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प्रदूषण की वजह से दिल्ली पर आया कर्ज का बोझ, हरियाणा दूसरे नंबर पर

अक्टूबर महीने में दिल्ली में वायु प्रदूषण का लेवल काफी हद तक बढ़ जाता है, इस महीने की शुरूआत से ही अस्थमा के मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. आंकड़े बतातें हैं कि मीडिल क्लाल फैमिली के लोगों पर वायु प्रदूषण की वजह से कर्ज काफी बढ़ा है.

दिल्ली प्रदुषण दिल्ली प्रदुषण
हाइलाइट्स
  • लगातार बढ़ रहे प्रदूषण का मार झेल रही दिल्ली की मिडिल क्लास फैमिली

  • अक्टूबर महीने की शुरुआत से लगातार बढ़ रहा प्रदूषण

सुबह करीब 11.20 बजे की बात है. दिल्ली के वल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट (वीपीसीआई) का आउट पेशेंट सेंटर मरीजों से भरा हुआ था. कतार धीरे -धीरे लंबी होती जा रही थी.अपनी बारी के इंतेजार में संजीव नेगी और उनके बेटे के लिए ये इंतेजार लंबा होता जा रहा था. संजिव नेगी पेशे से ओला कैब ड्राइवर हैं, वो अस्थमा के मरीज अपने बेटे प्रांजल नेगी को पल्मोनोलॉजिस्ट को दिखाने हॉस्पिटल पहुंचे थे. प्रांजल का अस्थमा अक्टूबर में ज्यादा बढ़ जाता है क्योंकि देश की राजधानी की आबो-हवा  इस महीनें बद से बदतर होती चली जाती है. 

अक्टूबर शुरू होने के साथ प्रांजल की तबियत बिगड़ती चली जाती है. नेगी को अपने बेटे की बिगड़ती सेहत की वजह से अक्सर छुट्टियां लेनी पड़ती हैं. यहां तक की उनकी कमाई  का बड़ा हिस्सा डॉक्टर की फीस, जांच और दवाओं पर खर्च कर चुका है. नेगी बतातें हैं कि डॉक्टर ने उन्हें घर में एयर प्यूरिफायर लगाने की सलाह दी है, लेकिन उनकी कमाई इतनी नहीं है कि वो घर में एयर प्यूरिफायर खरीद कर लगा सकें. नेगी अपने गांव उत्तराखंड भी नहीं जा सकते, क्योंकि दिल्ली में ही उनकी रोजी- रोटी का साधन है. 

प्रदूषण की वजह से होने वाली बीमारियों की वजह से बढ़ा वित्तिय बोझ

प्रदूषण से होने वाली बीमारियों और मौतों की वजह से लोगों के ऊपर कर्ज का बोझ बढ़ा है. आंकड़ों के मुताबिक, 2019 में भारत में मेडिकल क्षेत्र में आने वाला खर्च बिलियन था, जो 2019 में बढ़कर 11.5%  हो गया, ताजे आंकड़े ये बताते हैं कि आने वाले समय में ये लगभग  11.9 बिलियन डॉलर होगी. मेडिकल जर्नल लैंसेट के मुताबिक , 2019 में प्रदूषण से संबंधित बीमारियों से भारत में लगभग 1.67 मिलियन लोगों की मौत हुई है. 

प्रदूषण का शिकार होते यंग लोग

करीब पांच साल पहले कानपुर के प्रशांत दुबे ने क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और गंभीर फेफड़ों की बीमारी की वजह से अपने पिता को खो दिया. एक महीने  के लंबे इलाज के बाद भी प्रशांत के पिता की सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ. दुबे कहते हैं, "मेरे पिता एक बढ़ई थे , और साथ में एक छोटी सी दुकान चलाते थे.  उनके पिता की  मृत्यु महज 48 साल की उम्र में हुई थी, जो पूरे परिवार के लिए कमाने वाले इकलौते शख्स थे.  प्रशांत  के मुताबिक " उन्हें अपने पिता के इलाज के लिए पैसे उधार लेने पड़े. कर्ज चुकाने के लिए  मां को  घर तक बेचना पड़ा. हम कानपुर से 60 किमी दूर अपने गांव वापस चले गए"

26 साल की  मीडिया पेशेवर अंकित मट्टो कहते हैं, "मैं पैदाइशी अस्थमा का मरीज हूं. मेरी बीमारी की वजह से मेरे परिवार को वापस जम्मू जाना पड़ा क्योंकि वहां की हवा की गुणवत्ता यहां की तुलना में काफी बेहतर थी. लेकिन मुझे पेशेवर कारणों से वापस आना पड़ा, और आजकल मेरे इलाज का खर्च बढ़ गया है, क्योंकि दिल्ली की हवा में मुझे सांस लेने में काफी दिक्कतें पेश आ रही हैं. मैनें हाल ही में मोटी रकम लगा कर अपने घर में एयर प्यूरीफायर खरीदा है.  इसके अलावा, हर साल स्मॉग सीजन की शुरुआत के साथ मेरा मेडिकल बिल लगभग दोगुना हो जाता है. दिल्ली की खराब हवा की शिकार आइरीन गुप्ता कहती हैं, पिछले कुछ सालों में नेब्युलाइज़र से मदद न मिलने पर डॉक्टर को मुझे अस्थमा के टीके देने पड़े हैं. 

वायु प्रदूषण की वजह से दिल्ली को हुआ सबसे ज्यादा आर्थिक नुकसान 
वायु प्रदूषण की वजह से दिल्ली में सबसे ज्यादा प्रति व्यक्ति आर्थिक नुकसान हुआ है, इसके बाद 2019 में हरियाणा का नंबर था. ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी 2019 के मुताबिक वायु प्रदूषण की वजह से भारत में क्रमशः 28.8 बिलियन डॉलर और 8 बिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ. जिसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश के मीडिल क्लास के लोगों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था.