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Infantry Day: आज ही के दिन भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों से कश्मीर को कराया था आजाद, जानिए इन्फेंट्री डे का क्या है इतिहास

75th Infantry Day: देश आज Infantry day यानी पैदल सेना दिवस मना रहा है. 75 साल पहले, पाकिस्तान के खिलाफ पहली बड़ी सैन्य कार्रवाई में भारतीय पैदल सेना ने बहादुरी का शानदार प्रदर्शन किया, उसी की याद में हर साल Infantry day मनाया जाता है.

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हाइलाइट्स
  • आज के दिन ही 1947 को पाकिस्तान ने हजारों कबायलियों को कश्मीर में कराया था घुसपैठ

  • भारतीय सेना में 27 इन्फेंट्री रेजिमेंट हैं

हर साल 27 अक्टूबर को देश में इन्फेंट्री डे(Infantry day) मनाया जाता है  और पैदल सेना की बहादुरी की कहानियां याद की जाती हैं. इसकी वजह ये है कि 1947 में आज ही के दिन भारतीय सेना के जवानों ने हिंदुस्तान का सिरमौर कहे जाने वाले कश्मीर का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में जाने से बचाया था.

यह साल Infantry day के लिहाज से खास है. क्योंकि 75 साल पहले, 27 अक्टूबर को ही आजाद हिंदुस्तान में पहली ऐसी सैन्य कार्रवाई हुई थी, जिसमें पैदल सेना यानी इन्फेंट्री ने अपना कौशल दिखाया था और देश की रक्षा में सबसे अहम भूमिका निभाई थी. बता दें कि देश की सरहदों की सुरक्षा से लेकर अलग-अलग मोर्चों पर सेना की इस डिविजन ने गजब के पराक्रम का प्रदर्शन किया है.

रक्षा मंत्री इन्फेंट्री डे समारोह में होंगे शामिल

इस खास मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस सिलसिले में आज जम्मू-कश्मीर के बडगाम में Infantry Day celebration में शामिल होंगे. इस मौके पर कश्मीर में भारतीय सेना की विमान से लैंडिंग के उस ऐतिहासिक पल को फिर से जीवंत किया जाएगा, जिसके जरिए कश्मीर को पाकिस्तान के चंगुल में जाने से बचाने की कार्रवाई को अंजाम दिया गया था.

भारतीय पैदल सेना का क्या है इतिहास?

दरअसल, आजादी के बाद पाकिस्तान ने कश्मीर को हड़पने की योजना बनाई थी. 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान ने 5 हजार कबायलियों को कश्मीर में घुसपैठ करके कब्जा करने के लिए भेजा था, तब कश्मीर के तत्कालीन शासक महाराजा हरि सिंह ने भारत सरकार से मदद मांगी. इसके बाद महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के समझौते पर हस्ताक्षर किये. तब सेना की सिख रेजिमेंट की पहली बटालियन से एक पैदल सेना का दस्ता विमान से दिल्ली से श्रीनगर भेजा गया. 27 अक्टूबर, 1947 को भारतीय पैदल सैनिकों ने कश्मीर को कबायलियों के चंगुल से छु़ड़ा दिया.

बता दें कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में विदेशी आक्रमणकारियों के खिलाफ भारतीय सेना का यह पहला फौजी अभियान था, जिसे Infantry ने अंजाम दिया. इस अभियान में शानदार कामयाबी की याद में हर साल 27 अक्टूबर को देश में Infantry day मनाया जाता है. चूंकि इस पूरे सैन्य अभियान में सिर्फ पैदल सेना का ही बड़़ा योगदान था, इसलिए इस दिन को भारतीय थल सेना के पैदल सैनिकों की बहादुरी और साहस के यादगार दिन के तौर पर मनाने का फैसला लिया गया.

भारत के पास है सबसे बड़ी इन्फेंट्री डिविजन

माना जाता है कि दुनिया में सबसे बड़ी Infantry डिविजन भारत के ही पास है. भारतीय सेना में 27 इन्फेंट्री रेजिमेंट हैं. सेना में कुल 14 लाख 55 हजार 550 सक्रिय जवान हैं. जबकि, करीब 11 लाख 55 हजार रिजर्व जवान हैं.

जानकारी के लिए बता दें कि भारतीय इन्फेंट्री को ही सबसे पहले सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र हासिल करने का गौरव प्राप्त हुआ. कश्मीर में 1947 में चले अभियान में कुमाऊं रेजिमेंट की चौथी बटालियन भी शामिल थी. इसकी डी कंपनी की अगुवाई करने वाले मेजर सोमनाथ शर्मा को श्रीनगर एयरपोर्ट को बचाने के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था, तब से अब तक लगातार भारतीय इन्फेंट्री देश की रक्षा में अपनी वीरता का प्रदर्शन करती आ रही है.