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Haryana Siyasi Kisse: जब Sonia Gandhi ने Bhajan Lal से कहा- तुम अगले मुख्यमंत्री… जानिए फिर Bhupinder Hooda कैसे बन गए हरियाणा के CM

Haryana Siyasi Kisse: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2005 (Haryana Assembly Election 2005) में कांग्रेस (Congress) को पूर्ण बहुमत मिलता है. कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री की रेस में भजन लाल (Bhajan Lal Haryana) का नाम सबसे आगे होता है लेकिन सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) भूपेन्द्र हुड्डा (Bhupinder Hooda) का मुख्यमंत्री बना देती हैं.

Bhupinder Hooda Congress (Photo Credit: Getty Images) Bhupinder Hooda Congress (Photo Credit: Getty Images)
हाइलाइट्स
  • 2005 के विधानसभा चुनाव में हरियाणा ने 67 सीटें जीती थीं

  • भजन लाल हरियाणा के मुख्यमंत्री बनना चाहते थे

  • सोनिया गांधी भजन लाल के पक्ष में नहीं थीं

Haryana Siyasi Kisse: फरवरी 2005. हरियाणा की 11वीं विधानसभा (Haryana Assembly Election 2005) के नतीजे आते हैं. जनता ने ओमप्रकाश चौटाला (Omprakash Chautala) के तंबू को उखाड़ फेंका है. कांग्रेस (Congress) ने हरियाणा में इतिहास रच दिया है. कांग्रेस ने अकेले दम पर पूर्ण बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया था.

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2005 में कांग्रेस भजन लाल (Bhajan Lal Haryana) के नेतृत्व में उतरी थी. ऐसे में सबको लग रहा था कि भजन लाल एक बार फिर से हरियाणा की गद्दी पर बैठेंगे लेकिन सोनिया गांधी का कुछ अलग ही प्लान था. आइए जानते हैं भजन लाल की अगुवाई में जीत के बाद भूपेन्द्र हुड्डा (Bhupinder Hooda Haryana) कैसे हरियाणा के मुख्यमंत्री बन गए?

कांग्रेस का राज 
साल 2005 में हरियाणा में 90 सीटों पर विधानसभा चुनाव हुए थे. कांग्रेस 67 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. हरियाणा में पहली बार कांग्रेस को इतनी ज्यादा सीटें मिली थीं. इससे पहले कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 52 सीटें जीती थीं.

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कांग्रेस के अलावा सरकार में रही इनेलो 9 सीटों पर सिमट गई. वहीं भाजपा दो सीटें जीत पाई. साथ ही 10 निर्दलीय प्रत्याशी भी जीते. नतीजे आने के बाद शाम को ओमप्रकाश चौटाला ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया. अब मुख्यमंत्री की गेंद कांग्रेस के पाले में थी.

कौन बनेगा मुख्यमंत्री?
इस सवाल का जवाब आसान नहीं थी. भजन लाल एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनने का सपना पाल रहे थे. वहीं भूपेन्द्र हुड्डा, रणदीप सुरजेवाला और ओपी जिंदल भी सूबे के मुखिया बनने की रेस में थे.

ओमप्रकाश जिंदल ने भजनलाल को कांग्रेस से बेदखल करने की मांग कर दी. कांग्रेस के तीन केन्द्रीय पर्यवेक्षक पीएम सईद, अशोक गहलोत और जनार्दन द्विवेदी चंडीगढ़ पहुंचे. उन्होंने विधायकों से मिलकर उनकी राय जानी.

पर्यवेक्षकों ने बाद में बताया कि आखिरी फैसला सोनिया गांधी लेंगी. पॉलिटिक्स ऑफ चौधर में सतीश त्यागी लिखते हैं कि इससे सबसे ज्यादा खुश भूपेन्द्र हुडडा और रणदीप सुजरेवाला थे. उनको पता था कि अगर विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री का चुनाव होता तो भजन लाल आराम से बाजी मार लेते.

सोनिया गांधी का फैसला
हरियाणा के मुख्यमंत्री चुनने के निर्णय में सोनिया गांधी ने गुलाम नबी आजाद और अहमद पटेल को भी शामिल किया. 4 मार्च 2005 को कांग्रेस के भजन लाल को दिल्ली बुलाया जाता है. भजनलाल 10 जनपथ पहुंचते है.

सोनिया गांधी ने भजन लाल से कहा कि हरियाणा के अगले मुख्यमंत्री आप नहीं होंगे. इसके बाद  शाम 4 बजे पार्लियामेंट अनेक्सी में बैठक होती है. भजन लाल इस मीटिंग में ना जाने का फैसला करते हैं.

भूपेन्द्र हुड्डा नए मुखिया 
कांग्रेस के 67 विधायकों में से 47 विधायक की मीटिंग में पहुंचते हैं.  भजनलाल समेत 20 विधायक बैठक का बहिष्कार करते हैं. बैठक में भूपेन्द्र हुड्डा का नाम का प्रस्ताव रखा जाता है. 

बिरेन्द्र सिंह हुड्डा के नाम का अनुमोदन करते हैं. विधायक दल की बैठकर करीब 90 मिनट तक चलती है. इसके बाद हरियाणा के नए मुख्यमंत्री के लिए भूपेन्द्र हुड्डा के नाम का ऐलान किया जाता है. 

भजनलाल फॉर्मूला
कहा जाता है भजन लाल को मनाने के लिए कांग्रेस हाईकमान ने एक फॉर्मूला भी रखा था. इसके तहत भजन लाल को राज्यपाल बनाया जाता और उनके विधायक बेटे चन्द्रमोहन को राज्य का उप मुख्यमंत्री बनाया जाता. भजनलाल ने इस समझौते से इंकार कर दिया.

भजन लाल ने भूपेन्द्र हुड्डा के मुख्यमंत्री बनने पर एक बयान दिया. भजन लाल ने कहा- चिंता ना करो, तीन महीने में इनका काम हो जाएगा. 5 मार्च 2005 को भूपेन्द्र हुड्डा हरियाणा के मुख्यमंत्री की शपथ लेते हैं. भूपेन्द्र हुड्डा के मुख्यमंत्री बनने से हरियाणा की राजनीति 'लाल' के चक्र से बाहर निकल आती है.