शनिवार को सूचना और प्रौद्योगिकी पर एक संसदीय पैनल ने मीडिया से जुड़े कई अहम मुद्दों पर बात करते हुए केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय (I&B) से टेलीविजन रेटिंग बिंदुओं (TRP) के मूल्यांकन के लिए एक बेहतर प्रणाली बनाने और फेक न्यूज़ को रोकने के लिए कानून बनाने की मांग की है.
साथ ही, "राष्ट्र-विरोधी" रवैये (एंटी-नेशनल एटीट्यूड) को सही से परिभाषित करने के लिए कहा गया है. पैनल ने पारंपरिक और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए कई सुधारों की सिफारिश की है.
मीडिया को करना होगा रेगुलेट:
पैनल की अध्यक्षता कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने की. पैनल को लगता है कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि मीडिया, जो कभी हमारे लोकतंत्र में नागरिकों का सबसे भरोसेमंद हथियार था और जनहित के लिए काम करता था, वह अपनी विश्वसनीयता और अखंडता को खो रहा है. मीडिया में मूल्यों और नैतिकता से समझौता किया जा रहा है.
इन मुद्दों पर 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में रिपोर्ट को पेश किया जाएगा. इस रिपोर्ट में संबोधित मुद्दों में पेड न्यूज, फेक न्यूज, टीआरपी हेरफेर, मीडिया ट्रायल, सनसनीखेज और पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग के रूप में मीडिया द्वारा आचार संहिता के उल्लंघन के उदाहरण शामिल हैं.
रिपोर्ट में सरकार द्वारा नए सोशल मीडिया दिशानिर्देश लाने की सराहना की गई है, लेकिन सूचना और प्रसारण मंत्रालय से फीडबैक मांगा गया है कि क्या इन दिशानिर्देशों को शुरू करने का उद्देश्य पूरा हुआ है.
बताया जा रहा है कि समिति को उम्मीद है कि ये दिशानिर्देश डिजिटल मीडिया सामग्री को लंबे समय तक रेगुलेट करेंगे और दोनों मंत्रालय साथ में मिलकर सुनिश्चित करेंगे कि डिजिटल मीडिया भी नैतिकता के लिए कोड का पालन करे.
सभी मीडिया के लिए बने पीसीआई जैसा संगठन:
पैनल को यह भी सूचित किया गया है कि सभी मीडिया-प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को कवर करने के लिए एक व्यापक क़ानून लागू करने पर चर्चा चल रही है. मामले की जांच की जा रही है. पहले भी बताया गया है कि केंद्र सरकार सभी पारंपरिक और डिजिटल मीडिया कंपनियों के लिए एक व्यापक कानून बनाने पर विचार कर रही है.
इस कानून में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, डिजिटल मीडिया, सिनेमा, यहां तक कि तथाकथित ओवर- नेटफ्लिक्स और हॉटस्टार जैसे टॉप या ओटीटी प्लेटफॉर्म भी शामिल होंगे.
समिति ने कुछ समाचार पत्रों में फर्जी खबरों की चिंता को भी नोट किया है. हालांकि सबसे ज्यादा चिंता इस बात की है कि जब तक आउटरीच एंड कम्युनिकेशन ब्यूरो (बीओसी) द्वारा कार्रवाई नहीं की जाती है, तब तक गलती करने वाले समाचार पत्र अपनी गलतियों में कोई सुधार नहीं करते हैं. चाहे उन्हें भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) द्वारा टोका जा चुका हो.
2016, 2017 और 2020 के दौरान, पीसीआई द्वारा कुल 105 मामलों को उठाया गया, जिनमें से 73 मामलों में बीओसी द्वारा निलंबन किया गया था. समिति को उम्मीद है कि मंत्रालय या पीसीआई इस मामले में और मजबूती बरते ताकि पीसीआई के सभी आदेशों पर कार्रवाई की जा सके.
पीसीआई को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के खिलाफ भी कई शिकायतें मिली हैं, लेकिन वे कार्यवाई नहीं कर सकते हैं क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया उनके दायरे में नहीं आती है. इसलिए पीसीआई की सलाह है कि सभी तरह के मीडिया के लिए एक समानांतर संगठन बनना चाहिए ताकि फर्जी खबरों/ फेक न्यूज़ पर रोक लग सके.
‘एंटी-नेशनल’ एटीट्यूड की तय हो परिभाषा:
साथ ही, पैनल का सुझाव है कि ‘एंटी-नेशनल’ एटीट्यूड टर्म को भी विस्तार से परिभाषित किया जाना चाहिए. ताकि सभी को स्पष्ट रूप से पता हो कि वे क्या नहीं कर सकते हैं.
संसदीय समिति ने भी टीआरपी को मापने की वर्तमान प्रणाली में भी बदलाव का सुझाव दिया है. उन्होंने मंत्रालय को बताया कि कैसे कुछ टीवी चैनलों ने बार्क (BARC) का गलत इस्तेमाल किया है. इसने मौजूदा प्रणाली की निष्पक्षता, सटीकता, और पारदर्शिता पर एक बड़ा सवालिया निशान लग गया है.
इस पर गंभीरता से विचार करते हुए, समिति चाहती है कि मंत्रालय टीआरपी प्रणाली की पूरी प्रक्रिया को देखे और टीआरपी को मापने के लिए एक अधिक पारदर्शी और जवाबदेह प्रणाली बनाई जाए.