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Kerala Durga Mandir: 400 साल पुराने मंदिर की मरम्मत के लिए साथ आए हिन्दू-मुसलमान, लिखी सौहार्द की नई कहानी...

मंदिर समिति ने 7-9 मई को होने वाले प्रतिमा स्थापना कार्यक्रम के लिए जो पुस्तिका जारी की है उसमें प्रमुख रूप से मंदिर के पुजारी के अलावा इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के चीफ पनक्कड़ सदिक्कली शिहाब थंगल की तस्वीर है, जो केरल की कई मस्जिदों के काजी हैं. यह क्षेत्र के भाईचारे का एकदम सटीक प्रतीक है.

Muthuvallur Durga Bhagawati Temple (Photo/Facebook) Muthuvallur Durga Bhagawati Temple (Photo/Facebook)
हाइलाइट्स
  • मई में की जाएगी मंदिर में प्रतिमा की स्थापना

  • मंदिर की मरम्मत में लग चुके हैं 38 लाख रुपए

केरल के मलप्पुरम (Malappuram) जिले में मौजूद छोटे से गांव मुतुवल्लुर के हिन्दुओं और मुसलमानों ने धार्मिक एकता की नई इबारत लिख डाली है. दोनों समुदायों ने 'एकता में बल' को चरितार्थ करते हुए 400 साल पुराने दुर्गा मंदिर की मरम्मत के काम को अंजाम दिया है. मंदिर की मरम्मत का पहला चरण पूरा हो चुका है और अब मई 2024 में यहां प्रतिमा स्थापित की जाएगी.

2015 में शुरू हुआ था काम
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोंडोट्टी के समीप मौजूद मुतुवल्लुर श्री दुर्गा भगवती मंदिर का काम 2015 में शुरू हुआ था. उसी समय से गांव के मुस्लिम समुदाय ने बढ़-चढ़कर मंदिर की मरम्मत में आर्थिक मदद की है. अब मंदिर समिति ने अगले महीने प्रतिमा की स्थापना के लिए एक बार फिर सभी समुदायों से मदद तलब की है. मंदिर समिति ने प्रतिमा स्थापना के संबंध में जो पुस्तिका जारी की है वह भी क्षेत्र के सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है.

मुस्लिम बहुल इलाके में मौजूद है मंदिर
मंदिर समिति ने 7-9 मई को होने वाले प्रतिमा स्थापना कार्यक्रम के लिए जो पुस्तिका जारी की है उसमें प्रमुख रूप से मंदिर के पुजारी के अलावा इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के चीफ पनक्कड़ सदिक्कली शिहाब थंगल की तस्वीर है, जो केरल की कई मस्जिदों के काजी हैं. मालाबार देवस्वोम बोर्ड के तहत आने वाला यह मंदिर मुस्लिम बहुल इलाके में मौजूद है.

इसी वजह से इसके संरक्षण और मरम्मत में मुस्लिम समुदाय की खास भूमिका रही है. कुछ साल पहले मंदिर के गुंबद की मरम्मत में भी मुस्लिम समुदाय ने विशेष योगदान दिया था.

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'मंदिर के लिए जरूरी है सब धर्मों का सहयोग'
दुर्गा मंदिर के पुजारी थेक्कीनियेडथु थरननेल्लुर पद्मनाभन उन्नी नम्बूरीपद ने कहा, 'एक तंत्री के रूप में मैंने मुस्लिम समुदाय और उसके नेताओं से बात की. मंदिर के लिए सभी धर्मों का सहयोग और सद्भावना जरूरी है. हमें यह भरपूर मात्रा में मिला."

दूसरी ओर, काजी थंगल ने कहा कि एक समुदाय जहां लोग मिल-जुलकर रहते हैं, वहां लोगों का एक-दूसरे की मदद करना स्वाभाविक है चाहे मामला धर्मस्थलों से ही क्यों न जुड़ा हो. थंगल ने 2023 में मंदिर की मरम्मत के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेकर लोगों से आर्थिक मदद देने की अपील भी की थी. उस समय राज्य की हज कमेटी के एक सदस्य केपी सुलैमान हाजी ने एक लाख रुपये का दान भी किया था.

क्षेत्र में रहा है हिन्दू-मु्स्लिम भाईचारे का इतिहास
हाल ही में मंदिर में आयोजित एक कार्यक्रम में नम्बूरीपद की ओर से पढ़े गए एक संदेश ने क्षेत्र के सांप्रदायिक सौहार्द की कहानी बयान की थी. उस संदेश में बताया गया था कि एक समय पर जब कोनडोट्टी के लोगों को जुमा की नमाज के लिए पैदल चलकर दूसरे गांव जाना पड़ता था, तब इस समस्या को हल करने के लिए मंदिर के पुजारी ने मुस्लिम समुदाय की मदद के लिए हाथ बढ़ाया था.

उस समय देर से दूसरे गांव पहुंचने के कारण कई लोगों की नमाज छूट भी जाती थी. इसे देखते हुए मुस्लिम समुदाय ने मंदिर के ट्रस्टी थलायुर मुसाद के परिवार से संपर्क किया. उन्होंने बिना किसी देरी के मुस्लिम समुदाय को जमीन भेंट की, जहां आज 18वीं सदी में बनाई गई पझायंगडी मस्जिद मौजूद है.

मंदिर समिति के अध्यक्ष चंद्रन पी के अनुसार, निर्माण सामग्री और अन्य सहायता प्रदान करने के अलावा, मुसलमानों ने पिछले कुछ वर्षों में मंदिर के नवीनीकरण पर खर्च किए गए 38 लाख रुपये का एक बड़ा हिस्सा दान दिया है. चंद्रन ने कहा, "जब हमने मंदिर से जुड़ी किसी भी चीज़ के लिए उनसे संपर्क किया, तो उन्होंने पूरा सहयोग दिया." इस तरह मुतुवल्लुर पूरे देश के लिए भाईचारे का एक मॉडल बनकर सामने आया है.