उनकी पार्टी का नाम बदलकर इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) कर दिया गया. फिल 24 जुलाई 1999 में चौटाला ने चौथी बार सीएम की कुर्सी संभाली. लेकिन दिसंबर आते-आते चौटाला की सरकार फिर गिर गई. फिर 2 मार्च 2000 को विधानसभा चुनाव के बाद पांचवीं बार चौटाला मुख्यमंत्री बने और आखिरकार उन्होंने अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया.

पूरा चौटाला परिवार है राजनीति में सक्रिय
ओमप्रकाश चौटाला की पत्नी का नाम स्नेह लता है. अगस्त 2019 में उनकी मृत्यु हो चुकी है. ओमप्रकाश चौटाला के दो बेटे अजय चौटाला और अभय चौटाला हैं. ये दोनों राजनीति में सक्रिय है. चौटाला की तीन बेटियां भी हैं जिनका नाम सुचित्रा, सुनीता और अंजलि है. उनके तीन भाई रणजीत सिंह चौटाला, प्रताप सिंह चौटाला और जगदीश कुमार चौटाला हैं. चौटाला के बड़े बेटे अजय सिंह चौटाला 2009 में डबवाली से विधायक चुने गए थे. उसके बाद जेबीटी घोटाला मामले में वो साल 2012 से अपने पिता के साथ जेल में बंद हैं. वहीं उनका छोटा भाई अभय ऐलनाबाद से विधायक है, जो अक्टूबर 2014–मार्च 2019 तक हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रह चुके हैं. वहीं अजय चौटाला के बेटे दुष्यंत चौटाला इस समय हरियाणा के उप-मुख्यमंत्री हैं. 2018 में पारिवारिक विवाद के चलते दुष्यंत को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने जननायक पार्टी बनाई.