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कोर्ट ने प्राइवेट अस्पताल के मालिक को मरीज की मौत मामले में दोषी माना, हर्जाने के तौर पर 5-5 लाख रुपए देने को दिए आदेश

मामला राजधानी लखनऊ स्थित अजंता हॉस्पिटल से जुड़ा हुआ है. जहां 4 साल पहले साइडइफेक्ट्स 'बेड सोर' का सही से ट्रीटमेंट नहीं किया गया. मिली जानकारी के मुताबिक, अजंता हॉस्पिटल में कार्यरत तत्कालीन डॉ. दीपक दीवान और डॉ रितेश पुरवार ने इलाज के नाम पर लाखों रुपए ऐठे थे और इलाज के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की थी.

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हाइलाइट्स
  • पूरा मामला राजधानी लखनऊ स्थित अजंता हॉस्पिटल से जुड़ा हुआ है.

  • पीड़ित ने न्याय पाने के लिए पीएमओ को लेटर लिखा

राजधानी लखनऊ के प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टरों की लापरवाही के चलते एक पुत्र ने अपने पिता को 4 वर्ष पूर्व खो दिया था. जहां परिजनों से अस्पताल के डॉक्टरों ने इलाज के नाम पर लाखों रुपए ऐठे थे और जिसके बाद मृतक के पुत्र ने नेशनल मेडिकल कमीशन, पीएमओ और स्वास्थ्य मंत्रालय का दरवाजा खटखटाया और चिट्ठी लिखकर न्याय की गुहार लगाई लेकिन जब न्याय नहीं मिला तो मामले को कंजूमर कोर्ट को मृतक का पुत्र ले गया जहां अब कंजूमर कोर्ट ने उसे न्याय दिया है.

पूरा मामला राजधानी लखनऊ स्थित अजंता हॉस्पिटल से जुड़ा हुआ है. जहां 4 साल पहले साइडइफेक्ट्स 'बेड सोर' का सही से ट्रीटमेंट नहीं किया गया. मिली जानकारी के मुताबिक, अजंता हॉस्पिटल में कार्यरत तत्कालीन डॉ. दीपक दीवान और डॉ रितेश पुरवार ने इलाज के नाम पर लाखों रुपए ऐठे थे और इलाज के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की थी. मृतक मरीज के पुत्र अजय चतुर्वेदी ने बताया कि दोनों डॉक्टरों ने इलाज के दौरान लापरवाही बरतने के चलते उसके पिता की मौत हो गई. परिवार की अनुमति लिए बिना उनके पिता को वेंटिलेटर पर रखा गया और साइडइफेक्ट्स 'बेड सोर' का सही से ट्रीटमेंट भी नहीं किया गया. 

इसके बाद पिता की असमय मौत से चलते पुत्र ने न्याय की गुहार लगाई क्योंकि उसके पिता उसके घर के मुखिया थे. पीड़ित ने न्याय पाने के लिए पीएमओ को लेटर लिखा, साथ ही इंडियन मेडिकल कमीशन को भी पत्र लिखकर पूरे मामले से अवगत कराया. जहां नेशनल मेडिकल कमिशन ने मेडिकल नेगलिजेंस मानते हुए डॉक्टरों को चेतावनी दी लेकिन सिर्फ चेतावनी के अलावा कोई कार्यवाही नहीं की गई.

जिसके बाद पीड़ित पुत्र ने पीएमओ को पत्र लिखा लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आया तो फिर वह मामले को कंजूमर कोर्ट ले गया जहां कंजूमर कोर्ट ने मृतक के पुत्र को न्याय देते हुए अस्पताल और अस्पताल के मालिक को 5-5 लाख रुपए कंपनसेशन देने के आदेश दिए हैं. मिली जानकारी के मुताबिक कंजूमर कोर्ट के सदस्य विवेक सक्सेना और प्रीसाइडिंग मेंबर राजेंद्र सिंह ने मामले में दो पार्टियों को दोषी मानाा है, जिसमें पहला खुद अस्पताल है और दूसरी पार्टी अस्पताल के मालिक को बनाया है इन दोनों दोषी पार्टियों से 30 दिन के अंदर हर्जाने की राशि पीड़ित पक्ष को देने के आदेश दिए हैं.

-लखनऊ से सत्यम मिश्रा की रिपोर्ट