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Haryana Siyasi Kisse: जब वोट डालने से रोकने के लिए Bansi Lal को टॉयलेट में कर दिया बंद…फिर बंसी लाल ने ऐसे लिया बदला, जानिए हरियाणा का ये मजेदार किस्सा

साल 1967 में भगवत दयाल शर्मा (Bhagwat Dayal Sharma Haryana) हरियाणा के पहले मुख्यमंत्री बने थे. हरियाणा विधानसभा के स्पीकर के चुनाव में दया किशन के सामने राव बिरेन्द्र सिंह (Rao Birender Singh) थे. बिरेन्द्र को बंसी लाल (Bansi Lal) पर भरोसा नहीं था.

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हाइलाइट्स
  • बीडी शर्मा हरियाणा के पहले मुख्यमंत्री हैं

  • बीडी शर्मा की सरकार 12 दिन में गिर गई थी

हरियाणा (Haryana Politics) की गद्दी पर तीन दशक तक तीन लाल काबिज रहे. उस दौरान हरियाणा की राजनीति इनके ही आसपास घूमती थी. उस दौर में हरियाणा में सरकार को गिराने और बनाने का दौर चलता रहता था.

हरियाणा की राजनीति में कई बार ऐसी घटनाएं हुईं हैं जिनके बारे में जानकर हैरान रह जाएंगे. ऐसा ही एक किस्सा हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बंसी लाल (Bansi Lal Haryana) का है. जब वोट डालने से रोकने के लिए बंसी लाल को टॉयलेट में बंद कर दिया था. 

पहला विधानसभा चुनाव
इस किस्से की शुरूआत हरियाणा के पहले विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election 1967) से होती है. आधिकारिक तौर पर हरियाणा 1 नवंबर 1966 को पंजाब से अलग हो गया था. भगवत दयाल शर्मा को हरियाणा का कार्यवाहक मुख्यमंत्री बना दिया गया.

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17 फरवरी 1967 को हरियाणा की पहली विधानसभा के चुनाव हुए. हरियाणा विधानसभा की 81 सीटों में से सबसे ज्यादा कांग्रेस को 48 सीटें मिलीं. जनसंघ ने 12 सीटें जीतीं. वही रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) और स्वतंत्र पार्टी को 2-2 सीटें मिलीं. इसके अलावा 16 निर्दलीय प्रत्याशी भी जीते.

बीडी शर्मा बने CM
भगवत दयाल शर्मा (BD Sharma) 10 मार्च 1967 को हरियाणा के पहले मुख्यमंत्री बने. इसके बाद बीडी शर्मा प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) से मिले. इंदिरा गांधी ने बीडी शर्मा से मंत्रिमंडल में चांदराम और देवीलाल के बेटे प्रताप सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल करने को कहा.

उस समय कांग्रेस में इंदिरा गांधी की बात कोई नहीं टालता था लेकिन बीडी शर्मा ने उनकी बात मानने से मना कर दिया. भगवत दयाल ने चांदराम और प्रताप सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया.

स्पीकर का चुनाव
हरियाणा में मुख्यमंत्री चुनने के बाद अब बारी विधानसभा में स्पीकर चुनने की थी. बीडी शर्मा दया किशन को विधानसभा का स्पीकर बनाना चाहते थे. वहीं उनके सामने बीडी शर्मा के धुर विरोधी राव बिरेन्द्र थे.

राव बिरेन्द्र हर हाल में विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव जीतना चाहते थे. राव बिरेन्द्र को बंसी लाल पर बिल्कुल भरोसा नहीं था. राव बिरेन्द्र को लगा बंसी लाल उनका साथ नहीं देंगे इसलिए बंसी लाल को रोकने की योजना बनाई गई.

बंसी लाल टॉयलेट बंद
बंसीलाल को किसी भी तरह विधानसभा पहुंचने से रोकना था ताकि वे स्पीकर के चुनाव में अपना वोट ना दे पाएं. इस काम का जिम्मा वन विभाग के मुख्य संरक्षक धर्मपाल सिंह राठी को सौंपा गया.

हरियाणा विधानसभा में अध्यक्ष पद के चुनाव के दिन धर्मपाल सिंह राठी ने बहाने से बंसी लाल को अपने घर बुलाया. बंसी लाल राठी के घर पहुंच गए. कुछ देर बात करने के बाद बंसी लाल टॉयलेट गए. धर्मपाल सिंह राठी को लगा कि बंसी लाल को रोकने का ये अच्छा मौका है. 

राठी ने बाहर से टॉयलेट के गेट की कुंडी लगा दी. इस तरह बंसी लाल विधानसभा नहीं पहुंच पाए और वोट नहीं डाल सके. बाद में जब बंसी लाल हरियाणा के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने इसका बदला लिया. बंसी लाल ने टॉयलेट में बंद करने वाले अधिकारी धर्मपाल सिंह राठी को सस्पेंड कर दिया. बाद में नौकरी से भी निकलवा दिया.

बीडी शर्मा की सरकार गिरी
हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में राव बिरेन्द्र की जीत हुई. राव बिरेन्द्र हरियाणा विधानसभा के स्पीकर बन गए. कुछ दिन बाद भगवत दयाल को विधानसभा में विश्वास मत हासिल करना था.

कांग्रेस के 12 विधायकों ने दल बदल लिया. भगवत दयाल शर्मा की सरकार अल्पमत में आ गई. 12 दिन के भीतर हरियाणा में सरकार गिर गई. 22 मार्च 1967 को भगवत दयाल ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा दे दिया. बाद में सूबे के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर राव बिरेन्द्र सिंह बैठ गए.