हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश से आई आपदा के बीच बहुत से ऐसे किस्से हैं जो कि रूह को झकझोर देते हैं. ऐसा ही एक किस्सा हिमाचल पुलिस में तैनात अशोक गुलेरिया का है. अशोक गुलेरिया पहले सेना में लांस नायक के पद से 17 साल सेवाएं देने के बाद सेवानिवृत हुए और फिर साल 2006 में पुलिस में भर्ती हुए. अशोक गुलेरिया के परिवार में पत्नी और 2 बच्चे हैं. अशोक गुलेरिया मूलतः मंडी जिला के उपमंडल सरकाघाट में गांव टटीह से हैं. अपनी पूरी उम्र की कमाई से उन्होंने गांव में एक तीन मंजिला मकान बनाया, इसे लेकिन इस बार मॉनसून की भारी बारिश में पूरा मकान जमींदोज हो गया. उन्होंने इसमें अपनी नई गाड़ी समेत घर का पूरा समान भी खो दिया. सब आज एक मलबे में तब्दील हो चुका है. बावजूद इसके देश और अपनी जिम्मेदारी के प्रति अशोक की हिम्मत की सब दाद दे रहे हैं.
भारी बारिश से शिमला में आई आपदा पर अशोक ने अपनी ड्यूटी को चुना. वो शिमला में ही भारी बारिश से आई आपदा में राहत और बचाव कार्यों में डटे रहे. शिमला में भारी भूस्खलन से मलबे में दबे लोगों का रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. अब तक 15 लोगों के शवों को मलबे से निकाला जा चुका है. इसके अलावा फागली भूस्खलन के मलबे से 5 लोगों के शव निकाले गए हैं. अशोक गुलेरिया ने पूरी हिम्मत और जांबाजी के साथ अपनी ड्यूटी की और आज भी शिमला में ही हैं.
तीन मंजिला इमारत और लांस नायक (सेवानिवृत्त) अशोक गुलेरिया के सपने और जीवन की बचत को ताश के पत्तों की तरह ढहने में दो मिनट से भी कम समय लगा. फिर भी अपने सपनों का घर टूटने के कुछ घंटों के बाद ही वो शिमला में ड्यूटी पर शामिल हो गए. 14 अगस्त को इमारत ढहने का वीडियो फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. 54 वर्षीय अशोक गुलेरिया का कहना है लोगों को उस वीडियो को बार-बार देखना परेशान करने वाला है, सिर्फ वो ही उस दर्द को समझ सकते हैं जिससे वो गुजर रहे हैं. गुलेरिया के नए घर का काम दो साल पहले पूरा हुआ था. यह घर उनकी सेवानिवृत्ति योजना का हिस्सा था. दो बच्चों के पिता गुलेरिया ने अपनी बेटी की शादी कर दी है जबकि बेटा इंजीनियर है और चंडीगढ़ में काम करता है. उन्होंने कहा मैं सप्ताह के अंत में छुट्टी के लिए अपने गांव गया था. मैं घर से सामान भी नहीं निकाल सका क्योंकि सामने की जमीन पहले ही धंस गई थी जिससे इमारत की नींव दिखाई देने लगी थी. उन्होंने कहा मकान बनाने में 80 लाख रुपये से ज्यादा का खर्च आया. कुल मिलाकर मैंने लगभग 1 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए. फर्नीचर और अन्य घरेलू सामान की कीमत समेत इतना पैसा खर्च हुआ.
इस बातचीत के दौरान अशोक थोड़ा भावुक हुए और कहा घर चला गया लेकिन नौकरी अभी भी है. मुझे ड्यूटी का फैसला लेना पड़ा. मानसून ने शिमला और अन्य स्थानों पर बहुत से लोगों की जान ले ली है. बहुत सारे लोग लापता हैं. कम से कम हम सभी (उनका परिवार) सुरक्षित हैं. अशोक गुलेरिया ने बताया कि अब तक राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिल पाई है लेकिन सेना में उनके साथी रहे बहुत से लोग मदद के लिए आगे आ रहे हैं. सेना में साथी रहे लोगों ने व्हाट्सएप ग्रुप में अपनी संवेदनाएं दीं और उनके खाते में 1100, 2100, 3100 की राशि भेजी जो कि अब तक कुल 80 हजार से ज्यादा हो गई है. उन्होंने बताया जहां रिश्तेदार भी नुकसान पर सिर्फ संवेदनाएं और हौसला देते रहे लेकिन पैसे की मदद नहीं मिली, वहीं सेना में नौकरी के समय साथियों का मदद के लिए आगे आना बहुत बड़ी बात है.