Haryana Siyasi Kisse: साल 1988, महीना अक्तूबर और जगह चंडीगढ़. ऑल इंडिया रेडियो (All India Radio) के एक रिपोर्टर को पता चलता है कि हरियाणा के ताऊ और उस समय के मुख्यमंत्री चौधरी देवी लाल (Chaudhary Devi Lal) का बुलावा आया है. रिपोर्टर भागा-भागा ताऊ देवीलाल के पास पहुंचता है.
चौधरी देवीलाल (Devi Lal) ने रिपोर्टर से कहा- अगले दिन वो सीएम पद से इस्तीफा देंगे.
हरियाणा की राजनीति कई दशकों तक तीन लाल भजन लाल (Bhajan Lal), बंसी लाल (Bansi Lal) और देवी लाल के इर्द-गिर्द घूमती रही. इन सभी के किस्से काफी मशहूर हैं. एक बार चौधरी देवी लाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया था. आइए जानते हैं इस पूरे किस्से को.
हरियाणा में देवीलाल राज
हरियाणा विधानसभा चुनाव 1987 (Haryana Assembly Election 1987) के नतीजे चौधरी देवी लाल के लिए काफी अच्छे साबित हुए. 90 सीटों की विधानसभा में से देवी लाल और उनकी सहयोगियों पार्टियों ने 85 सीटों पर कब्जा कर लिया. कांग्रेस सिर्फ 5 सीट जीत पाई.
देवी लाल हरियाणा के नए मुख्यमंत्री बने. सीएम बनते ही देवीलाल ने बेटे ओमप्रकाश चौटाला को लोकदल का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया. बाद में ओमप्रकाश चौटाला को राज्यसभा भेज दिया. छोटे बेटे प्रताप सिंह को कॉन्फेंड का चेयरमैन बना दिया. वहीं सबसे छोटे बेटे रणजीत सिंह को मंत्री बना दिया.
एक बार पत्रकार ने देवीलाल से पूछा- आपका छोटा बेटा तो कांग्रेस के मंचों से आपको गालियां देता था. देवीलाल ने पलटकर पूछा- क्या अभी भी गालियां देता है? मीडिया ने देवीलाल पर परिवारवाद के आरोप लगाए. इस पर देवीलाल ने कहा- अब मेरे राज में बंसीलाल का छोरा थोड़े ही चेयरमैन बनेगा.
परिवार की मझधार में ताऊ
देवीलाल के राज में परिवार वाद काफी हावी हो गया था. देवीलाल के बेटे ओमप्रकाश चौटाला और रणजीत सिंह चौटाला की आपस में बनती नहीं थी.
पॉलिटिक्स ऑफ चौधर किताब में इस बात का जिक्र है कि देवीलाल सरकार में गृह मंत्री संपत सिंह (Sampat Singh Haryana) हरियाणा पुलिस के 3500 कॉन्स्टेबल की भर्ती में फर्जीवाड़ा का आरोप लगा था.
इस बवाल के बाद संपत सिंह ने इस्तीफा दे दिया था. संपत सिंह ओमप्रकाश चौटाला के करीबी थे. इस फर्जीवाड़े का खुलासा देवीलाल के भतीजे डॉ. केवी सिंह ने किया था जो रणजीत सिंह के करीबी थे.
बेटे की धमकी
ऐसे में रणजीत सिंह की जीत होते हुए दिखाई दे रही थी. संपत सिंह के इस्तीफे से ओमप्रकाश चौटाला गुस्सा हो गए. चौटाला ने रात के समय अपने पिता देवीलाल को फोन किया और विद्रोह की धमकी दी.
ओमप्रकाश चौटाला ने कहा- अगर संपत कि मुश्किलें कम नहीं हुई तो रोज एक मंत्री और विधायक इस्तीफा देना शुरू कर देंगे. बेटे के इस रवैये से देवीलाल को धक्का लगा. देवीलाल ने ऑल इंडिया रेडियो के रिपोर्टर को बुलाया. देवीलाल ने अगले दिन मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे का ऐलान कर दिया.
देवीलाल का इस्तीफा
देवीलाल के इस ऐलान की गूंज हरियाणा से लेकर दिल्ली के सत्ता के गलियारों में पहुंचीं. रणजीत सिंह के करीबी रण सिंह मान ने जनता दल के अध्यक्ष वीपी सिंह (Vishwanath Pratap Singh), बीजू पटनायक (Biju Patnaik) और जॉर्ज फर्नांडिस (George Fernandes) को फोन करके पूरी बात बताई.
बीजू पटनायक और फर्नांडिस ने फौरन ने देवीलाल को फोन करके इस्तीफे न देने की बात कही लेकिन देवीलाल नहीं माने. इसके बाद आखिरकार वीपी सिंह को खुद चंडीगढ़ आना पड़ा. वीपी सिंह के मनाने के बाद देवीलाल ने अपना इरादा बदल दिया और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया.