जम्मू के डोडा में मंगलवार सुबह आतंकवादी हमले में सेना के कैप्टन समेत 4 जवान शहीद हो गए. साल 2021 के बाद से जम्मू में इस तरह के आतंकवादी हमलों में 51 सैनिक मारे जा चुके हैं. अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में कई नए आतंकवादी समूहों का उदय देखने को मिला है. इन्हीं समूहों में से एक है कश्मीर टाइगर्स.
क्या है कश्मीर टाइगर्स?
डोडा में मंगलवार सुबह हुए हमले की जिम्मेदारी भी कश्मीर टाइगर्स ने ही ली. बीते 9 जुलाई को इसी ग्रुप ने रियासी में एक आतंकी वारदात को अंजाम दिया था. 'कश्मीर टाइगर्स' का नाम सबसे पहले जनवरी 2021 में सामने आया था. उस समय पुलिस ने इसे पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन 'जैश-ए-मोहम्मद' की छत्रछाया में काम करने वाला समूह बताया था.
उसी साल जून में कश्मीर टाइगर्स ने दक्षिण कश्मीर में हुए ग्रेनेड हमले की जिम्मेदारी भी ली थी. दिसंबर 2021 में कश्मीर टाइगर्स ने श्रीनगर में भी पुलिस की एक बस पर हमला किया था, जिसमें तीन पुलिस वालों की जान गई थी जबकि 11 बुरी तरह घायल हुए थे. यह अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में हुआ सबसे बड़ा आतंकी हमला था.
दरअसल, अनुच्छेद 370 हटने के बाद से पुलिस ने कश्मीर टाइगर्स जैसे कई समूहों को आतंकवादी हमलों का जिम्मेदार ठहराया है. द रेजिज्टेंस फ्रंट (TRF) और पीपल्स अगेंस्ट फासिस्ट फोर्सेज (PAFF) जैसे नए समूहों ने कश्मीर में हिज़्ब-उल-मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा की जगह ले ली है. सुरक्षा बलों का कहना है कि इन नए समूहों के काम करने के तरीके में एक छोटा मगर स्पष्ट बदलाव देखने को मिला है.
कैसे काम करता है कश्मीर टाइगर्स?
सुरक्षा बलों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर के नए आतंकवादी समूह अपने नाम में धार्मिक के बजाय सेक्युलर शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसका मुख्य कारण है कि ये पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूह खुद को कश्मीरी मूल का दिखाना चाहते हैं. इंडियन एक्सप्रेस की ओर से तीन साल पहले प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, इनके नाम में पुलिस अधिकारियों को एक डिज़ाइन दिखता है.
एक अधिकारी का कहना है, "पाकिस्तान पर जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ाने का दबाव है लेकिन वह 'फाइनेन्शियल एक्शन टास्ट फोर्स' की ग्रे लिस्ट को नजरअंदाज नहीं कर सकता. क्योंकि लश्कर और जैश के नाम पाकिस्तान से जुड़े हैं और उनका धार्मिक अर्थ है, इसलिए उन्होंने नाम बदलने का फैसला किया. यह आतंकवाद को धर्मनिरपेक्ष और कश्मीरी मूल के रूप में चित्रित करने का भी एक प्रयास है."
अधिकारियों ने कहा कि नए संगठन एक यह धारणा भी बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि घाटी में आतंकवादियों की भारी मौजूदगी है. रिपोर्ट पुलिस अधिकारी के हवाले से कहती है, "जमीन पर, हमारे पास सिर्फ 150 से 200 आतंकवादी हैं. तीन या चार बड़े आतंकवादी समूह हैं जो अलग-अलग मॉड्यूल्स के अलग-अलग नाम रखते हैं. इन समूहों के कैडर लगभग एक ही हैं."
पाकिस्तान से इन समूहों का कनेक्शन?
एक्सप्रेस की रिपोर्ट सैन्य अधिकारी के हवाले से फाइनेन्शिलय एक्शन टास्क फोर्स (Financial Action Task Force) का जिक्र करती है. इस टास्क फोर्स की 'ग्रे लिस्ट' में उन देशों का नाम होता है जो अपनी सरजमीन पर आतंकवादी संगठनों के वित्त पोषण के खिलाफ काम कर रहे हैं. लिस्ट में पाकिस्तान का नाम फिलहाल नहीं है, लेकिन इस देश का आतंकवाद के साथ एक इतिहास रहा है.
ऐसे में अगर भारतीय सरजमीन पर हुए हमलों में पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादी संगठनों का नाम आता है तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसके लिए मुश्किलें पैदा हो सकती हैं. सुरक्षा बलों के अनुसार इसी कारण पाकिस्तान बदले हुए नामों के साथ जम्मू में आतंकवाद को स्पॉन्सर कर रहा है.