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10,000 से शुरू हुई बागवानी आज दे रही है हर साल 10 लाख का फायदा…. विदेशों तक है 1-1 किलो वाले हाइब्रिड फलों की डिमांड….जानें फलों के सरताज मनसुख की कहानी

मनसुख ने बताया कि उनके बगीचे के फलों को लोकल मार्केट के साथ दूसरे राज्यों में भी भेजा जाता है. उनका नेटवर्क कई किसानों तक फैल गया है. इसके साथ ही वह अब सोशल मीडिया के जरिए भी अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर रहे हैं.

मनसुख दुधात्रा अपने बगीचे में मनसुख दुधात्रा अपने बगीचे में
हाइलाइट्स
  • हाइब्रिड किस्म के हैं कुल 900 सीताफल प्लांट्स

  • हाइब्रिड फलों के हैं कई फायदे 

  • सीताफल के साथ-साथ कर रहे हैं बेर, अमरुद और आंवले की बागवानी

आजकल बहुत सारे किसान खेती छोड़ बागवानी से अच्छी कमाई कर रहे हैं. कई किसानों को जब ट्रेडिशनल खेती से फायदा होता नहीं दिखाई देता तो वह बागवानी में अपना हाथ आजमाते हैं. गुजरात के वीरपुर के रहने वाले मनसुख दुधात्रा भी बागवानी अपनाकर कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं. उन्होंने  सीताफल, अनार, अमरूद और पपीते जैसे फलों की खेती करके पूरे गुजरात में अपनी अलग पहचान बनाई है. मनसुख जी गुजरात के साथ-साथ मध्यप्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में भी अपने फलों की मार्केटिंग कर रहे हैं. उन्होंने अपने कई प्रोडक्ट्स दुबई भी भेजे हैं. उनका कहना है कि हर साल वो बागवानी से 10 लाख रुपए तक कमा लेते हैं. फिलहाल मनसुख 10 बीघे जमीन में सीताफल की देशी  और हाइब्रिड, दोनों वैरायटी की बागवानी कर रहे हैं.

हाइब्रिड किस्म के हैं कुल 900 सीताफल प्लांट्स

मनसुख ने दैनिक भास्कर को बताया कि पहले वो देसी सीताफल की खेती करते थे. लेकिन इसमें प्रोडक्शन के साथ आमदनी भी बहुत काम होती थी. इसके बाद उन्होंने हाइब्रिड फार्मिंग शुरू कर दी. मनसुख ने दैनिक भास्कर को बताया, “इसका फायदा यह हुआ कि हमारा प्रोडक्शन बढ़ गया. कई फ्रूट्स हमारे एक किलो से भी ज्यादा वजन के निकले. फिर हमने इसकी मार्केटिंग शुरू की तो अच्छी खासी आमदनी हुई. मेरे दोनों बेटे पढ़े-लिखे हैं, लेकिन वे कहीं नौकरी के लिए नहीं गए. उनका भी मन बागवानी में लग गया है और वे मेरे साथ मिलकर खेती कर रहे हैं. दोनों ने मिलकर एक नर्सरी भी तैयार की है”. अभी मनसुख और उनके बेटे करीब हाइब्रिड किस्म के 900 सीताफल प्लांट्स की देखभाल कर रहे हैं. 

मनसुख दुधात्रा के बागान
मनसुख दुधात्रा के बागान

हाइब्रिड फलों के हैं कई फायदे 

मनसुख के बेटे केतन ने दैनिक भास्कर को एक इंटरव्यू में बताया, “मेरे पिता ने करीब 5 साल पहले सीताफल खेती शुरू की थी. उस दौरान 10 हजार रुपए की लागत आई थी. हालांकि, तब दाम भी उसी के हिसाब से मिल रहे थे. लेकिन पिछले 4 सालों में अब एक-एक किलो के वजन वाले सीताफल उग रहे हैं. इन सीताफलों की मांग दुबई तक है. इसमें देसी सीताफल की तुलना में कम बीज होते हैं. 1 किलो हाइब्रिड सीताफल में 15 से 20 बीज होते हैं जबकि देसी सीताफल में 35 से 40 बीज होते हैं. हाइब्रिड फ्रूट का एक और फायदा है कि ये जल्दी खराब नहीं होते है और 10 से 15 दिनों तक आराम से चल जाते हैं.

सीताफल के साथ-साथ कर रहे हैं बेर, अमरुद और आंवले की बागवानी 

मनसुख ने दैनिक भास्कर को बताया, “हम खुद सीताफल की नई किस्में बनाते हैं. हमने अपने द्वारा बनाई गई सीताफल की दो किस्में, एनएमके गोल्डन और डीकेएम-3 लगाई हैं. इसके अलावा मीठे बेर की तीन किस्में, कश्मीरी, सीरियस और सुंदरी बेर लगाईं हैं." साथ ही उन्होंने 5 बीघा जमीन में अमरूद और ताइवानी आंवले भी उगाए हैं. मनसुख ने बताया कि उनके बगीचे के फलों को लोकल मार्केट के साथ दूसरे राज्यों में भी भेजा जाता है. उनका नेटवर्क कई किसानों तक फैल गया है. इसके साथ ही वह अब सोशल मीडिया के जरिए भी अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर रहे हैं. मनसुख बताते हैं कि बागवानी की सबसे अच्छी बात यह है कि इसके साथ आसानी से दूसरे फसलों की भी खेती कर सकते हैं. मनसुख जी ने भी इसी तरीके को अपनाया है और मल्टी क्रॉप बेस्ड फार्मिंग कर रहे हैं और इससे आमदनी में भी इजाफा होता है.