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Indian Air Force में शामिल हुआ Heron Mark 2 ड्रोन, Pakistan और China की सीमाओं में घुसकर हमला करने में सक्षम, जानिए इसकी और खासियत

Heron Mark 2 Drone: भारतीय वायुसेना में हेरॉन मार्क 2 ड्रोन को शामिल किया है. यह इजरालयली ड्रोन बार्डर के अंदर घुसकर दुश्मनों के ठिकाने को नेस्तनाबूद करने में समक्ष है. इस ड्रोन को उत्तरी क्षेत्र में फॉरवर्ड एयर बेस पर निगरानी के लिए शामिल किया गया है.

भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ हेरॉन मार्क 2 ड्रोन (Photo: ANI) भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ हेरॉन मार्क 2 ड्रोन (Photo: ANI)
हाइलाइट्स
  • हेरॉन मार्क 2 ड्रोन भारतीय वायुसेना में शामिल

  • सटीक निशाना लगाने में सक्षम है हेरॉन मार्क 2 ड्रोन

15 अगस्त ( स्वतंत्रता दिवस ) से पहले भारतीय वायु सेना की ताकत और इजाफा हुआ है. अब इंडियन एयरफोर्स में इजरालयली हेरॉन मार्क 2 ड्रोन (Heron Mark 2 Drone) को शामिल किया है. यह ड्रोन अद्भुत मारक क्षमता से लैस है, जो चीन और पाकिस्तान दोनों सीमाओं की एक साथ निगरानी कर सकता है. 

हेरॉन मार्क-2 ड्रोन वायुसेना में शामिल

चार हेरॉन मार्क-2 ड्रोन को उत्तरी क्षेत्र में एक फॉरवर्ड एयर बेस पर तैनात किया गया है, जहां टीम एएनआई ने उनके ऑपरेशन देखे. ड्रोन स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर ने कहा, "हेरॉन मार्क 2 एक बहुत ही सक्षम ड्रोन है. यह लंबे समय तक चलने में सक्षम है और इसमें 'आंखों की रेखा से परे' क्षमता है. इससे पूरे देश की एक ही जगह से निगरानी की जा सकती है" उन्होंने बताया कि इसमें लंबी सहनशक्ति यह भी सुनिश्चित करती है कि इसे कई मिशनों को लिए उड़ाया जा सकता है.

किसी भी मौसम में काम करने में सक्षम

ड्रोन की प्रमुख ताकत है कि यह लक्ष्य की चौबीसों घंटे निगरानी कर सकता है. आधुनिक एवियोनिक्स और इंजनों ने यह सुनिश्चित किया है कि विमान की परिचालन सीमा बढ़ाई गई है. ड्रोन अपने लक्ष्य को पूरा करने और मिशन को पूरा करने के लिए किसी भी मौसम और किसी भी इलाके में काम कर सकता है.

इन खूबियों से लैस है हेरॉन मार्क 2 ड्रोन

  • हेरॉन मार्क 2 ड्रोन में थर्मोग्राफिक कैमरा, एयरबॉर्न सर्विलांस विजिबल लाइट, राडार सिस्टम आदि लगा होता है. यह अपने बेस से उड़कर खुद ही मिशन पूरा करके बेस पर लौट आता है.
  • हेरोन ड्रोन्स को लेज़र गाइडेड बम, हवा से जमीन, हवा से हवा और हवा से एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलों से लैस किया जाना है.
  • हेरोन ड्रोन एक बार हवा में उठा तो 36 घंटे तक उड़ान भरने में सक्षम है और यह जमीन से 35 हजार फीट यानी साढ़े दस किलोमीटर की ऊंचाई पर बेहद शांति से उड़ता रहता है.
  • हेरॉन मार्क 2 ड्रोन को नियंत्रित करने के लिए जमीन पर एक ग्राउंड स्टेशन बनाया जाता है, जिसमें मैन्युअल और ऑटोमैटिक कंट्रोल सिस्टम होता है. यह ड्रोन किसी भी मौसम में उड़ान भरने में सक्षम है. इसके कम्यूनिकेशन सिस्टम सीधे तौर पर ग्राउंड स्टेशन से संपर्क में तो रहते ही है.
  • इसके अलावा इसकी संचार प्रणाली को सैटेलाइट के जरिए भी लिंक किया जा सकता है और इसके नेविगेशन के लिए प्री-प्रोगाम्ड फुली ऑटोमैटिक नेविगेशन को चलाया जा सकता है. या फिर मैन्युअली आप रिमोट से इसे नेविगेट कर सकते हैं. इसका कुल वजन 250 किलोग्राम है.
  • सबसे खास बात ये है कि इन ड्रोन्स को किसी तरह से भी जैम नहीं किया जा सकता. यानी इनमें एंटी-जैमिंग तकनीक लगी है। जो पहले के ड्रोन्स की तुलना में ज्यादा दमदार है.
  • हेरोन ड्रोन में कई तरह के सेंसर्स और कैमरा लगे हैं, जैसे- थर्मोग्राफिक कैमरा यानी इंफ्रारेड कैमरा जो रात में या अंधेरे में देखने में मदद करते हैं. इसके अलावा विजिबल लाइट एयरबॉर्न ग्राउंड सर्विलांस जो दिन की रोशनी में तस्वीरें लेता है. साथ ही इंटेलिजेंस सिस्टम्स समेत कई तरह के राडार सिस्टम लगे है.
  • इस ड्रोन की सबसे बड़ी बात ये है कि ये आसमान से ही टारगेट को लॉक करके उसकी सटीक पोजिशन आर्टिलरी यानी टैंक या इंफ्रारेड सीकर मिसाइल को दे सकता है, यानी सीमा के इस पास से ड्रोन से मिले सटीक टारगेट पर हमला किया जा सकता है.

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